0 संजीव वर्मा
मिशन-2024 के लिए रणनीति बनाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पटखनी देने के लिए साथ आए 15 विपक्षी दलों ने आपसी मनमुटाव और महत्वाकांक्षा को दरकिनार कर एनडीए के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने पर सहमति का ऐलान किया है। विपक्षी एकता के बहाने कांग्रेस को एक धारदार सियासी हत्यार मिल गया है ,जिसके सहारे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को अच्छी खासी चुनौती दे सकती है। हालांकि दिल्ली सरकार के अध्यादेश को लेकर तकरार के बाद ‘आप’ ने अध्यादेश के विरोध की घोषणा नहीं करने तक कांग्रेस की उपस्थिति वाली बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा कर दी है। ऐसे में बिहार की राजधानी पटना में हुई इस बैठक में फिलहाल भले ही कोई ठोस नतीजा न निकला हो, लेकिन इसके अपने मायने है। कहा जाता है कि बिहार की आबोहवा विपक्ष को रास आता है। बिहार से निकली आवाज दूर तलक तक जाती है। यही वजह है कि भाजपा सरकार को चुनौती देने के लिए बिहार को चुना गया। अंग्रेजों से लड़ाई के लिए चंपारण सत्याग्रह हो या फिर आजादी के बाद आपातकाल में जेपी क्रांति की बात हो। इन आंदोलनों ने सत्ता की नींव को हिलाकर रख दिया था। वैसे तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पटना में जो जन आंदोलन शुरु होता है, वह सफल होता है। यह बैठक ऐतिहासिक रही। बिहार से इतिहास बदलेगा। यहां से बदलाव होगा। ममता की इन बातों में कितना दम है, यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन 23 जून की बैठक के कई निहितार्थ हैं। बैठक में विपक्षी दलों ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने, आगे की रणनीति तय करने और सीटों पर सहमति बनाने के लिए अगले महीने की 10 से 12 जुलाई के बीच शिमला में बैठक करने का निर्णय लिया है। बैठक की सबसे खास बात यह रही है कि विभिन्न राज्यों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के बीच चली आ रही प्रतिद्वंद्विता के चलते जिस तरह के मतभेद की आशंका जताई जा रही थी, वह निर्मूल साबित हुई। साथ ही इस बात पर भी सहमति जताई गई कि फिलहाल वे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार पेश नहीं करेंगे। लेकिन राजद प्रमुख लालू यादव ने अपने चिर-परिचित अंदाज में जिस तरह से राहुल गांधी को दूल्हा बनने की सलाह देते हुए खुद बराती बनने की इच्छा जताई, उसके कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि लालू यादव ने परोक्ष रूप से 2024 के लिए राहुल को विपक्ष का चेहरा बनाने का संकेत दे दिया है। खैर, यह हल्के-फुल्के अंदाज में लालू की सलाह थी। लेकिन इस बैठक के जरिए कांग्रेस ने अपने कई राजनीतिक हित साध लिए हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने अधिकांश ताकतवत क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाने में सफलता हासिल कर ली है। साथ ही उसने अपने यह बात भी मनवा ली है कि गठबंधन व सीटों का बंटवारा राज्यों के हिसाब से वहां की परिस्थितियों के मुताबिक होगा। यहां यह बताना लाजिमी है कि बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कांग्रेस पहले से ही गठबंधन में है। सिर्फ पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ अब सीटों के बंटवारे में अलग-अलग बात होगी। ऐसे में वह इन दोनों राज्यों में चुनाव लडऩे के लिए ठीक-ठाक संख्या में सीटें हासिल कर लेंगी, क्योंकि गठबंधन में फिलहाल बसपा और अन्य छोटी पार्टियां शामिल नहीं है। वहीं दिल्ली व पंजाब में भी कांग्रेस दुविधा में है। यदि आम आदमी पार्टी गठबंधन से अलग हो गई (जैसे उसका तेवर दिख रहा है) तो कांग्रेस के लिए यहां अकेले चुनाव में जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की प्रदेश इकाइयां किसी भी हाल में ‘आप’ के साथ गठबंधन नहीं चाहती है। बहरहाल, 15 राजनीतिक दलों ने जिस तरह से 2024 का चुनाव आपसी मतभेद भुलाकर मिलकर लडऩे की प्रतिबद्धता जताई है, वह बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक में बहुत सी बातें हुई है, लेकिन वह प्रारंभिक थी। माना जा रहा है कि शिमला में सारी चीजें तय हो जाएगी। फिलहाल पटना से अच्छी शुरूआत हुई है। नया रास्ता निकलने का काम शुरू हुआ है। सत्तापक्ष यानी भाजपा भले ही इस बैठक को फोटो सेशन कहें या तंज कसे, लेकिन हकीकत यह है कि वह इससे डरी हुई है। इस बार का माहौल पिछले चुनाव की तरह नहीं है। भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी होगी। जिस तरह से हिमाचल के बाद कर्नाटक में उसे हार का सामना करना पड़ा है। उससे भाजपा की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले उसे छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में जाना होगा, जहां भाजपा की स्थिति कांग्रेस से उन्नीस दिख रही है। ऐसे में उसे अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। वहीं, विधानसभा चुनाव के पहले ‘विपक्षी एकता’ के रूप में कांग्रेस को एक नया सियासी हथियार मिल जाएगा, जो उसके लिए बूस्टर साबित हो सकता है।