भारत का लोकतंत्र हजारों वर्षों की ज्ञान-परंपरा का आधुनिक पुनर्जन्म: सांसद बृजमोहन

*“ज्ञान ही लोकतंत्र की आत्मा—संगोष्ठी के शुभारंभ पर बोले सांसद बृजमोहन अग्रवाल”*

*भारतीय ज्ञान प्रणाली ने दुनिया को मार्ग दिखाया, हमारी शिक्षा राष्ट्रनिर्माण का आधार बने: सांसद बृजमोहन*

*“लोकतंत्र की जड़ें भारतीय संस्कृति में, नई शिक्षा नीति से सशक्त हो रहा भारत: सांसद बृजमोहन”*

रायपुर। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल ने शासकीय जे. योगानंदम् छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में “भारत में लोकतंत्र के 75 वर्ष एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपने विशिष्ट ज्ञान, प्रखर वक्तृत्व और भारतीय लोकतंत्र की मूल आत्मा पर गहन दृष्टि रखते हुए कहा कि “भारत का लोकतंत्र 75 वर्षों की यात्रा नहीं, हजारों वर्षों की ज्ञान परंपरा का आधुनिक पुनर्जन्म है।”

उन्होंने बताया कि भारत की लोकतांत्रिक शक्ति की जड़ें केवल संविधान में ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, वेदों, उपनिषदों और हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा की उस मिट्टी में समाई हैं, जिसने दुनिया को “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का संदेश दिया और आधुनिक राजनीति ने उसे “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के रूप में साकार किया है।

सांसद अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में भारतीय ज्ञान प्रणाली के वैश्विक योगदान, राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था की महत्ता और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई शिक्षा नीति के माध्यम से ज्ञान आधारित लोकतंत्र को और मजबूत करने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि, “ज्ञान ही लोकतंत्र की आत्मा है। ज्ञान अमृत से कम नहीं, और ज्ञानवान व्यक्ति युगों तक अमर रहता है।”

उन्होंने स्पष्ट कहा कि आज विश्व अनेक उथल-पुथल से गुजर रहा है, लेकिन भारत अपनी स्थिरता और शांति के साथ दुनिया के सामने लोकतांत्रिक चेतना का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इसका कारण हमारी सदियों पुरानी ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक चेतना है।

सांसद अग्रवाल ने अफसोस जताया कि लंबे समय तक भारतीय ज्ञान परंपरा को उपेक्षित किया गया और विदेशी लेखकों को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने आग्रह किया कि समय की मांग है कि सीविश्वविद्यालयों और कक्षाओं में भारतीय साहित्य, वेद–पुराण और स्वदेशी शोध को सम्मानजनक स्थान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि, हमारी शिक्षा केवल डिग्री देने वाली न हो, बल्कि राष्ट्र को मजबूत बनाने वाली हो। भारतीय ज्ञान परंपरा को जन-जन तक पहुंचाना ही नवभारत के अमृत महोत्सव का सच्चा मार्ग है।

कार्यक्रम में कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर, उद्योगपति श्री विजय गोयल, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. तपेश गुप्ता, शिक्षगण एवं बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित रहे।

संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे और भारत के ज्ञान-आधारित लोकतंत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।