घटिया चावल की जांच में परत -दर-परत उजागर होते खुलासे

– अरुण पटेल

बालाघाट तथा मंडला जिलों में अमानक (पोल्ट्री ग्रेड) चावल पीडीएस दुकानों से वितरित करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ईओडब्ल्यू को जांच सौंपने के साथ ही तीखे तेवर दिखाए जिसके बाद नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ अधिकारियों पर गाज गिरी थी। इस मामले में परत -दर-परत जो खुलासे हो रहे हैं वह काफी चौंकाने वाले हैं। यह बात सामने आई है कि माफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला ढाई सौ करोड़ रुपए तक पहुंचा है। जांच में इस बात का खुलासा हो चुका है कि राजनेताओं के संरक्षण में इस गठजोड़ ने घटिया चावल गोदामों तक पहुंचाया है। इस प्रकार के घपले-घोटाले उस स्थिति में ही अंजाम दिए जा सकते हैं जबकि राजनेताओं का संरक्षण हो। इसलिए जरूरी है कि संरक्षण देने वाले राजनेता किसी भी दल के हों उन्हें न केवल बेनकाब किया जाना चाहिए बल्कि कार्रवाई भी की जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले घोटालों पर रोक लग सके। प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राशन माफिया हर साल 1000 करोड़ का घोटाला करता है।

जहां तक घटिया राशन वितरण का सवाल है इसके तार किसी एक दल या एक सरकार तक जुड़े नहीं हैं क्योंकि पीडीएस की दुकान जिनके पास है वह लोग किसी ना किसी दल से जुड़े रहते हैं और दलीय सीमाओं से परे जांच होना चाहिए। इसके लपेटे में जो भी आएं उसे बख्शा नहीं जाना चाहिए तभी मुख्यमंत्री चौहान ने जो इरादे मामले की गंभीरता को देखते दिखाए थे उस मंशा की पूर्ति हो सकेगी। जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही होने की जगह अभी केवल चावल वापस लौटाया जा रहा है। जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उस परिपेक्ष में शिवराज सरकार और कुछ कड़े कदम उठाते हुए जांच की दिशा तय करने वाली है ताकि उन लोगों पर भी कार्रवाई हो सके जिनकी मिलीभगत से इसे अंजाम दिया गया था। फिलहाल ईओडब्ल्यू ने कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की है लेकिन वह भी जल्दी जांच को किसी मुकाम तक पहुंचाने के लिए कदम उठा सकती है। सर्वाधिक 47 करोड़ रुपए का घटिया चावल बालाघाट में पाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा की गई जांच रिपोर्ट का मामला तूल पकड़ने के बाद 73 हजार 540 टन चावल मिलर्स को लौटाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार यह बात जांच में सामने आई है कि यह खेल बिना अधिकारी, मिल संचालक और गोदाम कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है। नियमानुसार चार स्तर पर जांच का प्रावधान है इसके बाद भी प्रदेश के 22 जिलों में 73,540 टन अमानक स्तर का चावल गोदामों तक पहुंच गया, जिसकी अनुमानित कीमत ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई है। हालांकि नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष प्रधुम्न सिंह लोधी का कहना है कि जो भी दोषी होंगे और किसी भी स्तर पर क्यों ना हो, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

घटिया चावल की जांच प्रदेश के सभी जिलों में शुरू हो गई है तथा गोदामों से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। जांच में पता चला है कि मिलर्स ने अच्छे चावल को बाजार में बेचा और खराब चावल को जिला प्रबंधकों से मिलकर गोदामों में रखवाया और इस प्रकार घोटाला किया गया। इस मामले में जिला प्रबंधकों की बड़ी संलिप्तता सामने आ रही है क्योंकि उन्होंने खराब चावल को अच्छा बता कर गोदामों में रखवा लिया था। अभी तक 1550 सैंपल लिए गए इनमें से 535 की रिपोर्ट आ गई है और उसमें से 70 सैंपल अमानक पाए गए हैं। अब उन सभी गोदामों से सैंपल लिए जा रहे हैं जहां चावल रखे हुए हैं।

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने हर साल 1000 करोड़ का घोटाला का राशन माफिया द्वारा करने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि गोंदिया, बालाघाट और वारासिवनी के मिलर्स के 10 साल के बिजली बिलों की जांच की जाना चाहिए। गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि छतरपुर जिले के नौगांव ब्लॉक में रंगोली और मवइया प्राथमिक शाला में 3 सितंबर को जानवरों के खाने योग्य अनाज वितरित किया गया। यह हरपालपुर भंडार और शहडोल तथा बालाघाट से भेजा गया था। इसका अर्थ है कि पूरा प्रशासन दोषियों को पकड़ने की बजाय माल को खपाने के काम में लगा है। गुप्ता ने मांग की कि जिन अधिकारियों ने पूरे प्रदेश में छापामारी शुरू हो जाने के बावजूद स्कूली बच्चों को जानवरों के खाने योग्य अनाज सप्लाई किया है उनकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का आरोप है कि प्रदेश में राशन दुकानो से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पोल्ट्री ग्रेड के चावल के वितरण के बाद अब सड़े हुए गेहूं का वितरण किया जा रहा है।इसमें भी भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। सलूजा ने सवाल किया कि इस भ्रष्टाचार का पैसा आख़िर किसकी जेब में जा रहा है ?

और अंत में…

प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि केवल नगरों में रजिस्ट्री चार्ज में छूट देना बाकी जनता के साथ भेदभाव है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरचार्ज के बजाय पूरे प्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी कम करना चाहिए। अजय सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री चौहान ने ज़मीनों, मकानों की रजिस्ट्री पर लगने वाला सरचार्ज केवल नगरीय क्षेत्रों में दो प्रतिशत कम करके ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को फिर से ठगा है। किसानों के हित में यह छूट तो पूरे प्रदेश में दी जाना चाहिए थी। यह निर्णय एक ही प्रदेश में रहने वाली जनता के साथ भेदभाव और दोहरा व्यवहार है। उन्होंने कहा कि अव्वल तो यह निर्णय प्रथम दृष्टया ही कुछ खास लोगों के फायदे के लिये लिया गया है। सरचार्ज में छूट साल दो साल के लिए न देकर केवल साढ़े तीन महीने के लिए, यानी 31 दिसंबर तक के लिए ही दी जा रही है। इसका क्या कारण है ? जाहिर है कि आगामी उपचुनाव में लोगों को लुभाने के लिए यह भेदभाव पूर्ण निर्णय लिया गया है। यदि भाजपा सरकार वाकई रियल स्टेट में मंदी से चिन्तित है तो उसे यह छूट स्टाम्प ड्यूटी पर कम से कम एक साल के लिए पूरे प्रदेश में एक समान देना चाहिए ताकि अधिकतम लोग इसका लाभ ले सकें।

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