रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर ने गुरुवार को अपना 14वां स्थापना दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनका स्वागत संस्थान के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) और डी.डी.ए. लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह चौहान ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि एम्स रायपुर ने स्वास्थ्य सेवाओं, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने याद किया कि रायपुर नगर निगम आयुक्त और बाद में कलेक्टर के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने इस संस्थान की वृद्धि को करीब से देखा है। वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में एम्स रायपुर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं का और बड़ा केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और भारत की वास्तविक शक्ति युवा हैं और युवाओं में निवेश ही देश को विकासशील से विकसित राष्ट्र बना सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार एम्स रायपुर को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने संकाय, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 14 वर्षों में एम्स रायपुर रोगी देखभाल, शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान का उत्कृष्ट केंद्र बन चुका है। उन्होंने बताया कि संस्थान सुपर-स्पेशियलिटी सेवाओं के विस्तार, चिकित्सा अनुसंधान और डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार जैसे टेलीमेडिसिन व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉडल्स पर विशेष जोर दे रहा है।
पूर्व छात्र संघ की ओर से प्रो. एली मोहापात्रा ने संदेश भेजते हुए कहा कि देश और विदेश में कार्यरत सभी पूर्व छात्र इस संस्थान की सफलता और उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
स्थापना दिवस के मौके पर छात्रों द्वारा तैयार एआई-संलग्न चिकित्सा मॉडल्स की प्रदर्शनी लगाई गई। इसके साथ ही मॉडल प्रतियोगिता, वाद-विवाद, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में छत्तीसगढ़ की लोक विरासत पर आधारित नृत्य, संस्थान की यात्रा पर आधारित नाटक और शास्त्रीय नृत्य शामिल थे। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया।
समारोह का समापन वरिष्ठ संकाय और प्रशासकों द्वारा वृक्षारोपण के साथ हुआ। आयोजन को सफल बनाने में डॉ. एकता खंडेलवाल और छात्र संघ की अहम भूमिका रही, जबकि संचालन डॉ. प्रज्ञा अग्रवाला ने किया।