छत्तीसगढ़ की जेलों में योग और सुदर्शन क्रिया- नक्सल प्रभावित कैदियों को नई दिशा देने की पहल

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ लंबे समय तक नक्सलवाद और हिंसा से जूझता रहा है। लेकिन अब राज्य की तस्वीर बदलने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में जेल सुधार को प्राथमिकता दी गई है और इसी कड़ी में सभी जेलों में कैदियों के लिए योगाभ्यास और सुदर्शन क्रिया की पहल शुरू की गई है।

सुशासन और सुधार की ओर कदम
सरकार का मानना है कि जेल केवल सज़ा देने का स्थान नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास की संस्था होनी चाहिए। इसलिए प्रतिदिन सुबह 7:30 से 9:30 बजे तक राज्य की सभी जेलों में कैदियों को योग और ध्यान कराया जा रहा है। इस पहल से जेल प्रशासन और कैदियों दोनों की दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगे हैं।

आर्ट ऑफ़ लिविंग का सहयोग
राज्य सरकार ने इस अभियान में आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था का सहयोग लिया है। संस्था के प्रशिक्षक कैदियों को “प्रिजन कोर्स” के अंतर्गत योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया सिखा रहे हैं। इससे कैदियों को मानसिक शांति और आत्मबल मिल रहा है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पर असर
बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जैसे नक्सल प्रभावित जिलों की जेलों में यह पहल विशेष असर डाल रही है। यहाँ वे कैदी जो कभी हिंसा और हथियारों के रास्ते पर चले थे, अब योग की साधना कर रहे हैं। यह परिवर्तन न सिर्फ जेल की दीवारों तक सीमित है बल्कि समाज को भी यह संदेश देता है कि हिंसा छोड़कर आत्मबल और शांति की राह अपनाई जा सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि योग और ध्यान से तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। जेल प्रशासन के मुताबिक, इस कार्यक्रम के बाद कैदियों के बीच झगड़े और अनुशासनहीनता की घटनाएँ भी घट गई हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है, हम चाहते हैं कि जेल से बाहर आने के बाद कैदी समाज के लिए बोझ न बनें, बल्कि समाज निर्माण में योगदान दें। योग और सुदर्शन क्रिया उन्हें नया जीवन देंगे।

नकारात्मकता से बाहर निकालने में मदद 

वहीं, कई कैदी मानते हैं कि इस अभ्यास ने उन्हें गुस्से और नकारात्मकता से बाहर निकाला है और भविष्य को सकारात्मक ढंग से देखने की ताक़त दी है।