राज्य सरकार के गाय के गोबर एवं गोमूत्र संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्य प्रशंसनीय – राज्यपाल

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दुर्ग। गाय के गोबर एवं गोमूत्र का भारतीय संस्कृति में अति महत्वपूर्ण स्थान है। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा गाय गोबर एवं गोमूत्र संरक्षण के लिए जिस प्रकार से कार्य किए जा रहे हैं वह प्रशंसनीय है । गोबर संग्रहण की जवाबदारी महिला स्व सहायता समूह को देखकर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को आर्थिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाया है। होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने सभी नागरिकों से महिला स्व सहायता समूह द्वारा निर्मित प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इससे व्यक्ति एवं पर्यावरण दोनों ही संरक्षित रहेंगे।
राज्यपाल कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के ग्रुप में हिस्सा लेने के लिए भिलाई आई हुई थी इस दौरान उनके द्वारा विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।

खुशी एवं आनंद का पर्व है होली

राज्यपाल दूसरी अनुसुइया उइके ने प्रदेशवासियों को होली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि होली पर्व आम जनमानस अपने खुशी एवं आनंद के लिए मनाते हैं । लेकिन पर्व के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा करना भी अत्यधिक जरूरी है। पर्यावरण के कारण ही आज सभी लोग सुरक्षित जीवन यापन कर पा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए त्यौहार मनाया जाना चाहिए । उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे इस त्यौहार को प्राकृतिक रंगों के साथ मनाए । जिसका स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
स्व सहायता समूह की बहनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों द्वारा रंग गुलाल बनाए गए हैं। जो कि अत्यधिक प्रशंसनीय कार्य है। इन गुलाल व रंगों से महिला स्व सहायता समूह की बहनोई भी आर्थिक रूप से संपन्न हो रही है। उन्होंने प्रदेशवासियों से इन्हीं रंगों का उपयोग कर होली पर्व को मनाने का संदेश भी दिया है। उन्होंने कहा कि रासायनिक रंग से स्वास्थ्य को नुकसान होता है। साथ ही त्वचा एवं आंखें के खराब होने का भय बना रहता है। प्राकृतिक संसाधनों से बनाया गया हर वस्तु स्वास्थ्य एवं मन की दृष्टि से खुशियां देता है । साथ ही स्व सहायता समूह की बहनों के द्वारा निर्मित रंगों का इस होली पर्व पर उपयोग करने की अपील भी राज्यपाल द्वारा की गई है।

महिलाएं हुनर एवं क्षमताओं से विदेशों में भी प्रदेश का नाम रोशन करें

सुश्री उइके ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गुंजन समूह की सदस्य महिलाओं के द्वारा सांस्कृतिक, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने के साथ-साथ कोरोना काल में जरूरतमंदों को भोजन वितरित किया गया। मुझे सौभाग्य मिला है कि ऐसी ही महिलाएं मेरे हाथों सम्मानित हुई है । इसलिए महिलाओं से भी कहां है कि स्वयं में एक आत्मविश्वास जागृत करने एवं समाज में एक नई दिशा देने का कार्य करें। साथ ही महिलाओं को स्वयं के अधिकार के प्रति जागरूक भी करें । उन्होंने कहा कि महिलाएं प्रशासनिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, रक्षा, विज्ञान, समाज एवं व्यवसायिक क्षेत्र में आगे आ रही हैं । इन सभी क्षेत्रों में सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर रही है। छत्तीसगढ़ की बहनों से भी अपील की है कि वह अपने हुनर अपनी क्षमताओं को देश के साथ-साथ विदेशों में भी जाकर प्रदेश का नाम रोशन करें एवं छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कहावत को चरितार्थ करें।

गोबर संग्रहण से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही प्रदेश की महिलाएं

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य शासन के द्वारा लगातार गोबर की खरीदी की जा रही है । जिसके कारण लोग आर्थिक रूप से संपन्न भी हो रहे हैं। इसके अलावा गोबर द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को भी निर्माण किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि गाय एवं गोबर दोनों का ही हमारे यहां आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। दोनों हीं पवित्रता की मिसाल है। उन्होंने कहा कि दिए से लेकर मूर्ति तक सारी तमाम चीजें निर्माण में गोबर का ही उपयोग किया जा रहा है । साथ ही हवन में भी गोबर से बने कंडो का ही प्रयोग किया जाता है । पुराने जमाने में भी गोबर से ही घरों की लिपाई एवं पुताई की जाती थी। जिसके कारण कीटाणुओं का भी नाश होता था गोबर पर्यावरण को भी संरक्षित करता है। साथ ही इसके प्रयोग से एक सकारात्मक ऊर्जा भी प्रवाहित होती है। घर का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है । गाय के गोबर एवं गोमूत्र का भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व है । इसके अलावा गोबर के कंडे के प्रयोग से मच्छर सहित कई वातावरण में मौजूद वायरस खत्म हो जाते हैं । इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा गोबर संग्रहण की जो जवाबदारी महिला स्व सहायता समूह को दी गई है जिसके कारण देश की महिलाएं आर्थिक रूप से संपन्न हुई है। गोबर से खाद का भी निर्माण किया जा रहा है इसके अलावा इस प्राकृतिक खाद का प्रयोग खेती में भी किया जा रहा है । रासायनिक खाद से उत्पादित फसल का सेवन करने से कई प्रकार की शारीरिक परेशानियों का सामना भी करना पढ़ रहा है। इसलिए अधिक से अधिक मात्रा में कृषि के क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए।