आपकी बात: भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर भाजपा की नजर

0 संजीव वर्मा

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आखिरी पड़ाव पर है। कश्मीर के श्रीनगर में 30 जनवरी को यात्रा के समापन कार्यक्रम में विपक्षी दलों को आमंत्रित कर कांग्रेस ने वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। हालांकि, पार्टी ने आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति सहित कई अन्य विपक्षी दलों को समारोह से अलग रखा है। कांग्रेस लगातार यह दोहरा रही है कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद वर्ष 2024 के लिए विपक्ष को एकजुट करना नहीं है। पर, पार्टी इस मुहिम में अपनी तरफ से सभी को साथ लेकर चलने का संदेश देना चाहती है। यही वजह है कि समापन समारोह के लिए पार्टी ने समान विचारधारा वाले 23 राजनीतिक दलों को न्योता दिया है। यात्रा के दौरान यह पहली बार है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने पत्र लिखकर विपक्षी दलों को आमंत्रित किया है। अभी तक जिस प्रदेश से यात्रा गुजरती थी, उस प्रदेश के नेता दूसरे दलों और अहम शख्सियतों को आमंत्रित करते थे। ऐसे में पार्टी की इस पहल को राजनीतिक हलकों में सभी को साथ लेकर चलने के संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति का न्योता नहीं देने को लेकर चर्चा गर्म है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर उन्हें आमंत्रित क्यों नहीं किया गया? क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को कांग्रेस समान विचारधारा की पार्टी नहीं मानती है? अगर ये समान विचार वाली पार्टियां नहीं हैं तो संसद में इनके साथ कैसे समन्वय और सहयोग बनता है? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को संसदीय कामकाज के दौरान आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति के साथ राजनीति करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने पिछले शीतकालीन सत्र में दो बार विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई, जिसमें इन दोनों पार्टियों के नेता शामिल हुए। संसद में सरकार को घेरने में इन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस के साथ सहयोग किया। एक सवाल यह भी है कि किस आधार पर कांग्रेस इन दोनों को समान विचार वाली पार्टी नहीं मान रही है? केजरीवाल की तरह राहुल गांधी भी मंदिर-मंदिर जाते हैं और उनकी तरह मुफ्त में बिजली, पानी की घोषणा कांग्रेस भी करती है। केजरीवाल और केसीआर दोनों की पार्टी भी भाजपा के खिलाफ बोलते और उससे लड़ते हैं। सो, यह विचारधारा का मामला है। असलियत यह है कि जहां भी कांग्रेस का अपना हित सीधे किसी पार्टी से टकरा रहा है वह पार्टी कांग्रेस को पसंद नहीं है। जहां पार्टी पहले ही अपने हितों का सरेंडर कर चुकी है वहां की पार्टियों के साथ काम करने में कांग्रेस को दिक्कत नहीं है। आम आदमी पार्टी सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है। उसने दिल्ली और पंजाब कांग्रेस के हाथ से छीन ली, गोवा और गुजरात में कांग्रेस को नुकसान किया और इस साल होने वाले चुनाव में राजस्थान सहित कुछ और राज्यों में कांग्रेस को नुकसान कर सकती है। इसलिए वह कांग्रेस को पसंद नहीं है। तेलंगाना का निर्माण कांग्रेस ने कराया था और वह वहां वापसी की उम्मीद कर रही है, जिसके लिए उसको सीधे केसीआर की पार्टी से टकराना है। ऊपर से केसीआर कांग्रेस को छोड़कर मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सोचें, अगर भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने का कांग्रेस का यह पैमाना होगा तो कैसे गठबंधन बनेगा? वैसे, पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि कई दल राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से हिचक रहे हैं। इस निमंत्रण के बाद भी कोई दल खुद को इस यात्रा से अलग रखता है, तो उसे लोगों को जवाब देना होगा। क्योंकि, यात्रा का मकसद भारत को जोडऩा है। इसलिए, पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर सभी को आमंत्रित कर रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक, यात्रा खत्म होने में अभी समय है। ऐसे में यह पार्टियां अभी भी यात्रा में शामिल हो सकती है। दरअसल, पार्टी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल हिंदी भाषी राज्यों में है। क्योंकि, सपा, बसपा, राजद और जेडीयू ने यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी है, पर इन पार्टियों का कोई बड़ा नेता भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं हुआ है। पार्टी के निमंत्रण पर अभी तक डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने हिस्सा लिया है। इसके साथ मशहूर अभिनेता और मक्कल निधि मय्यम के नेता कमल हसन शामिल हुए हैं। हालांकि, कई सामाजिक संगठनों ने यात्रा को समर्थन देते हुए यात्रा में हिस्सा लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत जोड़ो यात्रा के समापन में कौन-कौन दल शामिल होते हैं। इस पर भाजपा की भी नजर लगी हुई है।