‘सुशासन तिहार’ पर सियासत

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार का सुशासन तिहार संपन्न हो गया। इस पर सियासत शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से शब्दों के तीर चलने लगे हैं। सरकार इसे जनता से संवाद का माध्यम बता रही है, तो कांग्रेस इसे ‘राजनीतिक शो’ करार दे रही है। 54 दिनों तक चले इस तिहार के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के सभी 33 जिलों का दौरा किया और यह जानने का प्रयास किया कि वे जो कुछ राज्य की जनता के लिए कर रहे हैं। जो योजनाएं बनाई जा रही है, उसका लाभ समाज के अंतिम छोर के लोगों तक पहुंच पा रहा है या नहीं। उन्होंने समाधान शिविर के जरिए गांवों में चौपाल लगाकर सीधे ग्रामीणों से बातचीत कर योजनाओं की हकीकत जानी और जो भी समस्याएं सामने आई उन्हें यथासंभव समाधान करने का प्रयास किया। सुशासन तिहार के अंतिम पड़ाव में धमतरी के समाधान शिविर में पहुंचे मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रदेश भर में 40 लाख से अधिक आवेदन आए जिनमें से करीब 95 प्रतिशत आवेदनों का समाधान किया जा चुका है। हमारा मानना है कि यदि ऐसा हुआ है तो यह सुशासन तिहार की सफलता है। साथ ही इस बात का प्रमाण भी है कि प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदायी और संवेदनशील है। हालांकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे नाकामियों को छिपाने का प्रयास करार दे रही है। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सरकार के दावों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि ‘सुशासन तिहार’ केवल एक दिखावा और राजनीतिक शो है, जिसका उद्देश्य जनता के बीच झूठा प्रभाव पैदा करना है। उनका कहना है कि अगर वास्तव में सुशासन होता तो इतनी बड़ी संख्या में (40 लाख से अधिक) आवेदन आते ही नहीं। ये आवेदन ही इस बात का प्रमाण हैं कि लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। वहीं,
मुख्यमंत्री साय ने ट्विटर पर लिखा था कि, ‘हमारी सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि जनता को योजनाओं का पूरा लाभ मिले। हमारी नीतियां जमीन पर दिखे और यही करने की अपनी कोशिश रही है। सुशासन तिहार के दौरान मुझे शासन की योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन को देखने का अवसर मिला। जब मैंने स्वयं जाकर स्कूलों, अस्पतालों, आंगन बाड़ियों, राशन दुकानों, पीएम आवासों और निर्माणाधीन परियोजनाओं का निरीक्षण किया, तो स्पष्ट रूप से समझ आया कि हमारी नीतियां किस प्रकार लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है। गौरतलब है कि आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश भर में बीते 8 अप्रैल से ‘सुशासन तिहार’ के पहले चरण में राज्य के हर जिले में ग्रामीणों से आवेदन लिए गए। दूसरे चरण में आवेदनों पर कार्यवाही की गई और तीसरे चरण में 8 से 10 ग्राम पंचायतों के बीच समाधान शिविरों का आयोजन कर आवेदनों की जानकारी हितग्राहियों को दी गई। इस दौरान पूरे प्रदेश में प्रशासन अलर्ट मोड पर रहा। अधिकारियों और कर्मचारियों में भी तत्परता दिखाई दी। वे इसलिए भी सतर्क रहते थे कि मुख्यमंत्री का उड़नखटोला कब उनके क्षेत्र में उतर आए और उनसे सीधे सवाल-जवाब हो। दरअसल, किसी को पता ही नहीं होता था कि मुख्यमंत्री कब और कहां जाने वाले हैं। वे अचानक कहीं भी पहुंचकर ग्रामीणों से रूबरू होते थे। ‘सुशासन तिहार’ का उद्देश्य आम जनता की समस्याओं का समयबद्ध निराकरण सुनिश्चित करना, शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करना तथा विकास कार्यों में गति लाने के साथ ही आम जनता, जनप्रतिनिधियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों से सीधा संवाद स्थापित करना था।बहरहाल, ‘सुशासन तिहार’ न केवल समस्याओं के समाधान तक सीमित रहा, बल्कि इसके जरिए शासन की योजनाओं को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास भी किया गया। आम जनता को शासन की योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी दी गई और उनकी शिकायतों का समयबद्ध निराकरण किया गया। इससे जनता और प्रशासन के बीच की दूरियां कम हुई और भरोसा मजबूत हुआ है। साथ ही सुशासन तिहार के जरिए सरकार ने प्रदेश में जनसेवा का नया माध्यम बनाने का प्रयास किया है, लेकिन इसका जनमानस पर कितना सकारात्मक संदेश गया और जनता इससे कितनी संतुष्ट हुई है, यह कह पाना मुश्किल है।