कोरोना काल से पहले सितंबर-अक्टूबर के महीने में प्याज की कीमतें आसमान छू ही थी। लेकिन अब आलू और टमाटर की कीमतें छलांग मार रही है। जबकि भारत का खुदरा महंगाई दर या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जून में ६.०९ प्रतिशत रहा है।
देश-दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा देश में लगातार बढ़ता जा रहा है। लॉकडाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। बड़े से लेकर छोटे कारोबार पर कोरोना की मार पड़ी है, किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। लॉकडाउन की वजह सब्जी कारोबारी अपनी फसल नहीं बेच पा रहे जिसकी वजह से लगातार सप्लाई कम होने से दामों में इजाफा होता जा रहा है। कोरोना काल से पहले सितंबर-अक्टूबर के महीने में प्याज की कीमतें आसमान छू ही थी। लेकिन अब आलू और टमाटर की कीमतें छलांग मार रही है। जबकि भारत का खुदरा महंगाई दर या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जून में ६.०९ प्रतिशत रहा है।
अगर उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़े पर नजर डाले तों, शुक्रवार को आलू और टमाटर की अखिल भारतीय खुदरा कीमतों में क्रमश: ३० रुपए और ५० रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई, जबकि दो से तीन महीने पहले आलू और टमाटर की कीमत बाजार में लगभग २० रुपए प्रति किलो तक थी। पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में प्याज की कीमतों में भारी इजाफा हुआ था लेकिन अब प्याज के दामों में काफी गिरावट आ गई है। पिछले साल प्याज के स्टॉक में कमी, जिसने प्याज की कीमतों को बेकाबू कर दिया था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्याज का औसत बिक्री मूल्य जनवरी में लगभग ७८ रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर मार्च में ३६ रुपये, मई में २२.५ रुपये और चालू महीने के दौरान २० रुपये तक गिर गया है। जबकि दूसरी तरफ आलू का औसत बिक्री मूल्य दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। जबकि टमाटर की कीमतों में अस्थिरता लगातार बनी हुई है। जनवरी में ३० रुपये किलो से लेकर मार्च में २२ रुपये और मई में १४ रुपये, इस महीने ५७ रुपये तक बढ़ोत्तरी देखी गई।
आलू की कीमतों में भी इजाफामुख्य रूप से कम उत्पादन की कमी की वजह से हुई है जैसा कि पिछले वर्ष प्याज के साथ हुआ था। आकंड़ो में यह बात सामने आई कि २०१९-२० में आलू की फसल में कुल ३६ करोड़ बैग (प्रत्येक में ५० किलो) का उत्पादन किया गया जबकि अगर पिछले तीन वर्षों में नजर डाले तो ४८ करोड़, ४६ करोड़ और ५७ करोड़ बैग का उत्पादन हुआ था। २०१७ के बाद से किसानों ने आलू की कम रोपाई की। उत्पादन में कमी भी आलू की बढ़ती कीमितों का प्रमुख कारण है।
टमाटर की काहनी कुछ अलग है…
मई के महीने में कोलार (कर्नाटक), मदनपल्ले (आंध्र प्रदेश), नारायणगांव और संगमनेर (महाराष्ट्र)जैसे प्रमुख थोक बाजारों में कीमतें ३-५ रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई थीं। वर्तमान मूल्य वृद्धि जून के अंतिम सप्ताह से शुरू हुई। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि आम तौर पर ऊपज का समय नहीं होने के कारण सामान्य तौर पर टमाटर की कीमतों में तेजी आती है और पिछले पांच साल के आंकड़ों का यही रुझान है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, जम्मू और कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश देश के कम टमाटर उत्पादन करने वाले राज्य हैं। वे आपूर्ति के लिए अधिक उत्पादन करने वाले राज्यों पर निर्भर करते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में सालाना लगभग एक करोड़ ९७ लाख टन टमाटर का उत्पादन होता है, जबकि खपत लगभग एक करोड़ १५ लाख टन है।