रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मॉनसून सत्र में भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि इस सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है। सरकार को साढ़े 3 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन जनता से किए वादों को पूरा नहीं किया गया है। चुनाव के दौरान राज्य में पूर्ण शराबबंदी, किसानों को बोनस, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता और रोजगार का वादा किया था, लेकिन इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया। सरकार को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इस पर विपक्ष और सत्ताधारी दल के विधायकों के बीच तीखी बहस जारी है। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस जिन वादों के सहारे सत्ता में आई, उसे सरकार पूरा नहीं कर रही है। इसके जवाब में कांग्रेसी विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि सरकार ने किसानों की कर्जमाफी, 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी, किसानों को जमीन वापसी सहित कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। सरकार आम लोगों के हक में काम कर रही है। भाजपा विधायक पुन्नूलाल मोहले और सौरभ सिंह ने कहा इस सरकार में छत्तीसगढ़ का विकास रुक गया है। संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का विरोध किया।
चर्चा के समय को लेकर विपक्षियों का हंगामा- बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रशासन को शासन पर विश्वास नहीं है, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाया है। हमसे पहले तो एक मंत्री ही अविश्वास प्रस्ताव ले आए। उस मंत्री को हटाने का सरकार में दम नहीं है। 18 लाख लोगों के सिर से छत छीन लिया गया, इससे बड़ा अविश्वास कोई नहीं है। मंत्रियों के निर्णयों की समीक्षा चीफ सेक्रेटरी करें, ये कैसी सरकार है। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने बोलने की समय सीमा के पालन कराने की मांग की। मुख्यमंत्री ने भी सदन में उठकर समय सीमा के पालन की बात कही। समय सीमा को लेकर विवाद और तीखी नोक झोंक विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद खत्म हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर तीखी नोंक-झोक जारी है।
चर्चा के समय को लेकर विपक्षियों का हंगामा- बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रशासन को शासन पर विश्वास नहीं है, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाया है। हमसे पहले तो एक मंत्री ही अविश्वास प्रस्ताव ले आए। उस मंत्री को हटाने का सरकार में दम नहीं है। 18 लाख लोगों के सिर से छत छीन लिया गया, इससे बड़ा अविश्वास कोई नहीं है। मंत्रियों के निर्णयों की समीक्षा चीफ सेक्रेटरी करें, ये कैसी सरकार है। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने बोलने की समय सीमा के पालन कराने की मांग की। मुख्यमंत्री ने भी सदन में उठकर समय सीमा के पालन की बात कही। समय सीमा को लेकर विवाद और तीखी नोक झोंक विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद खत्म हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर तीखी नोंक-झोक जारी है।