नई दिल्ली/ आंखों में भले ही रोशनी न हो, लेकिन अगर नजरिया दुरुस्त है तो सपनें जरूर हकीकत में बदलते हैं। तमिलनाडु की दृष्टिहीन पूर्णा सुंदरी की कहानी आपको सिखाएगी कैसे आपका जुनून, लगन और मेहनत आपको कामयाबी के शिखर पर पहुंचा सकते हैं। मदुरै की पूर्णा ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 286वीं रैंक हासिल की है। यह उनका चौथा प्रयास था। अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता को दिया।
पूर्णा ने कहा, ‘मेरे माता-पिता ने मेरा काफी साथ दिया। इस कामयाबी का श्रेय मैं उन्हें देना चाहूंगी। यह मेरा चौथा प्रयास था। इस परीक्षा की तैयारी में मैंने 5 साल लगाए।’ 25 वर्षीय पूर्णा सुंदरी को परीक्षा की तैयारी के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, ‘तैयारी में मैंने ऑडियो फॉर्मेट में उपलब्ध अध्ययन सामग्री की मदद ली। इसके अलावा लैपटॉप में स्पीकिंग सॉफ्टवेयर की भी सहायता ली। मेरे माता-पिता ने मुझे किताबें पढ़-पढ़कर सुनाई। इसके अलावा मेरे दोस्त और सीनियर ने मुझे काफी सपोर्ट किया।’
ऐसा नहीं था कि पूर्णा जन्म से ही नेत्रहीन थीं। 5 साल तक उन्होंने एक सामान्य बच्चे की तरह पढ़ाई की। लेकिन इसके उनकी आंखों की रोशनी लगातार कमजोर होती चली गई। कुछ समय बाद उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन उन्होंने अंधेरी जिंदगी में सपने लेना जारी रखा और उन्हें पूरा करने के लिए पूरी लगन के साथ मेहनत करती रहीं।
पूर्णा का कहना है कि वह स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर काम करना चाहती हैं।