रायपुर। आस्था का पर्व छठ पूजा के चौथे दिन उदय होते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देने बड़ी संख्या व्रती महिला और पुरुष पहुंचे. तडक़े तालाब में आकार सूर्य देव को अर्घ्य देकर संतान के स्वस्थ दीर्घायु जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए परिवार की खुशहाली के लिये भगवान सूर्य से प्रार्थना की. इसके साथ ही छठ महापर्व का समापन हो गया.
सोमवार सुबह राजधानी के महादेव घाट सहित अन्य जगहों पर बने छठ घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतधारी महिलाएं पहुंची। ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके सूर्य उदय से पहले ही अर्घ्य देने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। घाट के किनारे आतिशबाजी की गई। अध्र्य देने के बाद महिलाएं ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण करके निर्जला व्रत का पारणा किया।
राजधानी रायपुर के महादेवघाट, व्यास तालाब सहित शहर से लगे समीपस्थ ग्रामों के तालाबों में नगर निगम व जिला पंचायत प्रशासन के द्वारा छठ पर्व को देखते हुए विशेष व्यवस्था की गई थी ताकि पूजा करने वाले व्रतियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। तालाबों को सजाया गया था जो कि आकर्षण का केंद्र रहे।
चार दिनों तक चलने वाले व्रत का प्रारंभ खरना से प्रारंभ होता है और 36 घंटे का निर्जला व्रत रख अस्ताचल सूर्य की पूजा और उदयाचल सूर्य की पूजा कर व्रत पूरा किया जाता है. उत्तर भारत के इस प्रमुख त्योहार को आज पूरे विश्व में मनाया जाता है. जिसपर श्रद्धालुओं का कहना है कि छठी मइया हमारे परिवार की रक्षा करती है और हर संकट को दूर करती है.
इन इलाकों में छाया भक्तिभाव
महादेवघाट के अलावा दूसरा सबसे बड़ा छठ पर्व का आयोजन बिरगांव के व्यास तालाब में संपन्ना हुआ। अन्य इलाकों में हीरापुर, कबीरनगर, टिकरापारा के नरैय्या तालाब, कचना तालाब, मठपारा के मलसाय तालाब, समता कालोनी के आमा तालाब, गुढिय़ारी के मच्छी तालाब, अमलीडीह, माना आदि जगहों पर छठ पूजा में श्रद्धा-उल्लास छाया रहा।
सोमवार सुबह राजधानी के महादेव घाट सहित अन्य जगहों पर बने छठ घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतधारी महिलाएं पहुंची। ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके सूर्य उदय से पहले ही अर्घ्य देने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। घाट के किनारे आतिशबाजी की गई। अध्र्य देने के बाद महिलाएं ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण करके निर्जला व्रत का पारणा किया।
राजधानी रायपुर के महादेवघाट, व्यास तालाब सहित शहर से लगे समीपस्थ ग्रामों के तालाबों में नगर निगम व जिला पंचायत प्रशासन के द्वारा छठ पर्व को देखते हुए विशेष व्यवस्था की गई थी ताकि पूजा करने वाले व्रतियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। तालाबों को सजाया गया था जो कि आकर्षण का केंद्र रहे।
चार दिनों तक चलने वाले व्रत का प्रारंभ खरना से प्रारंभ होता है और 36 घंटे का निर्जला व्रत रख अस्ताचल सूर्य की पूजा और उदयाचल सूर्य की पूजा कर व्रत पूरा किया जाता है. उत्तर भारत के इस प्रमुख त्योहार को आज पूरे विश्व में मनाया जाता है. जिसपर श्रद्धालुओं का कहना है कि छठी मइया हमारे परिवार की रक्षा करती है और हर संकट को दूर करती है.
इन इलाकों में छाया भक्तिभाव
महादेवघाट के अलावा दूसरा सबसे बड़ा छठ पर्व का आयोजन बिरगांव के व्यास तालाब में संपन्ना हुआ। अन्य इलाकों में हीरापुर, कबीरनगर, टिकरापारा के नरैय्या तालाब, कचना तालाब, मठपारा के मलसाय तालाब, समता कालोनी के आमा तालाब, गुढिय़ारी के मच्छी तालाब, अमलीडीह, माना आदि जगहों पर छठ पूजा में श्रद्धा-उल्लास छाया रहा।