भाटापारा। श्री माहेश्वरी भवन भाटापारा में कृष्ण कुमार मूंधड़ा परिवार द्वारा चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे राष्ट्रीय संत परम श्रद्धेय श्री गौरदास जी महाराज ने आज बताया कि 7 वर्ष के नंदलाल ने सात कोस के गिरिराज जी को अपने बाय हाथ की सबसे छोटी उंगली के नाखून पर 7 दिन एवं 7 रात तक लगातार उठाए रखा और सभी भक्तों की रक्षा की, मानो हमें यह कह रहे हों उनका निरंतर ध्यान करते रहें और श्री कृष्ण जी हमारी सदा रक्षा करेंगे । तो रातें हमारी रक्षा करेंगे
रास के समय जब भगवान बंशी बजाते हैं तो सभी गोपियां अपने घर के सारे काम छोड़कर भागी आती है यह गोपियां पुराने जन्मों के बड़े बड़े ऋषि नाग कन्याएं मत्स कन्याएं हैं जिन्होंने हजारों वर्ष तपस्या की थी कि भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ।
बंसी की आवाज केवल उन्हीं भक्तों को सुनाई दी जिनके अंदर से संस्कार की ध्वनि समाप्त हो गई है जिनका हृदय माखन जैसा निर्मल और कोमल हो गया है उन्हे ही बंसी की आवाज सुनाई देती है । महाराज श्री ने आगे बताया कि यदि हम माला का चक्र अपनाते हैं अर्थात जप करते समय मोटे मनके की तरफ से माला जपते हैं तथा रास या कीर्तन का ध्यान करते हैं तब हम ग्रह चक्र से बच जाते हैं। कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज श्री ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण वृंदावन छोड़कर मथुरा आए और वहां कंश का वध किया उसके बाद द्वारिका जाकर समुद्र के बीच 48 कोस लंबी और 48 कोस चौड़ी नगरी द्वारिका का निर्माण करवाया फिर वहां बलराम जी का रेवती जी से विवाह करवाया । इधर रुकमणी जी का भाई रुकमी, रुकमणी का विवाह दुष्ट शिशुपाल से करवाना चाहता था किंतु रुकमणी जी ने नारद जी से कृष्ण जी की कथा सुनी थी तभी से रुकमणी जी ने कृष्ण जी को अपना पति मान लिया था और उन्होंने कृष्ण जी को सात स्लोकों का पत्र लिखा, इसे श्री रुकमणी प्रेम पत्रिका कहते हैं यदि किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो वह इस पत्रिका का पाठ प्रतिदिन संकल्प ले कर करें तो उसके विवाह की सारी बाधाएं दूर हो जाती है ।
महाराज श्री द्वारा गाए भजन “सब हिना मिल नाचो गाओ” पर दामोदर दास केला, केदार गुप्ता, नरेश भट्टर, विनोद जी बाहेती झूमते गाते रहे । बड़ी संख्या में नगरवासी कथा का रसपान कर रहे हैं ।