0 संजीव वर्मा
मैं नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ईश्वर की शपथ लेता हूँ कि…. सबके साथ न्याय करूंगा। इन्हीं शब्दों के साथ वे लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए। मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली। पंडित नेहरू ने 1952 से 1962 तक लगातार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इस बार नरेन्द्र मोदी के साथ 72 सांसदों ने भी शपथ ली। इससे पहले मोदी सरकार में कभी भी इतने मंत्रियों ने एक साथ शपथ नहीं ली थी। मंत्रिमंडल में 30 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्यमंत्री हैं। इस बार का मंत्रिमंडल कई मायनों में अलग है। इस बार सहयोगी दलों को भी तवज्जों मिली है।हालांकि विभागों के बंटवारे में भाजपा ने सभी अहम विभाग अपने पास रखे हैं। गृह, रक्षा और वित्त समेत कई बड़े मंत्रालय में बदलाव भी नहीं किए गए हैं। खैर, कैबिनेट में
भाजपा से प्रधानमंत्री समेत 61, तेलुगूदेशम पार्टी से 2 और जदयू से दो सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली है। मंत्रिमंडल में 37 नए चेहरों को शामिल किया गया है। वहीं 34 पुराने मंत्रियों को पुन: जगह दी गई है। नई सरकार में वंचित वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का अच्छा खासा ख्याल रखा गया है। अनुसूचित जाति को 7 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 14 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 37 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व मिला है। वहीं, अगड़ी जातियों के 21 और अल्पसंख्यक समुदाय के 5 मंत्री बने हैं। हालांकि मुसलमानों को कोई जगह नहीं दी गई है। सिख से दो तथा ईसाई, जैन और बौद्ध से एक-एक मंत्री बने हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में फूंक-फूंक कर कदम रखना चाह रहे हैं । यही वजह है कि मंत्रिमंडल के गठन में बेहद सावधानी बरती गई है। उनकी टीम में अनुभवी और नए चेहरों के साथ-साथ भरोसेमंद मंत्रियों को मौका दिया गया है। जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो इस बार भी उसे एक राज्यमंत्री का पद ही मिला है। राज्य गठन के बाद से बीते 24 सालों में अब तक एक बार भी कैबिनेट मंत्री नहीं मिल सका है। जबकि प्रदेश गठन के बाद हुए सभी लोकसभा चुनावों में भाजपा को छत्तीसगढ़ से भरपूर समर्थन मिला है। इस बार भी उसे 11 में से 10 सीटें मिली है। लेकिन तीसरी बार बनी मोदी सरकार में पुरानी परंपरा दोहरा दी गई। इस बार बिलासपुर के तोखन साहू को राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें आवास और शहरी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। सबसे खास बात यह है कि तोखन साहू की कहीं कोई चर्चा ही नहीं थी, ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार वरिष्ठ एवं अनुभवी बृजमोहन अग्रवाल, संतोष पांडेय या विजय बघेल में से किसी एक को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। लेकिन हमेशा चौंकाने वाले निर्णय लेने में माहिर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर अपने फैसले से सभी को हैरान कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने तोखन साहू के बहाने साहू समाज को साधने की कोशिश की है। माना जाता है कि प्रदेश में सबसे अधिक साहू समाज की आबादी है। वैसे, प्रदेश की राजनीति में शुरू से ही साहू समाज का दबदबा रहा है। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों में साहू समाज को अच्छा-खासा प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। लेकिन समाज को अब तक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला था। इस बार तोखन साहू को मंत्री बनाकर भाजपा ने इसे भी पूरा कर दिया है। जहां तक छत्तीसगढ़ की राजनीति का सवाल है तो यहां आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की बहुलता है। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने आदिवासी वर्ग के विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी थी और अब ओबीसी वर्ग के युवा नेता को केन्द्रीय राज्यमंत्री बनाकर दोनों वर्ग को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। राज्य में दोनों वर्ग राजनीति की दिशा और दशा तय करने का काम करते हैं। तोखन साहू ओबीसी वर्ग से आते हैं। क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 41 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। ऐसे में भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। हालांकि कुछ लोगों की नाराजगी उसे झेलनी पड़ सकती है। लेकिन राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है। खासकर भाजपा में ऐसे निर्णय की लंबी फेहरिस्त है।