शालेय शिक्षक प्रधान पाठक संघ ने 27 साल बाद B.Ed/ D.Ed के दो वेतन वृद्धि रोकने के आदेश का किया विरोध

 रायपुर/  शालेय शिक्षक प्रधान पाठक संघ ने 16 जून 1993 को B.ed /D.ed को अनिवार्य योग्यता बना दिए जाने के कारण का उल्लेख करते हुए 27 साल बाद, 1993 के बाद देय दो अग्रिम वेतन वृद्धि की राशि वसूल करने के संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग के आदेश की निंदा की है l
   संघ के प्रांत अध्यक्ष मनोज साहू, सचिव सुरेश वर्मा, संतोष शर्मा ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में बताया है कि यह आदेश कोर्ट की अवमानना है l उन्होंने कहा है कि यदि 1993 के बाद किसी को दो वेतन वृद्धि की पात्रता नहीं थी तो स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा ,1998,  2007,2011 ,2014 ,2016 ,2017, आदि में शिक्षकों को वेतन वृद्धि जारी करने का आदेश कैसे जारी हो गया l दरअसल अधिकांश आदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद जारी हुआ है जिसमें शासन के द्वारा 16 जून 1993 को B.Ed /D.ed को अनिवार्य योग्यता बनाने का तर्क रखकर 1993 के बाद नियुक्त शिक्षकों को दो वेतन वृद्धि नहीं देने का तर्क रखा था जिसे माननीय हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया अर्थात शासन की कोर्ट में हार हुई थी ।  हाईकोर्ट के दो वेतन वृद्धि प्रदान करने के निर्णय के परिपालन में शासन द्वारा उक्त सभी आदेश जारी किए गए थे । संघ के संयोजक अमित तिवारी, जिला अध्यक्ष ओमकार वर्मा, संजय यदु , महेश सरसीहा ने कहा है कि अधिकारियों द्वारा पूर्व के कोर्ट प्रकरणों का बिना अध्ययन के ही दिनांक  03/07 2020 को 1993 के बाद नियुक्त शिक्षकों को वेतन वृद्धि नहीं दिए जाने के आदेश जारी किया गया  जो कि कोर्ट की अवमानना है तथा कोई भी पश्चवर्ती आदेश पुर्ववर्ती आदेश को प्रभावित नहीं करता है। संघ के पदाधिकारियों ने इस निर्णय के विरोध में हर स्तर पर लड़ाई लड़ने की बात कही है।

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