सुकमा। सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से घबराकर नक्सलियों के सरेंडर करने का सिलसिला जारी है। दो दिन पहले बीजापुर में 13 नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद अब सुकमा में 2 महिला सहित 9 नक्सलियों ने पुलिस के आगे सरेंडर कर दिया है। इन नक्सलियों ने एसपी किरण चव्हाण के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें से 2 नक्सलियों पर 8-8 लाख रुपए का इनाम है और 4 नक्सलियों पर 5-5 लाख रुपए का इनाम है। सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों पर कुल 43 लाख रुपए का इनाम घोषित था। एसपी ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली राज्य सरकार की नियाद नेल्लानार (आपका अच्छा गांव) योजना से भी प्रभावित थे। इस योजना का उद्देश्य दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाना है। उन्होंने कहा कि अंदरूनी इलाके में पुलिस कैंप स्थापित करने से नक्सली दबाव में थे। चव्हाण ने कहा कि सरेंडर करने वालों में प्लाटून नंबर 24 के कमांडर 34 साल के रनसाई उर्फ ओयम बुस्का और पीएलजीए बटालियन नंबर की एक कंपनी विंग के सदस्य 20 साल के प्रदीप उर्फ रव्वा राकेश हैं। दोनों पर 8 लाख रुपए का इनाम था।
उन्होंने कहा कि चार अन्य कैडरों पर 5 लाख रुपए का इनाम था। एक महिला नक्सली पर 3 लाख रुपए का इनाम था और एक महिला सहित दो अन्य पर 2 लाख रुपए का इनाम था।
चव्हाण ने कहा कि रनसाई 2007 में नारायणपुर जिले में झारा घाटी पर हुए हमले में भी शामिल था, जिसमें सात पुलिसकर्मी मारे गए थे। कहा कि 2007 में रानीबोदली हमले में 55 सुरक्षाकर्मी मारे गए। 2017 में बुर्कापाल (सुकमा) में घात लगाकर हमला किया गया, जिसमें 25 सीआरपीएफ जवान मारे गए और 2020 में मिनपा घात (सुकमा) में 17 सुरक्षाकर्मी मारे गए। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले अन्य कैडर भी सुरक्षा बलों पर कई हमलों में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि कोंटा पुलिस स्टेशन, जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), खुफिया शाखा टीम और दूसरी और 223वीं बटालियन के कर्मियों ने उनके आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिकारी ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक नक्सली को 25,000 रुपए दिए गए और सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास किया जाएगा। पिछले साल सुकमा समेत सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने का संकल्प लिया है। बीजापुर में हाल में नक्सलियों द्वारा बड़ी हिंसक घटना को अंजाम दिया गया था। इसमें 8 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। इस घटना पर दुख जताते हुए शाह ने कहा था कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि वह मार्च 2026 तक भारत की भूमि से नक्सलवाद को मिटा कर ही रहेंगे।