– अरुण पटेल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भाजपा विधायकों और सांसदों को एकजुट होने का मंत्र देते हुए यह कहने के साथ ही कि अब लेटरहेड पर नाम से काम नहीं चलेगा और सभी 27 सीटें हर हाल में जीतना है, के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा (वीडी) द्वारा अंततः देर से ही सही अपनी टीम में पांच महामंत्री शामिल किए हैं उनका अभी कसौटी पर कसा जाना बाकी है। क्षेत्रीय और जातीय दृष्टि से भले ही उनकी नई टीम संतुलित हो लेकिन इसके बाद भी महाकौशल को उसमें जगह नहीं मिली है। मंत्रिमंडल विस्तार में भी महाकौशल के हाथ कुछ नहीं लगा था। सभी भाजपा कार्यकर्ता और नेता एकजुट होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए लोगों के साथ मिलकर चुनाव जीतने के लिए प्राणपण से जुट जाएं, की दृष्टि से शिवराज ने याद दिलाया था कि जलवा और रुतबा तभी तक बरकरार है जब तक हमारी सरकार है। उनका कहने का अर्थ यही था कि यदि सरकार गई तो जलवा और रुतबा दोनों चले जाएंगे। अब यह तो बाद में पता चलेगा कि कितने रूठे हुए असंतुष्ट जो कि अपने आपको पार्टी का हितचिंतक मानते हैं उन पर इसका क्या असर पड़ता है। लेकिन कांग्रेस ने इसको लेकर तंज कसने में जरा भी देरी नहीं की है।
पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को दिए शिवराज के कथन पर आज सोमवार को प्रतिक्रिया देते ट्वीट किया है कि बड़ा आश्चर्यजनक है कि जो पहले समर्पण, जनसेवा और त्याग की बात बढ़-चढ़कर किया करते थे, वो आज जलवा, रुतबा और मलाई की बात करते हैं? जो पहले नीति, सिद्धांत,मूल्यों का दावा करते थे वो आज सत्ता के लिए खरीद-फरोख्त, सौदेबाजी, प्रलोभन की बात करते हैं? प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि गद्दारों का रुतवा और जलवा बचाने के लिये नहीं है जनता का वोट। गुप्ता ने भाजपा की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस भाषण को भाजपा नेताओं के छुपे हुए राजनीतिक उद्देश्यों एवं लक्ष्य का द्योतक बताया जिसमें उन्होने कहा है कि अगर ये जलवे बचाना है रुतवा बचाना है तो किसी भी तरह ये चुनाव जीतो। यही भाजपा की राजनीतिक सोच है।
उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है और मुख्यमंत्री का यह कहना कि केवल लेटरहेड पर नाम से ही काम नहीं चलेगा बल्कि सबको मेहनत करना होगी। इसका मतलब साफ है कि सत्ता और संगठन में बैठे लोगों के लिए यह जरूरी होगा कि वह उपचुनाव में अपनी परफॉर्मेंस दिखाएं। विष्णु दत्त शर्मा ने 5 महामंत्रियों की घोषणा की है वह पद तो पा गए हैं अब उन्हें अपनी उपादेयता भी चुनावी चुनौती के बीच साबित करना होगी। पांच नए महामंत्री ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य अंचल, भोपाल और मालवा का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रादेशिक फलक पर इन्हें अभी अपनी छाप छोड़ना बाकी है। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनको शायद पूरे प्रदेश में लोग ना जानते पहचानते हों पर उन्हें अब अपनी पहचान बनाने के साथ ही पार्टी ने जिस भरोसे उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है, उस पर खरे उतरने की चुनौती का भी सामना करना है। रणवीर सिंह रावत भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, इस कारण प्रदेश में किसानों के बीच वह एक जाना पहचाना नाम हैं। शिवपुरी जिले के करेरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं तथा पिछड़ा वर्ग से आते हैं और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काफी नजदीकी हैं। उपचुनाव की चुनौती को देखते हुए उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण माने जाने वाला महामंत्री का पद दिया गया है।एक ओबीसी चेहरा होने के कारण और किसान मोर्चे में उनकी सक्रियता को देखते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। हरिशंकर खटीक पहले राज्यमंत्री रह चुके हैं और हाल के विस्तार में मंत्री बनते-बनते रह गए थे, उन्हें पार्टी में महामंत्री बनाकर बुंदेलखंड अंचल को प्रतिनिधित्व दिया गया है। वह अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं। शरदेंदु तिवारी उस समय प्रदेश में सुर्खियों में आए जब उन्होंने चुरहट विधानसभा क्षेत्र में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को पराजित किया। वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी माने जाते हैं और एक युवा ब्राह्मण चेहरा हैं। उनकी लंबी राजनीतिक पृष्ठभूमि है। उनके दादा चंद्र प्रताप तिवारी खाटी समाजवादी नेता थे और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे। विंध्य की राजनीति में विधायक तिवारी नया नाम नहीं और न ही अनजान चेहरा हैं लेकिन संगठन में उन्हें सीधे महामंत्री का जो पद मिला है उस कसौटी पर उनका कसा जाना अभी बाकी है। कविता पाटीदार सुंदरलाल पटवा सरकार में कद्दावर मंत्री और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष भेरूलाल पाटीदार की पुत्री हैं । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की समर्थक होने के साथ ही साथ महिला होने के नाते संगठन में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली है। संगठन में वे प्रदेश मंत्री और इंदौर जिला जनपद पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वह भी ओबीसी हैं तथा इंदौर-उज्जैन संभाग में पाटीदार मतदाताओं की बड़ी संख्या है और कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भी रहती है इसलिए उपचुनाव की दृष्टि से उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। भगवानदास सबनानी सिंधी समुदाय से आते हैं और भोपाल जिला भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं तथा उमा भारती के कट्टर समर्थक हैं। वह अच्छे संगठक भी हैं। उमा भारती के साथ भाजपा छोड़कर जनशक्ति पार्टी में गए और बाद में भाजपा में लौट आए।
और अंत में……..
कमलनाथ प्रदेश में होने वाले उपचुनावों की अभी तक की तैयारियों का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फीडबैक देने के लिए कल मंगलवार को नई दिल्ली जाने वाले हैं। राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक को भी फीडबैक देंगे। इस पर तंज करते हुए प्रदेश के गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कहीं भी जाएं पर कांग्रेस के कार्यक्रम में जाने से परहेज है कमलनाथ को। ऐसा नहीं लगता कि कमलनाथ ट्वीट से आगे जा पाएंगे।