– अरुण पटेल
कांग्रेस की 11 उम्मीदवारों की सिंगल और कुछ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में दो और तीन नामों की सूची वायरल होने के बाद कांग्रेस कुछ अधिक ही हैरान परेशान नजर आई। जब चुनाव होता है तब उम्मीदवारों की पैनल की अटकलें मीडिया में लगती रहती हैं लेकिन तत्काल कांग्रेस ने इसका अधिकृत तौर पर खंडन किया। उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस कुछ नामों के बाहर आते ही हैरान परेशान हो गई। क्योंकि वायरल सूची में ऐसे नाम भी शामिल है जिन्हें यदि कांग्रेस अपना उम्मीदवार बना देती है तो दलबदल और विश्वासघात का जो चुनावी मुद्दा वह बना रही है उसकी एक प्रकार से हवा ही निकल जाएगी। 27 विधानसभा उपचुनाव के उम्मीदवारों की तलाश कांग्रेस में जोरशोर से हो रही है और तीन बार सर्वे हो चुका है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हमेशा सर्वे को महत्त्व देने की बात कहते रहे हैं और 2018 के विधानसभा चुनाव के पूर्व भी उन्होंने अलग-अलग एजेंसियों से सर्वे कराए थे। जो सूची वायरल हुई है उसमें मेहगांव से पूर्व विधायक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी का सिंगल नाम सामने आया है। कांग्रेस इन उपचुनावों में दलबदल और विश्वासघात को बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है क्योंकि कमलनाथ सरकार का पतन इसी के कारण हुआ था। यदि वह चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को अपना उम्मीदवार बना देती है तो फिर उसका ही वह हथियार बोथरा हो जाएगा जिसके भरोसे वह सिंधिया समर्थकों और दलबदल करने वाले पूर्व कांग्रेसी विधायकों की तगड़ी घेराबंदी करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। तत्कालीन विधायक राकेश सिंह ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्य ली थी। वह भी उन्होंने ऐसे अवसर पर किया जब शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्य विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा लेकिन उसी दौरान उनके उपनेता राकेश सिंह ने अजय सिंह के नेतृत्व में अविश्वास व्यक्त करते हुए सदन में ही भाजपा में जाने की घोषणा कर दी। अजय सिंह ने उस समय इसे विश्वासघात की संज्ञा दी थी। ऐसी हालत में कमलनाथ दलबदल कर सरकार गिराने को बड़ा विश्वासघात मानते हैं या उपनेता के द्वारा सदन के भीतर अपने विधायक दल के नेता पर अविश्वास व्यक्त करते हुए भाजपा में जाने को, यह तो उस समय पता चलेगा जब कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम अंतिम तौर पर सामने आ जाएंगे। जहां तक राकेश सिंह का सवाल है उनके नाम का विरोध पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, डॉ. गोविंद सिंह तथा भिंड जिला कांग्रेस के अनेक नेता कर चुके हैं। अजय सिंह ने तो यहां तक कहा कि जो कांग्रेस में ही नहीं है उसके नाम पर विचार करने का सवाल ही नहीं है। औपचारिक तौर पर राकेश की सदस्यता को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। वायरल सूची में कुछ नाम ऐसे हैं जैसे मानो पुरातत्व संग्रहालय से निकाल कर झाड़ पोंछ कर चुनाव लड़ने के लायक बनाया जा रहा हो ।
वायरल सूची में भले ही अनुमान हो परंतु इनमें से बहुत से नाम हैं जो अधिकृत सूची में भी हो सकते हैं। जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर यह सूची जारी हुई वैसे ही प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बयान जारी कर कहा कि यह वायरल सूची काल्पनिक है और कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सूची भ्रामक और असत्य है। गुप्ता ने कहा कि त्रिस्तरीय सर्वे में नाम सामने आए हैं उन पर गहन मंथन चल रहा है और संसदीय बोर्ड तथा हाईकमान से जो नाम फाइनल होंगे उन्हें अधिकृत रूप से सूची के माध्यम से जारी किया जाएगा। उन्होंने जनता से भ्रमित नहीं होने की अपील की। जहां तक जनता के भ्रमित होने का सवाल है उस पर तो इसका कोई असर नहीं होगा क्योंकि वह तो अधिकृत उम्मीदवारों के नामों को ध्यान में रखकर अपना फैसला करती है। केवल भ्रमित हुए होंगे तो वह कांग्रेसी जो टिकट की लाइन में लगे हैं या बड़े नेता जो अपनी पसंद को अंतिम रूप दिलाना चाहते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने तत्काल ट्वीट किया कि कांग्रेस ने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है। सोशल मीडिया पर वायरल सूची फर्जी है। यह भाजपा की साजिश है। सलूजा ने भले ही भाजपा पर आरोप लगाया हो लेकिन अधिक अच्छा होता कि वह अपने अंदर की उन कमजोर कड़ियों को चिन्हित करते जो अंदर की बात बाहर करने के आदी हैं। खंडन की जो हड़बड़ी कांग्रेस ने दिखाई वह तो यही प्रदर्शित करती है कि वह स्वयं इससे असहज और हैरान परेशान हुई है। कुछ दिन बाद कमलनाथ ने कहा है कि एक और सर्वे कराया जा रहा है उसके बाद प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा। सलूजा ने भाजपा पर आरोप लगाया तो गृह एवं जेल मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेसी सूची को लेकर तंज किया कि जानबूझकर सूची वायरल कर देते हैं ताकि फीडबैक मिल जाए और फाइनल लिस्ट में भी यही नाम होंगे वैसे भी उनके घर में अब लोग बचे नहीं हैं ।
और अंत में………..
भाजपा उपचुनाव को लेकर पूरी सावधानी बरत रही है और वह समझ गई है कि कहीं असंतुष्ट नेता उसका खेल ना बिगाड़ दें, इसलिए उन्हें समझाने बुझाने की पूरी कोशिश हो रही है और स्वयं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की जोड़ी सामने आकर नेताओं और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को चुनावी तैयारियों के सिलसिले में अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से चर्चा की और आज रविवार को पार्टी ने सांसदों विधायकों की बैठक बुलाई, इसमें शिवराज ने जो कहा उसका असली आशय सबको एकजुट और उपचुनाव के लिए जुटाना ही था। मुख्यमंत्री ने चेताते हुए कहा कि यह समझ लो ये रूतवा, जलवा तभी तक है जब तक सरकार है इसलिए सब भूल-भाल कर मैदान में उतरना होगा। केवल लेटर हेड पर नाम लिखवा कर नामधारी होने व माला पहनने से काम नहीं चलेगा। हर सांसद और विधायक तथा हर मंत्री काम करे। हम आपको सभी संगठनों की लिस्ट देंगे उनसे संपर्क साधिए है। सोशल मीडिया का उपयोग करना है और कांग्रेस के घपले गिनाना है। जितनी बुद्धि और युक्ति लगाते बनती है वह लगा कर हमें हर हाल में 27 सीटें जीतना है, उसके लिए संकल्प लेना है कि एक भी सीट नहीं जाने देना है। इस प्रकार शिवराज ने साफ कर दिया है कि जो भी जलवा है वह इस सरकार के रहने तक है और चुनाव नहीं जीते तो नेताओं कार्यकर्ताओं का भी जलवा नहीं रहेगा।