कांग्रेस के सर्वे पर उठे सवाल: बवाल पर बदलेंगे क्या कुछ चेहरे?

अरुण पटेल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को उम्मीदवारों का चयन सर्वे के आधार पर करने का शौक रहा है। कभी सही नहीं निकले हैं तो कभी-कभी इसमें गफलत भी हुई है। उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन इसी आधार पर किया जा रहा है। जिन 15 उम्मीदवारों को टिकट दी गई है उनमें से कुछ स्थानों पर सर्वे को लेकर उंगलियां उठाई जा रही है। इस बात की संभावना बढ़ गई है कि कमलनाथ घोषित उम्मीदवारों में से कुछ जगहों पर नए चेहरे सामने ला सकते हैं। चुनावी मौसम है और ऑडियो-वीडियो की बाढ़ भी आ सकती है। शिकवे-शिकायतों का अंबार भी निर्वाचन आयोग की टेबल पर लगता जाएगा और अभी तो तारीख की घोषणा भी नहीं हुई है पर यह सिलसिला आरंभ हो गया है।

कांग्रेस में कई मर्तबा ऐसा हुआ है कि टिकट देने का फार्मूला बनाने के पहले यह तय कर लिया जाता है की किस-किस को टिकट नहीं देना है, अपने किस चहेते को फिट करना है, उस हिसाब से फार्मूले बनते हैं। पहले से सर्वे की बात कर दी जाए तो उसे सेट करने में भी कांग्रेसियों को महारत हासिल है। इसकी कुछ झलक सर्वे से निकले चेहरों को लेकर कांग्रेसियों के बीच हो रही है तो कहीं-कहीं खुलेआम विरोध भी हो रहा है। कमलनाथ तक इसको लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजी पहुंच चुकी। सबसे दिलचस्प मामला अनूपपुर का है जहां पर कांग्रेस ने विश्वनाथ सिंह कुंजाम को उम्मीदवार घोषित कर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह की राह में कांटे बिछाने की कोशिश की। अनूपपुर और शहडोल में कांग्रेसियों के बीच चर्चा है कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रमेश को टिकट ना मिल जाए इसलिए कुंजाम को सर्वोत्तम उम्मीदवार सर्वे में सिद्ध करा दिया। लेकिन अब संकेत मिले हैं कि बिसाहूलाल के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में कुंजाम की जगह रमेश ताल ठोंक सकते हैं। उन्होंने कमलनाथ से मुलाकात के बाद मिले संकेत के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी दे दी। रमेश संयुक्त कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं और चुनाव लड़ने की उन्होंने इच्छा व्यक्त की है। कांग्रेस ने उन्हें अनूपपुर जो कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित क्षेत्र है, से चुनाव मैदान में उतारने का लगभग मन बना लिया है। दावा यही किया जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष ने अनुकूल संकेत दिया है। टिकट के अन्य दावेदारों ने रमेश के साथ कमलनाथ से मुलाकात की और उनके बारे में सहमति पत्र दिया। यह भी साफ किया कि जो चयन किया गया है उचित नहीं है। इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति के सामने भी रमेश अपनी ताकत दिखा चुके थे, उस समय 400 वाहनों की रैली रमेश के समर्थन में हुई थी और सबने हम हैं रमेश लिखी हुई टी-शर्ट पहन रखी थी, इसलिए सर्वे में जो नाम आया उसको लेकर सवालिया निशान लगा है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर सीट से आशा दोहरे नाम आने पर वहां के कांग्रेसी हलकों में भी आश्चर्य हुआ क्योंकि सबको उम्मीद थी की सर्वे में हरी बाबू राय का नाम होना चाहिए था, क्योंकि वह काफी सक्रिय हैं। रायसेन के सांची और नेपानगर से घोषित कांग्रेस उम्मीदवारों को भी कमजोर बताया जा रहा है। ग्वालियर- चंबल संभाग में भी आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर कांग्रेसियों को घोषित उम्मीदवारों के नामों पर एतराज है। सूत्रों के अनुसार अब कमलनाथ खुद डैमेज कंट्रोल का मोर्चा संभालने वाले हैं।
महिला व बाल विकास मंत्री इमरती देवी जो कि डबरा से भाजपा उम्मीदवार होंगी, उनका एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह दावा कर रही हैं कि उपचुनाव में सरकार बचाने के लिए हमें सिर्फ 8 सीटों पर जीतना काफी है और कांग्रेस को सभी 27 सीट जीतना होगा और क्या हम हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे। सत्ता सरकार में इतनी दम होती है कि जिस कलेक्टर को फोन करेंगे वह सीट हम जीत जाएंगे। इमरती देवी ने कहा है कि वायरल वीडियो गलत और झूठा है मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा, चुनाव तो बीजेपी ही जीतेगी। कांग्रेस नेता एडवोकेट जेपी धनोपिया ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को लिखित शिकायत कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने एक ट्वीट में कहा है कि इसी से समझा जा सकता है कि आगामी उपचुनाव में भाजपा सत्ता के दम पर कैसे चुनाव जीतना चाहती?कांग्रेस चुनाव आयोग को वीडियो भेज रही है, क्योंकि मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंच गया है इसलिए जांच के बाद यह पता चल ही जाएगा कि इमरती देवी और कांग्रेस में से कौन सच बोल रहा है।

बहुजन समाज पार्टी के बारे में अक्सर यह बातें बाहर आती रही हैं कि चुनाव में पैसे लेकर टिकट बांटे जाते हैं। मुरैना विधानसभा का टिकट 10 लाख रुपए में बेचे जाने का ऑडियो कुछ दिनों में पहले वायरल हुआ था। पार्टी के मुरैना जिला अध्यक्ष डॉ. रमेश कुशवाहा और पूर्व में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके महेश मावई के बीच बातचीत का ऑडियो था, जिसमें मुरैना से पार्टी के टिकट के बदले बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल को दस लाख रुपए दिए जाने का जिक्र है। इसे वायरल करने के लिए एक जोन प्रभारी को दोषी ठहराते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। प्रदेश में अब 28 चुनाव होना है और ऑडियो के वायरल होने के बाद दलित सियासत में सनसनी है। रामप्रकाश राजौरिया को लेन-देन के बदले टिकट मिलने का आरोप लगाया गया है।

और अंत में…….

भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक पुलिस वाहन में चुनाव सभा में जाने और उसका फोटो वायरल होने के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल के लिए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने निर्वाचन आयोग को फोटो सहित शिकायत की थी। इस पर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने 3 दिन के भीतर जवाब-तलब किया था। मिश्रा के अनुसार सिंधिया द्वारा डबरा में पुलिस वाहन द्वारा प्रचार करने पर गृह विभाग ने ईसी को हास्यास्पद जवाब भेजा है। मिश्रा ने सवाल किया है कि क्या वे किसी की मौत पर शोक व्यक्त करने गए थे, पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ भाषण देना क्या सरकारी दौरा है ? उन्होंने तंज किया कि महल निवासी सिंधिया क्या इतने गरीब है कि 50 किलोमीटर की यात्रा के लिए पुलिस वाहन का उपयोग करें, अब कोर्ट जाऊंगा।

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