आपकी बात: सत्ता-संगठन में बदलाव के बीच नगरीय निकाय चुनाव की आहट

प्रदेश में इन दिनों एक ओर जहां भाजपा में सत्ता और संगठन में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो दूसरी ओर कांग्रेस में भी नियुक्ति को लेकर कवायद जारी है। इससे इतर पिछले हफ्ते आबकारी घोटाले में पूर्व मंत्री के घर ईडी के छापे ने एक बार फिर प्रदेश का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। बात करें सत्तारूढ़ दल भाजपा की तो यहां सत्ता और संगठन दोनों जगह पद पाने वाले लोग सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश सरकार में फिलहाल 11 मंत्री ही हैं। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली मंत्री पद भी अभी तक नहीं भरा गया है। 90 सदस्यीय विधानसभा में नियम के अनुसार 15% को ही मंत्री बनाया जा सकता है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ में अब तक 13 मंत्री ही बनते रहे हैं। चूंकि हरियाणा में भी 90 सदस्यीय विधानसभा है और वहां 13.5 को 14 मानकर एक अतिरिक्त मंत्री बनते रहे हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी अब 14 मंत्री बनाए जाने की मांग उठने लगी है। इस लिहाज से तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं। लेकिन यह होगा या नहीं इस पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। दो मंत्री पद अनिवार्य रूप से भरने हैं। इसके लिए कवायद भी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पिछले हफ्ते दिल्ली दौरे से लौटने के बाद मंत्री पद भरे जाने को लेकर हामी तो भरी है, लेकिन यह नहीं बताया कि कब नए मंत्री शपथ लेंगे। हालांकि दावेदार सक्रिय हो गए हैं। राजनीतिक गलियारों में जो नाम गूंज रहे हैं, उनमें वरिष्ठ नेता अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक, राजेश मूणत और अमर अग्रवाल के नाम प्रमुख हैं, तो नए विधायकों में गजेंद्र यादव और संपत अग्रवाल के नाम उछाले जा रहे हैं। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव भी मंत्री बनाए जा सकते हैं, क्योंकि संगठन में भी बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में किरणदेव को मंत्री बनाकर किसी नए को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप जा सकती है। हालांकि इसके लिए उच्च स्तर पर लिए निर्णय लिए जाने की बात कही जा रही है। फिलहाल यह सब चर्चा में हैं। मंत्री किसे और कब बनाया जाए यह मुख्यमंत्री का विशेषआधिकार है। संगठन में तो नियुक्तियों का दौर शुरू हो गया है। लगभग सभी जिलों में अध्यक्षों की नई नियुक्ति कर दी गई है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष की बारी आएगी। राजनीतिक गलियारों में यह खबर भी गूंज रही है कि जल्द ही निगम-मंडलों में भी नियुक्तियां की जाएगी। हालांकि यह कहा जा रहा है कि यह नियुक्तियां मंत्रिमंडल विस्तार के बाद की जाएगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से संगठन के नेताओं की चर्चा भी हो चुकी है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो निगम-मंडल में नियुक्तियां भी इसी महीने हो जाएगी। उधर, कांग्रेस में भी संगठन के विस्तार को लेकर माथापच्ची जारी है। कहा जा रहा है कि पदाधिकारियों की सूची तैयार हो गई है और केंद्रीय नेतृत्व से इसे हरी झंडी भी मिल चुकी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा था कि नए साल में जिला अध्यक्षों की दूसरी सूची जारी कर दी जाएगी। नया साल तो आ गया है। दावेदारों में जोश उछाल मार रहा है। देखना है कि सूची कब जारी होगी? वैसे कहा जाता है कि राजनीतिक दलों के खाने के और दिखाने के दांत अलग-अलग होते हैं। ऐसे में दावेदारों को ज्यादा उत्साह दिखाने की जरूरत नहीं है। इससे परे नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आहट भी सुनाई देने लगी है। हर किसी को चुनावी आचार संहिता का इंतजार है। इस बीच, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे के घरों पर ईडी की छापेमारी ने एक बार फिर प्रदेश का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। कांग्रेस-भाजपा के बीच एक बार फिर जुबानी जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़ा किया है। उसका कहना है कि जब-जब प्रदेश में चुनाव होते हैं तो भाजपा विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाती है। ईडी की कार्रवाई इसी का परिणाम है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अभी नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव होने हैं इसलिए ईडी के जरिए विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। तो दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा ईडी की कार्रवाई इनपुट के आधार पर है। उन्होंने कहा कि लखमा कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रहे हैं और इस दौरान शराब घोटाला हुआ है। वहीं पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि ईडी का छापा राजनीति से प्रेरित है। वे विधानसभा में सरकार के खिलाफ लगातार बोल रहे थे। उन्होंने बड़े घोटाले भी उजागर किए हैं। इस वजह से छापा मारा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अनपढ़ हूं, अफसर ने जहां कहा वहां हस्ताक्षर कर देता था। ईडी ने लखमा को पूछताछ के लिए भी बुलाया था। अब यह तो बाद में पता चलेगा कि लखमा के खिलाफ कार्रवाई केवल राजनीति है या कुछ और…! बहरहाल, प्रदेश की राजनीति मंत्रिमंडल विस्तार, कांग्रेस-भाजपा संगठन में नियुक्ति, ईडी की कार्यवाही और नगरीय निकाय तथा पंचायत चुनाव के इर्द-गिर्द घूम रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल में किन-किन लोगों की लॉटरी लगेगी। कौन-कौन संगठन में जाएंगे और लखमा का भविष्य क्या होगा?