नई दिल्ली / देश में सड़क यातायात को रफ्तार प्रदान करने के लिए मोदी सरकार एक मास्टर प्लान पर काम कर रही है. इसके तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है. देश के सभी राज्य आपस में जुड़ सके और माल का आवागमन सही समय पर हो सके इसके लिए एनएचएआई का यह प्रयास है कि 2025 तक सभी सड़क निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं को पूरा कर दिया जाये. इसके तहत 23 नये हाइवे बनने हैं, साथ ही एक्सप्रेसवे और आर्थिक गलियारा का भी निर्माण होगा. 2025 तक इन सभी का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. दिल्ली-मुंबई, अहमदाबाद-धोलेरा, अमृतसर-जामनगर समेत चार एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य 2023 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है.
एनएचएआई द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक नौ और ग्रीनफील्ड राजमार्ग का कार्य पूरा होने की बात कही गयी है. इन सभी एक्प्रेस वे की कुल लंबाई 78,00 किलोमीटर होगी. इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में 3.3 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. सूरत, शोलापुर, लखनऊ, विशाखपत्नम, चेन्नई, बेंगालुरू, विजयवाड़ा, रायपुर, कोटा, खड़गपुर और सिल्लीगुड़ी तक बनने वाले यह हाइवे और एक्सप्रेस वे से पूरे देश में रोड नेटवर्क मजबूत हो जायेगा. अधिकारियों का कहना है कि इन परियोजनाओं को 2023 और 2024 में पूरा करना है. इसके लिए निविदा अलगे वर्ष निकाली जायेगी.
मौजूदा राजमार्गों के चौड़ीकरण की पारंपरिक प्रणाली से हट कर नए एक्सप्रेस वे का निर्माण का एक बड़ा कदम है. भारी और कार्गों वाहन की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करना इस कदम का मुख्य उद्देश्य है. वर्तमान में भारत में कार्गो वाहन एक दिन में 400 किलोमीटर क दूरी तय करते हैं, जो वैश्विक मानक से लगभग 50 फीसदी कम है. एक्सप्रेसवे बन जाने से इंधन और समय दोनों की बचत होगी.
इन परयोजनाओं के लिए राशि की कमी नहीं हो इसे ध्यान मे रखते हुए राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा एसपीवी स्थापित किया जायेगा. दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए भी एसपीवी स्थापित किया जायेगा. इसके लिए एनएचएआई बोर्ड में ने नीती आयोग, वित्त मंत्रालय और राजमार्ग मंत्रालयों के सदस्यों को शामिल किया गया है. साथ ही एनएचएआई ने एसपीवी की रजिस्टर्ड भी किया है.
राजमार्ग और एक्सप्रेसवे की परियोजना में जो खर्च किया जायेगा, उसकी भारपाई टॉल टैक्स से की जायेगी. इसके तहत राजमार्गों में टॉल वसूलने के लिए किसी भी निजी संस्था को 15 से 20 तक निलामी प्रक्रिया के तहत दी जायेगी. इस मॉडल को टॉल ऑपरेट एंड ट्रांसफर के नाम से जाना जाता है. प्राधिकरण के अध्यक्ष ने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल होता है, दूसरी राजमार्ग परियोजनाओं में भी इसे अपनाया जायेगा.