ई-कॉमर्स कंपनियों बताना ही होगा उत्पादों का कंट्री ऑफ ओरिजिन

नई दिल्ली . ई-कॉमर्स कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म में बिक रही आयतित वस्तुओं में उस देश का नाम लिखा हो जहां से उन्हें मंगाया गया है। केन्द्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने हर उत्पाद पर कंट्री ऑफ ओरिजिन यानी उत्पाद कहां बना है, इसका जिक्र करना जरूरी है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि विधिक मापविज्ञान अधिनियम और नियमों के तहत ई-कॉमर्स साइटों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर किसी उत्पाद के मूल देश का नाम दर्शाया गया हो।

केंद्र सरकार के अधिवक्ता अजय दिगपॉल के जरिये दायर हलफनामे में कहा गया है कि इन नियमनों का अनुपालन सुनिश्चित कराना राज्यों और संघ शासित प्रदेशों का दायित्व है। दिगपॉल ने कहा कि जहां भी इन नियमों का उल्लंघन पाया जाएगा, संबंधित राज्यों या संघ शासित प्रदेशों के विधिक मापविज्ञान विभाग के अधिकारी कानून के तहत कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। हलफनामे में कहा गया है कि इस पर आवश्यक परामर्श सभी ई-कॉमर्स कंपनियों, सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के विधिक मापविज्ञान नियंत्रकों को भेजा गया है। केंद्र की ओर से यह हलफनामा एक जनहित याचिका पर दायर किया गया है। अधिवक्ता अमित शुक्ला की ओर से दायर याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने की आग्रह किया गया था कि ई-कॉमर्स मंचों पर बिकने वाले उत्पादों पर उनका (उत्पादों) विनिर्माण करने वाले देशों का नाम दर्शाया जाना चाहिए।

बता दें अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को सरकार ने थोड़ी राहत देते हुए कंट्री ऑफ ओरिजिन को बताने के लिए डेडलाइन १ अगस्त तय कर दिया है। वहीं ई-कॉमर्स कंपनियां इसके लिए कम से कम ३ महीने का वक्त मांग रही हैं। नए नियमों के तहत पोर्टल पर मौजूद सभी प्रोडक्ट पर कंट्री ऑफ ओरिजिन जरूरी है। नई लिस्टिंग पर कंट्री ऑफ ओरिजिन नियम पहले से लागू है।

कंपनियों के सामने ये है दिक्कत

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ाने के मकसद से सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है। सरकारी ई-मार्केटप्लेस के नए फीचर लागू होने से पहले जिन सेलर्स ने अपने उत्पाद अपलोड किए हुए हैं, उनको भी कंट्री ऑफ ओरिजिन अपडेट करना होगा। सरकार उन्हें लगातार रिमाइंडर भेजेगी और इसके बाद भी प्रोडक्ट पर जानकारी अपडेट नहीं करने पर प्रोडक्ट को प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा। दरअसल दिक्कत यहीं से शुरू होती है। बैठक में कंपनियों के प्रतनिधियों ने कहा कि बदलाव पहले नए उत्पाद लिस्टिंग के लिए किए जाएं क्योंकि उनके प्लेटफार्मों पर पहले से ही बेच रहे लाखों उत्पादों के लिए ऐसा करना मुश्किल है।

सूत्रों के मुताबिक अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने प्रस्ताव को निष्पादित करने के लिए तीन महीने की समयसीमा का अनुरोध किया। अमेजन ने कहा कि उसके लाखों विक्रेता हैं, और हर उत्पाद के लिए ‘मूल देश’ का उल्लेख करने के लिए उन्हें आश्वस्त करना मुश्किल होगा। इसके लिए तीन महीने की समय मिलना चाहिए। फ्लिपकार्ट ने भी कहा कि इसे विक्रेताओं को प्रशिक्षित करने और अपने तकनीकी मंच को फिर से संगठित करने की आवश्यकता है।

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