आपकी बात: ऊंट किस करवट बैठेगा…!

0 संजीव वर्मा
देश के दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर सहित 5 राज्यों में हुए उपचुनाव का चुनावी चौसर संपन्न हो गया। उम्मीद के मुताबिक मतदाताओं ने बटन दबाकर लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपनी आहूति दे दी है। अब यह देखना होगा कि किसकी ताजपोशी होगी? फिलहाल तो नतीजे आने तक भाजपा-कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी को भी अपनी ताजपोशी का इंतजार रहेगा, क्योंकि जीत को लेकर तीनों ही दल आशान्वित हैं। हालांकि इसका खुलासा 8 दिसंबर को मतगणना के साथ होगा। यह चुनाव नतीजे देश की भावी राजनीति की दशा और दिशा के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे । फिलहाल जिस तरह से विभिन्न चैनलों के एग्जिट पोल आ रहे हैं, उससे भाजपा की बांछे खिली हुई है। यह अलग बात है कि एग्जिट पोल हमेशा सच नहीं होते पर इसके आसपास जरूर होते हैं। लेकिन कई मर्तबा इसके उलट भी नतीजे आ जाते हैं। एग्जिट पोल के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा की उम्मीदें हिलोरे मार रही हैं। बहरहाल, यह चुनाव कई मायनों में अलग रहा। जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो वहां कांग्रेस को वापसी की उम्मीद है। वहीं, भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने को बेताब है। हिमाचल में यह रिवाज रहा है कि हर पांच साल बाद सरकार बदलती रही है। यदि ऐसा हुआ तो वहां एक बार फिर कांग्रेस अपनी सरकार बनाएगी। सबसे महत्वपूर्ण गुजरात का चुनाव है, यहां की हार-जीत देश की राजनीति पर हमेशा से ही असर डालने वाली साबित होती रही है। ऐसे में सभी की नजर चुनाव नतीजों पर टिकी हुई है। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए भी गुजरात चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने ज्यादा समय गुजरात को दिया है। यह चुनाव इसलिए भी अलग है कि इस बार आम आदमी पार्टी तीसरी शक्ति के रूप में मैदान में उतरी थी। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि ‘आप’ गुजरात में कुछ अलग कर सकती है और यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी यह शुभ संकेत नहीं है। तीन बार दिल्ली जीतने के बाद ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में अकल्पनीय बहुमत लाकर राजनीतिक पंडितों को आश्चर्य में डाल दिया था। गुजरात में ही आम चुनाव के पहले उनकी पार्टी ने स्थानीय चुनावों में अच्छा खासा प्रदर्शन कर सबको चौंकाया था। केजरीवाल ने उम्मीदें जताई थी कि गुजरात की जनता इस बार बदलाव के लिए तैयार है और हम कांग्रेस-भाजपा के विकल्प के रूप में तैयार हैं। दूसरी ओर ‘आप’ के नेता यह कहते रहे हैं कि दिल्ली और पंजाब की तरह कांग्रेस का वोट आम आदमी पार्टी को ट्रांसफर हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो आम आदमी पार्टी को गुजरात में सरकार बनने से कोई शक्ति नहीं रोक पाएगी और उसकी देश के तीन राज्यों में सरकार होगी। ऐसे में 2024 में होने वाले आम चुनावों में उसकी अहम भूमिका होगी। इसके विपरीत कई राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि ‘आप’ भले ही अपने आपको प्रचारित कर देश की राजनीति के केन्द्र में ले आई हो, लेकिन वह अभी इतनी ताकतवर नहीं हुई है कि कांग्रेस का स्थान ले सके। उधर, गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने नई रणनीति पर काम किया। उनके सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कर रहे हैं। कई बड़े नेता भी प्रचार में नहीं गए। उनकी जगह पार्टी की स्थानीय इकाई ने छोटी-छोटी यात्राओं के जरिए मतदाताओं से सीधा संवाद करने की रणनीति अपनाई। पार्टी का मानना है कि आम आदमी पार्टी शहरी क्षेत्रों में भाजपा के वोट काटने में कामयाब रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में उनके परंपरागत वोट यथावत मिले। कांग्रेस ने इस बार राष्ट्रीय मुद्दे की जगह स्थानीय मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई थी। लेकिन इसमें वह सफल रही या नहीं यह चुनाव नतीजे तय करेंगे। दूसरी ओर, भाजपा केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारे मैदान पर थी। 2017 में भी यही रणनीति अपनाई गई थी। उस समय तो वह कामयाब रही। इस बार देखना होगा कि राज्य की जनता ने नरेन्द्र मोदी के नाम पर एक बार फिर मुहर लगाई है या फिर कांग्रेस या ‘आप’ को मौका दिया है। जहां तक उपचुनावों का सवाल है तो कहा जाता है कि सत्तारूढ़ दल को फायदा होता है। देखना होगा यह ट्रेंड बरकरार रहता है या नहीं। छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में वैसे तो सत्तारूढ़ दल कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है।लेकिन भाजपा भी जीत का दावा कर रही है। बहरहाल, ऊंट किस करवट बैठेगा… इसका सभी को इंतजार है।