आपकी बात: सामाजिक न्याय की दिशा में बढ़ती कांग्रेस 

0 संजीव वर्मा
       कांग्रेस का 85 वाँ महाधिवेशन छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में संपन्न हो गया। इस महाधिवेधन पर पूरे देश की नजरें लगी हुई थीं।  महाधिवेशन कई मायनों में महत्वपूर्णऔर खास रहा। विशेष कर जिस तरह से संगठन में पहली बार ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है, वह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। पार्टी ने अपने संविधान में संशोधन कर कांग्रेस कार्यसमिति (सी डब्ल्यू सी) के सदस्यों की संख्या 23 से बढ़ाकर 35 कर दी है। जिसके आधे सदस्य इन्हीं वर्गों से होंगे। साथ ही 50 प्रतिशत पदों पर 50 साल से कम उम्र के लोगों को नियुक्त करने का फैसला लिया है, जो युवाओं के लिए एक बड़ा संदेश है। पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण कार्य समिति के सदस्यों के चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया गया है। सदस्यों का मनोनयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया गया। साथ ही पार्टी के संविधान में 6 बड़े संशोधन किए गए हैं, जिनमें डिजिटल मेंबरशिप देने की बात कही गई है, जो एक नया रचनात्मक प्रयोग है। यही नहीं पार्टी ने थर्ड जेंडर को जगह देने की  साहसिक घोषणा कर एक प्रगतिशील बदलाव की ओर कदम बढ़ाया है, जो अच्छा संकेत है। कुल मिलाकर पार्टी ने रायपुर के इस महाधिवेशन में कई बदलाव कर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। साथ ही चुनौतियों का किस प्रकार मुकाबला किया जाए इसका भी माकूल जवाब देने का प्रयास किया है। पार्टी ने अपने राजनीतिक, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्ताव के जरिए अपनी रणनीति का खाका पेश किया है। राजनीतिक प्रस्ताव में कहा है कि पार्टी को अपनी विचारधारा के बारे में बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। पार्टी विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए कहा है कि वह भाजपा को पराजित करने के लिए एक ठोस विकल्प देने के मकसद से समान विचारधारा वाले दलों के साथ तालमेल करना चाहती है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पार्टी 2024 के चुनाव के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेगी, जिसमें गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई उन्मूलन शामिल हैं। वहीं, आर्थिक प्रस्ताव में पार्टी ने बेरोजगारी और महंगाई को केंद्र में रखा है। कांग्रेस का मानना है कि पिछले 9 साल में मोदी सरकार की विफलताओं, त्रुटियों और गलत प्राथमिकताओं के चलते देश गर्त में चला गया है। इसकी सबसे बड़ी विफलता अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन है। नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करना सबसे बड़ी गलती थी। बीते तीन साल युवाओं के लिए रोजगार सृजन की कमी, लगातार उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती असमानता, बढ़ते सरकारी कर्ज और रुपए के गिरते मूल्य के लिए जाने जाएंगे। ऐसे में आर्थिक नीतियों पर विचार जरूरी है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय प्रस्ताव में रूस-यूक्रेन युद्ध की चर्चा करते हुए कहा है कि कांग्रेस दुनिया को प्रभावित करने वाली समसामयिक वैश्विक मामलों को गहराई से समझती है। हमारी विदेश नीति आदर्शवाद और यथार्थवाद के विशिष्ट मिश्रण को दर्शाती है। इस महाधिवेशन में एक महत्वपूर्ण बात यह उभरकर सामने आयी है कि पार्टी अध्यक्ष कोई भी हो गांधी परिवार ही सर्वोच्च है। कांग्रेस के वक्ताओं ने साफ कह दिया कि देश में राहुल गांधी उम्मीद की किरण है और राहुल ही हमारे नेता है। इसका अर्थ साफ है कि पार्टी का चेहरा राहुल गांधी ही है। दरअसल पार्टी को यह आत्मविश्वास राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से मिला है, जिसमें लोगों का पार्टी के प्रति विश्वास देखा गया है। छत्तीसगढ़ के लिए भी यह महाधिवेशन ऐतिहासिक रहा है। नवा रायपुर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए यह महाधिवेशन बेहद महत्वपूर्ण था। जिस तरह से उन्होंने महाधिवेशन के हर छोटे-बड़े आयोजनों की कमान खुद संभाली और अपनी विश्वस्त कोर टीम के सदस्यों को एक्टिव रख आयोजन को सफल बनाया वह काबिल-ए-तारीफ है। केन्द्रीय नेतृत्व के सामने उनका सियासी कद और बढ़ गया है, इसमें कोई संदेह नहीं है। यह इस साल होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव की दृष्टि से बेहद अहम है। महाधिवेशन में छत्तीसगढ़ मॉडल की भी खूब चर्चा हुई। विषय समिति की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रस्ताव पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना को पूरे देश में लागू किए जाने पर चर्चा हुई। कहा गया कि यदि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब होती है तो इसे देशभर में लागू किया जाएगा।  बहरहाल, कांग्रेस का रायपुर महाधिवेशन भाजपा की चुनौतियों से निपटने में कितना कारगर होगा यह तो वक्त बताएगा, लेकिन जिस तरह से महाधिवेशन में पार्टी ने नई रणनीति तय की है उससे कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिल रहा है। इसे 2024 तक बनाए रखने की जरूरत है। साथ ही आम जनता में भी यह उम्मीद बंधी है कि महाधिवेशन के मंथन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की दशा और दिशा बदलेगी तथा कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा।