डॉक्टरों की पीजी पढ़ाई गरीब वर्ग के लिए सपना, बॉण्ड बना सर दर्द

रायपुर। छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की पढ़ाई और गांव में अनिवार्य पोस्टिंग देने के लिए बॉण्ड भराने के नाम पर सरकार छात्रों पर नकेल कस रही है। जो छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद डॉक्टर को 2 साल बॉण्ड के तहत सेवा देने की बाध्यता है किंतु वहीं छात्र ,वही डॉक्टर यदि एमडी अथवा एम एस या पीजी करने जाना चाहता है तो उसे 25 लाख रुपए की बैंक गारंटी अथवा अपनी जमीन गिरवी रखना होगा तभी वह छात्र उच्च शिक्षा के लिए जा सकेगा। सरकार का यह अजीबोगरीब नियम आज डॉक्टर बनने का सपना संजोए गरीब छात्रों के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है और उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। अब सवाल यह उठता है कि यदि किसी छात्र के पास ना नगदी की व्यवस्था है और ना ही जमीन अथवा संपत्ति है तो वह कैसे करेगा और उसका उच्च शिक्षा का सपना, सपना ही रह जाएगा। प्रदेश में ऐसे सैकड़ो डॉक्टर छात्र हैं जो इन समस्याओं से जूझ रहे हैं पर अभी उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। होना तो यह चाहिए कि सरकार उन्हें एक मात्र एफिडेविट लेकर के उच्च शिक्षा अध्ययन करने के लिए जाने की अनुमति प्रदान करें ताकि बच्चों का भविष्य बने देश का भविष्य बने। एफिडेविट में सरकार इस बात की गारंटी ले कि वह छात्र वापस आकर अपनी बॉण्ड की सेवा अवधि पूरी करें। एक तरफ सरकार कहती है कि उसके पास डॉक्टर की बहुत कमी है और दूसरी तरफ बॉण्ड के जरिए उनके सपनों पर कुठाराघात करती है। ऐसे में सरकार को इस सम्बन्ध में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

*शिक्षा के अधिकार का हनन*

सरकार यदि किसी भी छात्र को उच्च शिक्षा में जाने से रोड़ा अटकाती है तो शिक्षा के अधिकार में यह हनन का मामला बनता है। परंतु सरकार के आगे छात्र विवश है और उनके उच्च शिक्षा का सपना अंधकार में पड़ा हुआ है। छात्रों की माने तो विगत वर्ष भी इस मांग को लेकर के छात्रों ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मुलाकात करके बॉण्ड की शर्त को हटाने की मांग की थी जिस पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने हटाने का पूरा आश्वासन दिया था, परंतु अभी तक हटाया नहीं गया है। आने वाले दिनों में नीट पीजी के लिए काउंसिलिंग शुरू होने वाली है। छात्रों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से यह मांग की है कि उच्च शिक्षा अध्ययन में जो बंधन लगा हुआ है उसे हटाया जाए। छात्रों का कहना है कि सरकार उसके पहले 25 लाख रुपए वाली बॉण्ड की शर्त को हटाने का आदेश जारी करें ताकि हमें उसका लाभ मिल सके और बिना तनाव के नीट पीजी की काउंसिलिंग में भाग ले सकें।

अधिकारियों का रवैया टालमटोल

इस विषय को लेकर संबंधित मंत्री से जानकारी लेने का प्रयास किया, किंतु उनके शहर से बाहर होने के कारण इस विषय पर उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। मंत्री के अलावा जिम्मेदार अधिकारियों से भी बातचीत करने का प्रयास किया गया। लेकिन अधिकारियों के टालमटोल रवैया के कारण संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया।