भादो का गौरी नंदन गणेश जी से क्या है संबंध

आज से यानि ४ अगस्त से भाद्रपद के महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस मास का भी हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। भगवान शंकर के प्रिय मास के ठीक बाद पड़ने वाले भाद्रपद के इस महीन में गणेश जी की पूजा अति लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि इस माह में गणेश चतुर्थी के साथ-साथ कलंक चतुर्थी का पर्व भी पड़ता है। यूं तो इस मास में श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के साथ-साथ अन्य कई और भी त्यौहार पड़ते हैं जिस कारण इसे धार्मिक रूप से बहुत लाभकारी माना जाता है। मगर विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा इस दौरान विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त करवाती हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़े खास बातें-
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जिस तरह श्रावण के महीने में लोग शिव मय हो जाते हैं ठीक वैसे ही भाद्रपद के आरंभ के साथ ही हर प्राणी गणेशमय हो जाता है। कहा जाता है इस मास में गणेश भगवान की आराधना करने से जातक के सभी तरह के कार्यसिद्ध हो जाते हैं।

हिंदू धर्म के शास्त्रों में वर्णन मिलता है, ‘कलौ चंडी विनायकौ’

इस श्लोक का अर्थात है कि कलयुग में मां चंडी और गणेश की पूजा का महत्व सर्वाधिकएवं अतिशीघ्र फल देने वाला रहेगा। साथ ही इसमें बताया गया है कि पंच महाभूतों में गणेश जी जल तत्व प्रधान हैं इसीलिए रस, जिह्वा और गीलापन, जलतत्व की प्रधानता पर गणेश जी का वास है।

कहा जाता है भादो के माह में वर्षा भी अधित होती है, जिसस पृथ्वी जलमग्न ही रहती है। कुछ धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार इस ही मास में भगवान रूद्र और ब्रह्मा जी ने गणेश जो को पद पर आसीन किया था। अप्रसन्न्ता होने पर कर्मों नें विघ्न डालने का कार्य भी इन्हें सौंपा था।
तो वहीं प्रसन्न होने पर जातक के जीवन में से समस्त विघ्न व कष्ट क्लेश दूर करने का भार भी गणेश जी पर सौंपा था। कहा जाता है इस माह में श्री गणेश को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाई जा सकती है। तो वहीं साथ ही इस बात का निर्णय भी किया जा सकता है कि गणेश आप पर प्रसन्न है या नहीं।
मगर कैसे? ये सवाल आप सब के जहन में ज़रूर आया होगा। अगर हां तो चलिए जानते हैं किन संकेतों से पता लगाया जा सकता है कि भगवान गणेश आप पर प्रसन्न है या नहीं।

भादों माह में गणेश को अत्यंत प्रिय लगने वाली वर्षा भी अपने चरम पर होती है पृथ्वी जलमग्न रहती है। इसी माह में रूद्र और ब्रह्मा ने ही गणेश को गणपति के पद पर आसीन किया था। अप्रसन्नता पर कर्मो में बिघ्न डालने का कार्य भी उन्हें ही सौंप दिया था। गणेश जी आप से प्रसन्न हैं या अप्रसन्न, इसका ठीक प्रकार से निर्णय भादों माह में ही किया जा सकता है।

जिस व्यक्ति का इस माह के दौरान पूजा पाठ में मन न लगे, व्यर्थ की अधिक भागदौड़ रहे, बच्चों का पढ़ाई में मन न लगे, मन में हर समय आशांति व बेचैनी रहे आदि तो इसका अर्थ ये होता है कि भगवान गणेश आपसे रूठ हैं। इसके अलावा अगर रात में सोते समय स्वप्न में खुद की पानी में डूबते देखें, स्वयं या किसी और सिर मुडाएं देख लें तथा किसी पुरुष को गेरुआ रंग के वस्त्रो में देखे लें तो ये भी इस बात को ओर इशारा होता है कि भगवान गणेश आप पर अप्रसन्न हैं।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है सपने में अगर व्यक्ति खुद को गिद्ध, बहेलिया, चांडाल, गदहों और ऊंटों के बीच अपने आप को बैठा हुआ पाता है, प्राणी हर समय डरा-डरा सा रहता है, उसके शत्रु उसके बहुत परेशान कर रहे हैं, पीछा कर रहा हो या कोई व्यक्ति अपने आप को असहज और असहाय सा मानने लगता है तो ऐसे में भगवान गणेश की पूजा से बुद्धि सही तरह से निर्णय लेने में अक्षम रहती है और तमाम तरह की मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता है।

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