त्वरित टिप्पणी- नवा छत्तीसगढ़ की झलक

  • संजीव वर्मा

    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने मुख्यमंत्री ने बजट में पूरे जतन किए हैं। यह बजट गांव-गरीब और किसानों पर केन्द्रित है। उसमें कोई शक नहीं कि मुख्यमंत्री गांधीजी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरूप काम करना चाहते हैं। यही वजह है कि बजट में छत्तीसगढिय़ापन के साथ गांवों की सोंधी खुशबू का अहसास है। गांव गरीब, मजदूर, किसान, युवा, महिलाएं सभी की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री ने बजट में प्रावधान किए हैं। कोरोना महामारी के बावजूद जिस तरह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रही, वह काबिल-ए-तारीफ हैं। किसानों के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सुपोषण और सामाजिक सरोकर पर जिस तरह से जोर दिया गया है वह सरकार की दूरदृष्टि को बताता है। गांवों के साथ-साथ शहरों का भी ध्यान रखा गया है। हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है। ऐसे में यह कहने में कोई संकोच नहीं कि यह एक समावेशी बजट है। जिसका चेहरा मानवीय होने के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी मजबूत दिखाई दे रहा है। बीते दो सालों में भूपेश सरकार आम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास कर रही है। उसी कड़ी में इस बजट को एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है। 97 हजार 106 करोड़ रूपए के इस बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बजट का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है। इसमेंं किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 5 हजार 703 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिए जाने की घोषणा की गई है। वहीं परंपरागत ग्रामीण व्यवसायिक कौशलों का पुनरूद्धार करने के लिए तेलघानी विकास बोर्ड, चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड और रजककार विकास बोर्ड की स्थापना करने का भी ऐलान किया गया। यहीं नहीं छत्तीसगढ़ के उत्पाद और व्यंजनों जैसी सभी सामाग्रियों को एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराने के लिए राज्य एवं राज्य के बाहर सी-मार्ट स्टोर की स्थापना की जाएगी। छत्तीसगढ़ कला, संस्कृति और पर्यटन विकास पर भी ध्यान दिया गया है। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन के साथ ही भारत भवन भोपाल की तर्ज पर नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक परिक्षेत्र का निर्माण किया जाएगा। शिक्षा और स्वास्थ्य पर खासा ध्यान दिया गया है। 119 नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने के अलावा नवा रायपुर में राष्ट्रीय स्तर के बोर्डिंग स्कूल की स्थापना की जाएगी। 14 महाविद्यालयों में स्नातक और 15 महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर के नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। वहीं स्वास्थ्य पर देखें तो चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कालेज का शासकीयकरण करने के साथ ही कई अन्य घोषणाएं भी की गई है। कानून व्यवस्था को और सृदढ़ करने बस्तर संभाग के सभी जिलों में बस्तर टाइगर्स विशेष बल का गठन किया जाएगा। इसमें अंदरूनी गांवों के स्थानीय युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। सामाजिक क्षेत्र में भी अच्छा खासा प्रावधान किया गया है। महिलाओं और बच्चों के पोषण और सुरक्षा के मद्देनजर नए कौशल्या मातृत्व योजना शुरू होगी। बजट में विकास की अवधारण के विभिन्न आयामों को परिभाषित किया गया है। मुख्यमंत्री ने अंग्रेजी के HEIGHT शब्द को परिभाषित करते हुए कहा है कि बजट को समग्र विकास, शिक्षा, अधोसंरचना, प्रशासन, स्वास्थ्य और बदलाव के आधार पर तैयार किया गया है। निश्चित रूप से यह बजट राज्य के किसानों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की समृद्धि के लिए मील का पत्थर साबित होगा। बहरहाल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह तीसरा बजट कई मायनों में भिन्न और महत्वपूर्ण भी है। उन्होंने सरकार के केंद्र में सिर्फ और सिर्फ आम जनता के हित को ही सर्वोपरि माना है। राज्य की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है। हमारी अर्थव्यवस्था भी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में गांवों का विकास होगा तो शहर भी विकास की राह पर निकल पड़ेेंगे। दरअसल मुख्यमंत्री ने आम से लेकर खास को एक साथ साधने की कोशिश की है, उसमें वे सफल होते दिख रहे हैं। लेकिन उनके सामने वित्तीय अनुशासन के साथ सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने की चुनौती भी है। उन्होंने जिस तरह की दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उनकी इस बानगी में इसकी झलक भी मिलती है।
    रास्ते की अड़चनों से, हम कभी डरते नहीं।
    बात हो जब न्याय की, पीछे कभी हटते नहीं।।

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