0 संजीव वर्मा
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अलर्ट मोड पर आ गए हैं। कांग्रेस-भाजपा एक्शन मूड में दिख रही हैं। विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे पूरी तरह से हावी रहते हैं और भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे चुनाव लड़ना चाहती है इसलिए लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा भाजपा के लिए मुफीद नहीं होगा। वहीं, एकमात्र क्षेत्रीय दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) भी नई राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी हुई है । ऐसा प्रतीत होता है कि वह और उनके नेता फिलहाल दिशा भ्रम के शिकार होते नजर आ रहे हैं। उन्हें तो पहले अपनी दिशा और दशा चुस्त-दुरुस्त करने पर सर्वाधिक ध्यान देना होगा। जहां तक प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस-भाजपा का सवाल है तो दोनों दल आक्रामक तरीके से चुनावी समर में उतरने का संकेत दे रहे हैं। उनकी तैयारियों को देखकर लग रहा है कि इस बार का चुनाव बेहद आक्रामक और हाईटेक तरीके से लड़ा जाएगा। दोनों दलों द्वारा जमीनी स्तर पर तैयारियां की जा रही है। इस तैयारी में कौन आगे है और कौन पीछे यह कहना मुश्किल है। लेकिन यह सच है कि दोनों दल ऐसी तैयारी में जुट गए हैं कि लग रहा है कि चुनाव अब- तब होने ही वाला है। दोनों के बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात की राजनीति चल रही है। सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस प्रदेश के पांचों संभाग, बस्तर, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग और सरगुजा में संभागीय सम्मेलन के बाद विधानसभावार प्रशिक्षण शिविर शुरू कर चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसत्रा क्षेत्र पाटन में इसका आगाज हुआ, जहां जोन और सेक्टर स्तर पर कार्यकताओं को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी की ताकत समझाने के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया। ऐसे शिविर राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित किए जाएंगे। साथ ही पार्टी में प्रत्याशी चयन को लेकर भी कवायद शुरू हो गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस अलग-अलग स्तरों पर सर्वे करा रही है। राज्य सरकार विधायकों के परफार्मेस को लेकर चिंतित है और वह अपने स्तर पर सर्वे करा रही है। वहीं, एआईसीसी, पीसीसी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम भी इस काम में लगी हुई है। सर्वे में मौजूदा विधायक की स्थिति के साथ-साथ पिछले विधानसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर भी ऐसे प्रत्याशी की खोज की जा रही है, जो जनता में लोकप्रिय हों और चुनावी जीतने की बेहतर संभावनाएं हों। कुछ महीने पहले ऐसी खबरें आई थी कि खराब परफार्मेंस वाले विधायकों की टिकट कट सकती है। यही वजह है कि मौजूदा विधायक वाली कुछ सीटों पर भी नए चेहरों की तलाश की जा रही है। सर्वे सभी स्तर पर कराया जा रहा है, उसमें मौजूदा विधायक के प्रदर्शन के साथ उनकी छवि, आम जनता से जुड़ाव और संगठन के पदाधिकारियों तथा आम कार्यकर्ताओं के साथ उनके संबंधों को शामिल किया गया है। अब देखना होगा कि सर्वे में कौन-कौन विधायक खरे साबित होते हैं। उधर, भारतीय जनता पार्टी ने भी पूरी तरह से अपनी कमर कस ली है। नए प्रदेश प्रभारी ओम माथुर प्रदेशभर में दौरा कर भाजपा की जमीनी हकीकत से वाकिफ हो चुके हैं। पार्टी अब महाजनसंपर्क अभियान और टिफिन पॉलिटिक्स के जरिए कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश में लगी है। वह केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच पहुंच रही है। एक ओर लाभार्थी सम्मेलन के जरिए वह केंद्र की योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संवाद कर रही है तो दूसरी ओर महाजनसंपर्क के बहाने बुद्धिजीवियों, कलाकारों, चिकित्सकों और प्रतिष्ठित नागरिकों से मेल-मुलाकात कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में लगी हुई है। दरअसल पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद अपनी रणनीति बदली है। अब वह स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है और इसी के तहत आम लोगों तक पहुंचे बनाने की कवायद में जुटी है। प्रत्याशी चयन को लेकर भी पार्टी गंभीर है। केंद्र की खुफिया एजेंसी, अमित शाह की गुजरात की टीम, प्रदेश भाजपा के अलावा आरएसएस की टीम भी सर्वे में लगी हुई है, ताकि जिताऊ प्रत्याशी को टिकट मिले और वे जीतकर आएं। हालांकि यह चर्चा जोरों पर है कि भाजपा में इस बार ‘सब कुछ बदल डालूंगा’ की तर्ज पर टिकट का बंटवारा किया जाएगा। वहीं, राज्य की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की चुनावी समर में उतरने से पहले तेलंगाना की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में विलय की चर्चा है। छत्तीसगढ़ियावाद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बनाई इस पार्टी का बीआरएस में विलय चौंकाने वाला नहीं है, क्योंकि इसकी चर्चा पहले ही हो रही थी। अब इसके लिए हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की मौजूदगी में बड़ी सभा की तैयारी है। इसमें जकांछ के सभी बड़े नेता शामिल होंगे। बताया जाता है कि विलय के बाद जकांछ बीआरएस के बैनर तले प्रदेश की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बहरहाल, राज्य में दो राष्ट्रीय दलों कांग्रेस-भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होगा। दोनों दल जी -जान से जुट गए हैं। कांग्रेस ने अपनी सरकार के विकास कार्यों को लेकर चुनावी समर में उतरने की घोषणा की है, तो भाजपा को अभी ऐसे नए मुद्दे की तलाश है जो उसे जनता की नजरों में हीरो बना सके। लेकिन ऐसा मुद्दा तलाशना आसान काम नहीं है।