0 संजीव वर्मा
देश में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा मचा हुआ है। दिल्ली, कोलकाता, केरल, पंजाब समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर छात्रों के दो गुट आमने-सामने हैं। एक तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र डॉक्यूमेंट्री का विरोध कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर स्टेडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़े हुए छात्र इसकी स्क्रीनिंग करवाना चाहते है। इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य जगहों पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में धारा 144 तक लगा दी गई है। यही नहीं कोलकाता और मुंबई में भी हंगामा मचा हुआ है। मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में छात्रों के एक ग्रुप प्रोगेसिव स्टूडेंट फोरम ने प्रबंधन से कैम्पस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की इजाजत मांगी थी, लेकिन प्रबंधन ने इजाजत नहीं दी। इसके बाद छात्र संगठन स्क्रीनिंग पर अड़े रहे। जबकि प्रबंधन ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि संस्थान में ऐसी किसी भी स्क्रीनिंग या सभा की अनुमति नहीं है, जो शैक्षणिक माहौल को बिगाड़े और उसकी शांति और सद्भाव को खतरे में डाले। गौरतलब है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर देशभर में विवाद के बाद केंद्र सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह डॉक्यूमेंट्री गुजरात में 2002 के दौरान हुए दंगों को लेकर बनाई गई है। उस समय नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। डॉक्यूमेंट्री पर लगे प्रतिबंध के बावजूद कई राजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने इसकी स्पेशल स्क्रीनिंग कराई है। इसे देश के विश्वविद्यालयों में भी प्रसारित करने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया, जेएनयू, हैदराबाद विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के जाधव विश्वविद्यालय, कोलकाता के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में हंगामा बरपा हुआ है। केरल में तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इसकी स्क्रीनिंग की। इस पर केरल में कांग्रेस के अंदर ही विरोध के स्वर उठे। कांग्रेस के नेता और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध करते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। यानी विरोध और समर्थन दोनों साथ-साथ चल रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर बीबीसी ने किस उद्देश्य से गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। वैसे, ऐसे विवाद से हमेशा भाजपा का ही फायदा होता रहा है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भाजपा का प्रिय शगल है। हर चुनाव के वक्त किसी न किसी तरह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर वे वर्ग विशेष को अपनी ओर करने में सफल रही है। इस साल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश , राजस्थान सहित तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उससे पहले ही इस डॉक्यूमेंट्री के बहाने देश में गुजरात दंगों का मुद्दा छिड़ गया है। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद इसकी स्क्रीनिंग जारी है। पता नहीं क्यों कांग्रेस जैसी पार्टी भी इसमें शामिल हो रही है। दूध का जला छॉछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। यह कहावत सदियों से चली आ रही है। लेकिन लगता है कांग्रेस को इससे कोई वास्ता नहीं है। भाजपा के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और हिन्दू-मुस्लिम वर्ग विभेद के कारण वह सत्ता से बाहर है। बावजूद इसके वह भी इसे किसी न किसी बहाने हवा दे रही है। भाजपा और उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात दंगों का मुद्दा जितना उछलेगा, उतनी ही तेजी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हिन्दू सम्राट वाली छवि निखरेगी। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ दिनों पहले 2002 के दंगों की मिसाल देकर कहा था कि सबक सिखा दिया गया। तब ऐसी किसी डॉक्यूमेंट्री से क्या साबित होगा? यह तो एक तरह से भाजपा को ही मजबूती देने जैसा है। आश्चर्य की बात है कि पढ़े-लिखे लोग और उनका संगठन इसे मुद्दा बना रहा है। वामपंथी तो लगे हुए ही हैं। कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन भी पीछे नहीं है। हमारा मानना है कि इस तरह के मुद्दे जनता की बुनियादी समस्याओं से ध्यान भटकाने का एक बड़ा हिस्सा होते हैं। पहले भी इस तरह की डॉक्यूमेंट्री बनी है। कांग्रेस शासनकाल में भी इस तरह की डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन इस बार जिस तरह से हो-हल्ला मच रहा है वह राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं है। वैसे इस डॉक्यूमेंट्री पर भी केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है तो इसे दिखाने जैसे कार्य उचित नहीं है। सभी को कानून का पालन करना चाहिए। अक्सर यह देखा गया है कि सरकार जिन पुस्तकों या फिल्मों पर प्रतिबंध लगाती हैं उसे पढ़ने और देखने की लोगों में दीवानगी होती है। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह भी भाजपा की एक चाल हो और इसका विरोध करने वाले भाजपा के बनाए गए चक्रव्यूह में फंस रहे हों।