सरकार का मुंह देख कर हिंदू राष्ट्र की बात नहीं करता, हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना भगवत शक्ति की वजह से उभर कर सामने आई है, आगामी वर्षों में भारत बनेगा हिंदू राष्ट्र: स्वामी निश्चलानंद सरस्वती न

भाटापारा। मैं किसी सरकार का मुंह देख कर हिंदू राष्ट्र की बात नहीं करता हूं। इस मामले में सरकार क्या करती है क्या नहीं करती है इससे उन्हें ज्यादा मतलब नहीं है। वे अपना कार्य करते हुए अपना धर्म निभा रहे हैं। हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना भगवत शक्ति की वजह से उभर कर सामने आई है। आगामी वर्षों में भारत हिंदू राष्ट्र बनेगा। उपरोक्त बातें जगतगुरु पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भाटापारा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही उन्होंने कहा कि सभी लोग पहले सनातनी थे उन्हें सभी को सनातनी बनना चाहिए। अपने पूर्वजों का ध्यान करना चाहिए और उन्हें नहीं भूलना चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण कानून सरकार नहीं ला रही है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कानून को कोई भी धर्म के लोग संभवत नहीं मानेंगे, इसलिए सरकार को जनसंख्या नहीं बढे, इस हेतु विभिन्न उपाय करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। अनेक प्रांतों से हिंसा की खबरें आ रही है, वह ठीक नहीं है। शंकराचार्य महाराज ने कहा कि हिंदू शब्द आज का शब्द नहीं है। हम सब प्राचीन काल से ही सनातनी हैं। इसके लिए उन्होंने एक दो उदाहरण भी दिए और कहा कि धर्म को लेकर हिंसा ठीक नहीं है। नूपुर शर्मा के बयान से अपने आप को अलग करते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि कब किसको कहां पर क्या कहना है, इतनी समझदारी होनी चाहिए। यदि द्रोपदी ने दुर्योधन को अंधे का बेटा अंदर ना कहा होता तो शायद महाभारत नहीं होती, किंतु उनके इस एक शब्द के कारण महाभारत हो गई इसलिए हमेशा ही सोच समझकर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर बात पर विवाद भी ठीक नहीं है और हिंसा भी ठीक नहीं है। इससे देश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। भारत में पंचांग में एकरूपता अभी तक नहीं आ पाई है, जिससे हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है, के सवाल पर जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि अक्सर यह सवाल हर जगह से आता रहता है। वास्तव में ज्योति शो को जितनी मेहनत करनी चाहिए उतनी वे लोग करते नहीं हैं। बाहर विदेशों से आए पंचांग को नकल करके वैसा ही उतार देते हैं, जिससे दिक्कत बनी रहती है। इस मामले में ज्योतिषियों को स्वयं मेहनत करके पंचांग में एकरूपता लाने प्रयास करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो दूसरों से अपने प्रति जैसे व्यवहार की उम्मीद करता है, उसे वैसा ही व्यवहार दूसरे के प्रति करना चाहिए । इसके पूर्व शुक्रवार को शाम को स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के नगर आगमन पर भक्तजनों के द्वारा भव्य आत्मा भावपूर्ण स्वागत किया गया और मोटरसाइकिल रैली के रूप में उन्हें माहेश्वरी भवन लाया गया जहां पर बाद में उन्होंने भक्तों को संबोधित किया। शनिवार को भी संगोष्ठी आदि का कार्यक्रम हुआ। रविवार को गुरुकुल स्कूल में स्वामी जी का भव्य प्राक्टय महोत्सव मनाया जाएगा। यहां पर काफी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होंगे और रुद्राभिषेक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है।