नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ के बारह जाति समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने को मंजूरी दे दी है। राज्य की जिन बारह जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सहमति दी गई है, उसके अनुसार भारिया, भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया, भूईयां, भूयां नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया के रूप में भारिया का सुधार किया गया। वहीं, पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो और धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवार, गदबा, गोंड के साथ गोंड़, कौंध के साथ कोंद, कोडाकू के साथ कोड़ाकू और नगेसिया, नागासिया के पर्याय के रूप में किसान, धनगढ़ का परिशोधन धांगड़ के रूप में किया गया है।
केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इन जातियों के लोग काफी समय से अनुसूचित जनजाति समुदाय की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे, जिसे पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से इन जातियों के लोगों को वे सभी लाभ मिल सकेंगे जो अनुसूचित जनजातियों को मिलते हैं।
केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इन जातियों के लोग काफी समय से अनुसूचित जनजाति समुदाय की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे, जिसे पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से इन जातियों के लोगों को वे सभी लाभ मिल सकेंगे जो अनुसूचित जनजातियों को मिलते हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 11 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था।
अब गौरतलब है कि इन जाति समुदायों के छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें शासन की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। छात्रवृति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास की सुविधा के साथ शासकीय सेवा और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 11 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था।
अब गौरतलब है कि इन जाति समुदायों के छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें शासन की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। छात्रवृति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास की सुविधा के साथ शासकीय सेवा और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।