नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नीट पीजी डिग्री कोर्सेज ( NEET Post Graduate degree courses ) में इन-सर्विस डॉक्टरों को आरक्षण का लाभ देने की अनुमति दे दी है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि दूरदराज क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों को पीजी दाखिले में आरक्षण देने की शक्ति राज्य सरकार को है।
जस्टिस अरुण मिश्रा, विनित सरन, इंदिरा बनर्जी, एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की पांच जजों की पीठ ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के पास पीजी कोर्सेज में प्रवेश के लिए इन-सर्विस डॉक्टरों को आरक्षण देने या न देने की कोई शक्ति नहीं है।हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि इसके लिए डॉक्टर का दूर दराज/ग्रामीण इलाके में पांच साल तक काम करने का बॉन्ड साइन किया होना अनिवार्य है। पीठ ने कहा कि एमसीआई एक सांविधिक संस्था है तथा आरक्षण संबंधी प्रावधान बनाने का उसे कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन तथा अन्य की याचिका पर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि आरक्षण लाभ देने से सरकारी अस्पतालों तथा ग्रामीण इलाकों में कार्यरत पेशेवरों को प्रोत्साहन मिलेगा। केंद्र सरकार और एमसीआई ने यह कहकर याचिका का विरोध किया था कि इस तरह से आरक्षण देने और अलग स्त्रोत से इन-सर्विस डॉक्टरों के प्रवेश से एमसीआई की अथॉरिटी प्रभावित होगी। साथ ही इससे मेडिकल एजुकेशन के स्तर पर भी असर पड़ेगा। पीजी डिप्लोमा कोर्सेज की 50 फीसदी सीटें सरकारी डॉक्टरों के लिए आरक्षित हैं। लेकिन एमसीआई नियमों के मुताबिक पीजी डिग्री कोर्सेज में सरकारी डॉक्टरों के लिए कोई आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्सेज के सभी दाखिले नीट पीजी परीक्षा के आधार पर होते हैं। 50 फीसदी सीटें ऑल इंडिया कोटा से और 50 फीसदी राज्य कोटा से भरी जाती हैं। ऐसे में इन-सर्विस डॉक्टर उम्मीदवारों का कहना था कि वह जनता की सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं। व्यस्तता के चलते उन्हें नीट पीजी परीक्षा की तैयारी का समय नहीं मिल पाता।