आरोप-प्रत्यारोप और घोषणाओं के भ्रमजाल में राजनीतिक दल

– अरुण पटेल

3 नवम्बर को मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे और यह पहला मौका होगा जब एक साथ इतने उपचुनाव प्रदेश में होने जा रहे हैं। कहने को तो यह उपचुनाव हैं लेकिन इसमें मतदाताओं की मानसिकता आमचुनाव जैसी ही होने की संभावना है, क्योंकि इनके नतीजे यह तय करेंगे कि प्रदेश के सत्ताशीर्ष यानी मुख्यमंत्री पद पर शिवराज सिंह चौहान आसीन रहेंगे या फिर से इस पद पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ आकर बैठेंगे। चूंकि ये चुनाव प्रदेश की दिशा, दशा और भविष्य तय करने वाले होंगे, इसलिए हो सकता है कि कड़े चुनावी मुकाबले में अधिकांश क्षेत्रों में मतदाताओं का रुझान एक जैसा और किसी एक दल के पक्ष में नजर आये। इन उपचुनावों में घोषणाओं, वायदों और वचनों की भरमार होगी तो वहीं आरोप-प्रत्यारोप भी खुलकर लगाये जायेंगे। कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन के तहत पुरानी लीक से हटकर ये चुनाव नये अंदाज व नये तेवरों के साथ लड़े जायेंगे इसलिए इसमें सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के माध्यम से भ्रमजाल पैदा करने की कोशिशों में भी कोई दल पीछे नहीं रहेगा। इन सबके बीच मतदाता का जनादेश ही यह बतायेगा कि उसे भाजपा व कांग्रेस में से किस पर भरोसा है और किसके वचनों-वायदों व आरोपों में दम नजर आ रहा है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही अंदरुनी असंतोष की आग फैली हुई है, कहीं अधिक तो कहीं कम, लेकिन असंतोष सत्ता की दावेदारी करने वाले दोनों ही दलों में है और जो दल अपने असंतोष पर काबू पाकर कार्यकर्ताओं को एकजुट कर लेगा वही प्रदेश में 2023 तक सत्ता-सुख पाने का हकदार बन जायेगा। भाजपा और कांग्रेस के सामने इन चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती अपने-अपने समर्थक मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक ले जाने की रहेगी, क्योंकि कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन और बदली हुई परिस्थितियों में मतदान के प्रति जो अधिक उत्साह जगा लेगा जीत का सेहरा उसी दल के सिर बंध जायेगा। इसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी यदि सत्ता की चाबी अपनी मुट्ठी में कैद करना चाहती है या जीत हार के समीकरणों को प्रभावित करने की स्थिति में पहुंचना चाहती है तो उसके सामने भी मतदाताओं को मतदान केंद्र तक ले जाने की जिम्मेदारी मुंह बाये खड़ी होगी। कांग्रेस 28 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग वचनपत्र जारी कर रही है जिसमें क्षेत्र की आकांक्षाओं व जरुरतों को देखते हुए क्षेत्र विशेष में अलग-अलग वायदे भी करेगी लेकिन सभी विधानसभा क्षेत्रों में उसके कुछ कोर वायदे होंगे जिन्हें वह रेखांकित करेगी। कांग्रेस ने जो आरोप पत्र तैयार किया है उसमें भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल और इस साल अप्रैल से सितम्बर 2020 तक अपराधों और घोटालों में आई कथित बाढ़ का उल्लेख किया है। उसके वचनपत्र में कांग्रेस सरकार के 15 माह की उपलब्धियों की तुलना करने के साथ नये वचन भी शामिल किए गए हैं। इस प्रकार भाजपा की घेराबंदी करने के लिए कांग्रेस के एक हाथ में भाजपा के घपलों-घोटालों की फेहरिस्त होगी तो दूसरे हाथ में अपनी उपलब्धियों और नये वायदों की भरमार होगी।
28 सीटों के लिए जारी कांग्रेस के वचनपत्र पर करारा व्यंग्य करते हुए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह वचनपत्र नहीं बल्कि कांग्रेस ने कपटपत्र जारी किया है। उन्होंने कहा कि झूठे वचनपत्र जारी कर कांग्रेस वोट मांगती है। कमलनाथ द्वारा हर चुनाव सभा में यह पूछे जाने पर कि मेरी क्या गलती थी और मेरी सरकार क्यों गिराई, का अपने अंदाज में उत्तर देते हुए डॉ. मिश्रा ने कहा कि सरकार उन्होंने खुद गिराई है किसी और ने नहीं गिराई है। भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस के 28 वचनपत्रों को ठग विद्या से बना कपटपत्र, छल पत्र और प्रपंच पत्र निरुपित किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन वचनपत्रों को कितना भी लोकलुभावन बनाने का प्रयत्न कर ले, लेकिन किसी भी तौर पर यह जनता को न तो ठग पाएगी और ना खिलवाड़ कर पाएगी, काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, क्योंकि जनता कांग्रेस की हकीकत जान चुकी है। अग्रवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की राजनीति सिर्फ झूठ व फरेब पर टिकी हुई है इसीलिए वह चुनाव से पहले वचनपत्र पेश कर जनता को भ्रमित करती है। पन्द्रह माह में कांग्रेस सरकार ने वचनपत्र की एक भी घोषणा पूरी नहीं की है।
बिकाऊ और टिकाऊ के साथ ही किसानों का मुद्दा चुनाव अभियान के केन्द्र में रहने वाला है तथा कांग्रेस एवं भाजपा सरकारों की विफलता और उनके अनुभव को तोल-मोल कर अंतत: जनता फैसला करेगी कि उसे किसकी बातों पर अधिक भरोसा है। कांग्रेस और भाजपा अपने-अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाने लगी हैं, वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी सभी सीटों पर चुनाव ल़ड़ने के लिए ताल ठोंकती नजर आ रही है, लेकिन उसका मकसद कुछ सीटें जीत कर सत्ता की चाबी अपने हाथ में लेने का है। दस नवम्बर को ही यह पता चल सकेगा कि जनता ने किसकी उम्मीदों को परवान चढ़ाया और किसे निराशा के गर्त में ढकेल दिया। भाजपा को भरोसा है कि उसकी सरकारों के लगभग 66 माहों से कुछ अधिक की उपलब्धि पर जनता अपनी स्वीकृति की मोहर लगायेगी तो कांग्रेस को भरोसा है कि 15 माह की कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां इस पर भारी पड़ेगी और मतदाता उसे एक और मौका देंगे। चुनाव प्रचार के दौरान कर्जमाफी एक बड़ा मुद्दा बनने जा रही है और जहां इसे भाजपा फर्जी ॠणमाफी बताते हुए किसानों के साथ धोखाधड़ी निरुपित करते हुए आरोप लगायेगी तो कांगेस लगभग 27 लाख किसानो की ॠणमाफी करने के लिए अपनी पीठ थपथपाते हुए शेष बचे किसानों के दो लाख रुपये तक के ॠणों को माफ करने का वायदा कर रही है। राज्य विधानसभा के पिछले एक दिवसीय सत्र में आये एक प्रश्‍न के उत्तर से कांग्रेस की बांछें खिली हुई हैं जिसमें उसके द्वारा जितने किसानों के ॠण माफ हुए उसके आंकड़े दिए हुए हैं। कृषि मंत्री कमल पटेल ने फौरन ही इस जवाब के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए जांच कराने की बात कहकर इन आंकड़ों को झुठलाने का प्रयास किया।
और यह भी…
भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार की घेराबंदी के लिए जो मुख्य बिन्दु होंगे उनमें किसान कर्जमाफी को लेकर की गयी वायदाखिलाफी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का झूठा आश्‍वासन, सम्बल जैसी कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की साजिश, दिए गए वचनों को पूरा न करते हुए उनसे मुकरना तथा भाजपा सरकार की लगभग 66 माह की उपलब्धियां शामिल होंगी। शिवराज की लोकप्रियता को भी पार्टी एक बड़ा मुद्दा बनायेगी और हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में 4 हजार रुपये का राज्यांश मिलाकर कुल 10 हजार रुपये वार्षिक अनुदान देने, पात्र उपभोक्ताओं को पीडीएस के तहत एक रुपये प्रतिकिलो की दर से खाद्यान्न उपलब्ध कराने का जोरशोर से बखान करते हुए मतदाताओं का मन मोहने की कोशिश करेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के चुनावी वायदों व मुद्दों में शेष बचे किसानों की कर्जमाफी, सौ यूनिट सौ रुपये विद्युत बिलों की अपनी योजना फिर से लागू करने, निराश्रित पेंशन की राशि दुगुना करने, ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला बनाने की शुरुआत, कन्या विवाह प्रोत्साहन राशि 51 हजार से बढ़ाकर एक लाख करने, शुद्ध के विरुद्ध युद्ध तथा माफियाओं पर की गयी कार्रवाई और उद्योग में निवेश के लिए बेहतर वातावरण बनाने के साथ ही शिवराज सरकार की हाल के छ: माह के कार्यकाल की असफलता और करोड़ों में हुए संक्रमण को नियंत्रित नहीं कर पाने, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, महिला एवं दलित उत्पीड़न के बढ़ते मामले और किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को जोरशोर से उठाते हुए मतदाताओं का दिल जीतने की कोशिश करेगी।

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