आपकी बात: ईडी के इर्द-गिर्द घूमती राजनीति

O संजीव वर्मा 
प्रदेश में इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा मारे जा रहे छापे और उसके राजनीतिक दुरूपयोग की चर्चा जोरों पर हैं। इसे लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ईडी ने एक आईएएस समीर विश्नोई और दो कोयला कारोबारी को गिरफ्तार किया है। आठ दिनों की रिमांड मिलने के बाद उनसे पूछताछ की जा रही है। वहीं, एक अन्य आईएएस रायगढ़ की कलेक्टर रानू साहू के बंगले और कलेक्ट्रेट स्थित दफ्तर की तलाशी के दौरान बरामद किए गए दस्तावेजों के संबंध में भी उनसे पूछताछ कर बयान लिया गया है। साथ ही उनके रिश्तेदारों के घर भी छापेमारी की जा रही है। इन सारी कार्रवाई के चलते प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। पक्ष-विपक्ष की राजनीति पिछले एक सप्ताह से ईडी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। सत्तारूढ़ पार्टी जहां केन्द्र सरकार और जांच एजेंसियों पर अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने का आरोप लगा रही है। वहीं, विपक्ष सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप मढ़ रहा है। अब इन पार्टियों के बयान में कितनी सच्चाई है। यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन हमें भी लगता है कि सत्तापक्ष के आरोप में कुछ न कुछ सच्चाई जरूर है। देश भर में जहाँ-जहाँ  ईडी, आईटी और सीबीआई की कार्रवाई चल रही है। वह एकतरफा नजर आती है। फिर चाहे वह महाराष्ट्र हो, पश्चिम बंगाल हो या फिर छत्तीसगढ़। महाराष्ट्र में तो सरकार पलटने के बाद ईडी की कार्रवाई थम सी गई है। अब छत्तीसगढ़ की बारी है। यहाँ जमकर छापेमारी की जा रही है। इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में कैश, सोना-चांदी और जेवरात मिलने की खबर है। ईडी ने कुछ खुलासे भी किए हैं। लेकिन भाजपा के नेता जिस तरह से बयानबाजी कर रहे हैं वह कांग्रेस की इस आशंका को और मजबूत कर रही है कि भाजपा नेता ईडी के प्रवक्ता की तरह बातें कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के ट्वीट को लेकर सवाल सवाल उठाए हैं। डॉ. सिंह ने तो यहाँ तक कह दिया था कि राज्य सरकार प्रति टन कोयले के पीछे 25 रूपए ले रही है। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मानहानि का दावा करने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने सीधे-सीधे  ईडी की कार्यवाही को पक्षपात पूर्ण बताते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर फेयर तरीके से चुनाव लड़ेंगे तो उसकी यानी भाजपा की हालात जितनी थी उतनी भी नहीं रहेगी। इसलिए अपनी खीज अधिकारियों पर उतार रही है। 15 साल वहीं अधिकारी अच्छे थे। अब उनकी सरकार नहीं है तो खराब हो गए। अधिकारी अपना काम कर रहे हैं। बघेल ने यह भी कहा कि राज्य की कोलवाशरी पर राज्य सरकार ने भी कार्रवाई की पर क्या कभी कोई राजनीतिक लाभ लिया या बयानबाजी की, बताएं। हमको भी पता है कि कौन किससे जुड़ा है, पर राजनीतिक लाभ नहीं उठाया। जो गलत था उस पर कार्रवाई की। नोटिस दी। वे जवाब देंगे, नहीं तो जुर्माना लगेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि चिटफंड मामले में साढ़े 6 हजार करोड रूपए की मनी लॉड्रिग हुई है, उसकी जांच क्यों नहीं हो रही है। वह तो गरीब, मेहनतकश और आम जनता का पैसा है। मगर उसमें कुछ नहीं करेंगे। केवल सरकार को बदनाम करने के लिए षडय़ंत्र करेंगे, जिसे जनता देख-समझ रही है। दरअसल, ईडी द्वारा आईएएस समीर विश्नोई की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी प्रीति विश्नोई ने ईडी अधिकारियों पर दबाव डालकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाने और जेल में सड़ा देने की धमकी देने का गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत कर इसकी जानकारी दी। साथ ही श्रीमती विश्नोई ने पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को पत्र के माध्यम से खुद की और परिजनों की सुरक्षा की मांग भी की है। वहीं, भाजपा ने ईडी की कार्रवाई को विधि सम्मत बताते हुए मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मुझे मानहानि की धमकी दे रहे हैं तो एक नहीं दस केस कीजिए। उन्होंने मुख्यमंत्री को कहा कि भाजपा के कहने से ईडी आती है जैसे बयान देने से पहले आप सोचे। यदि ऐसा है तो साक्ष्य लाइए। यदि प्रमाणित नहीं कर सके तो मैं आप पर मानहानि का दावा करूंगा। यानी दोनों तरफ से तीर बराबर चल रहे हैं। प्रदेश की जनता दोनों की बातों को देख और सुन रही है। ईडी की कार्रवाई लगातार जारी है। उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ विरोधी दलों के नेताओं और अधिकारियों के ठिकाने ही हैं। उसकी कार्रवाई में पक्षपात साफ दिख रहा है। सवाल भी उठ रहे हैं कि मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में अब तक किसी भाजपा नेता के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। क्या ईडी की नजर में सारे भाजपाई पाक-साफ हैं। दूध के धुले हुए हैं। हमारा मानना है कि जितनी भी सरकारी एजेंसियां हैं उन्हें सियासी मुद्दों में नहीं उलझना चाहिए। इस समय तो सर के उपर से पानी बहने लगा है। लेकिन, केन्द्र सरकार चुप है। सभी जांच एजेंसियां भी खामोश है। विपक्ष के नेताओं में खौफ हैं। लेकिन जनता सब देख और समझ रही है।