गणेश विसर्जन के बाद पितृ पक्ष शुरू, पूर्वजो के लिए 15 दिन तक मनायेंगे

बेमेतरा/ लगातार 11 दिन तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना के बाद भक्तों ने विधि विधान एवं सादगी के साथ विसर्जन किया। इस दौरान लोग भगवान गणेश की जयकारे भी लगाते रहे। मंगलवार को अनंत चौदस के दिन भगवान गणेश की सुबह पूजापाठ और हवन करने के बाद आरती की गई। उसके बाद तालाबों में विसर्जित किया गया।बुधवार से पितृपक्ष शुरू होगा जो 15 दिन तक जारी रहेगा। इस दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाएगा। यह कहा जाता है कि यदि पितर नाराज हो जाए तो व्यक्ति का जीवन भी परेशानीऔर तरह-तरह की समस्याओं में पड़ जाता है और खुशहाल जीवन खत्म हो जाता है। घर में भी अशांति फैलती है। व्यापार और गृहस्थी में भी हानी होती है। ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना आवश्यक है। श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान और तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जाना जरूरी माना जाता है। 17 सितंबर को खत्म होगा हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं। इनकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन अमावस्य पर होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल सितंबर में पित पक्ष की शुरुआत होती है। आमतौर पर पितृ पक्ष 16 दिन का होता है इस साल पितृ पक्ष 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को खत्महोगा।

ये है प्रमुख दिन और श्राद्ध,

2 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध, 3 को द्वितीया का श्राद्ध, 5 को तृतीया का श्राद्ध, 6 को चतुर्थी का श्राद्ध, 7 को पंचमी का श्राद्ध.8 को षष्ठी का श्राद्ध, 9 को सप्तमी का श्राद्ध, 10 को अष्टमी का श्राद्ध, 11 को नौवीं का श्राद्ध, 12 को दशमी का श्राद्ध, 13 को एकादशी का श्राद्ध, 14 को द्वादशी का श्राद्ध, 15 को त्रयोदशी का श्राद्ध, 16 को चतुर्दशी का श्राद्ध, 17 को अमावस का श्राद्ध है।

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