आपकी बात: हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की कवायद

0 संजीव वर्मा 
     देश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच जुबानी हमले और घात-प्रतिघात का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस ने जिस दिन  अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया , उसी दिन से भाजपा और आक्रामक हो गई है। कांग्रेस ने 5 अप्रैल को पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. जगजीवन राम के जन्मदिन के दिन अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया।  जिसे उसने न्याय पत्र नाम दिया है ।  स्वर्गीय जगजीवन राम को सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है।  ऐसा कर पार्टी ने एक संदेश देने की कोशिश की है। घोषण-पत्र में  पांच न्याय और 25 गारंटी के जरिए सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है। गरीब परिवार की एक महिला को हर साल ₹1 लाख, युवाओं के लिए 30 लाख नौकरियां और भूमिहीनों को जमीन देने की बात कही गई है। वहीं, पार्टी में दलबदल करने वाले सांसदों और विधायकों के स्वतः अयोग्य घोषित होने संबंधी कानून बनाने,अगले 10 साल में 23 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने और सशस्त्र सेनाओं में लागू ‘अग्निपथ’ योजना को खत्म करने का वादा किया गया है। इसके अलावा उसने सरकार बनने पर नोटबंदी, राफेल सौदे, पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग और इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की जांच करने की बात भी कही है। साथ ही वह राष्ट्रव्यापी आर्थिक-सामाजिक जातीय जनगणना करने का भी ऐलान किया है । एक बारगी कांग्रेस का यह घोषणा पत्र गांव-गरीब, किसान और युवाओं के साथ ही सभी वर्गों के हित में दिख रहा है। इसके जरिए वह केंद्र की सत्ता का सपना भी सजो रही है। इस बीच,  भाजपा लगातार निशाना साध रही है। हर छोटी-बड़ी चुनावी रैली में वह कांग्रेस के न्याय पत्र को अन्याय की संज्ञा दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो घोषणा पत्र पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि इसमें मुस्लिम लीग की विचारधारा की छाप है। जो चीज बच गई थी उसमें वामपंथी हावी हो गए। पुरानी कांग्रेस दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने कभी आजादी की लड़ाई लड़ी थी। महात्मा गांधी साथ थे, वह दशकों पहले समाप्त हो चुकी है। अब जो कांग्रेस है, उसके पास ना तो देशहित की नीतियां है, ना देश निर्माण का विजन। कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है जो आजादी के आंदोलन के समय मुस्लिम लीग की थी। ऐसी कांग्रेस 21वीं सदी में भारत को आगे नहीं बढ़ा सकती। प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद भाजपा और आक्रामक हो गई है। लेकिन, कांग्रेस  के घोषणा पत्र में कहीं भी ऐसा कोई वादा नहीं किया गया है, जो मुस्लिम लीग की विचारधारा से मेल खाता हो। प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों कहा, यह तो वही जाने।  भाजपा के अन्य नेता भी चुनावी सभाओं में हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर मुखर नजर आ रहे हैं। वह अयोध्या में श्री रामलला के मंदिर उद्घाटन को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते थक नहीं रहे हैं। वे कांग्रेस को सनातन विरोधी बता रहे हैं। हमारा मानना है कि भाजपा हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रही है। जबकि  कांग्रेस ने इसकी काट के रुप में सामाजिक न्याय और संविधान तथा लोकतंत्र की रक्षा को अपना मुख्य हथियार बना लिया है। पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने दो टूक कहा है कि यह सामान्य चुनाव नहीं है, बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। यह 5 फीसदी बनाम बाकी हिंदुस्तान के बीच का चुनाव है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि कांग्रेस ने 1 साल पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित महा अधिवेशन में जो राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया था, लगभग उसी के अनुरूप अपना घोषणा पत्र तैयार किया है। विशेष रूप से हिस्सेदारी न्याय में जाति जनगणना,  आरक्षण पर 50 फीसदी की बंदिश को खत्म करना तथा अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित सभी रिक्त पदों को 1 साल के भीतर भरने और भूमिहीनों को जमीन वितरण करने जैसे वादे प्रमुख हैं । असल में कांग्रेस यह बताने की कोशिश कर रही है कि देश में इस समय संवैधानिक संस्थाओं से लेकर सभी क्षेत्रों में जो एकाधिकार का खेल खेला जा रहा है वह खत्म हो।  इसके लिए संविधान और लोकतंत्र को बचाना होगा। बहरहाल, अब इंतजार भाजपा के घोषणा पत्र का है। देखना होगा वह कितने कसमें-वादे लेकर आती है? लेकिन आखिरी फैसला जनता का ही होगा, क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन होता है।