दलित पिटाई : कमलनाथ और सिंधिया के एक्शन में आते ही शिवराज ने दिखाए तीखे तेवर

अरुण पटेल
गुना जिले के जगनपुर चक में पुलिस द्वारा एक दलित परिवार की पिटाई के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तीखे तेवर और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक्शन में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल तीखे तेवर अपनाते हुए आधी रात को ही पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का तबादला कर उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए। यह मामला अब तूल पकड़ने लगा है और उसकी तपिश राजधानी भोपाल तक पहुंच गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के ट्वीट आने के बाद अब मामले का जितना संभव हो सकेगा उसे प्रतिपक्षी दल भुनाने का पूरा-पूरा प्रयास करेंगे। इसका कारण यह है कि प्रदेश में 25 विधानसभा उपचुनाव होना है और जिनमें से 16 विधानसभा उपचुनाव ग्वालियर चंबल संभाग में होना है। कई विधानसभा क्षेत्रों में दलित मतदाताओं की भूमिका निर्णायक रहती है। यही कारण है कि कांग्रेस ने बिना देरी किए अपनी प्रतिक्रिया दी तो वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती भी मैदान में आ गईं। इसलिए आगे चलकर यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर भी उठेगा, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। इन उपचुनावों में असली प्रतिष्ठा कमलनाथ और ज्योतिरादित्य की दांव पर लगी है इसलिए दोनों ही एकदम सक्रिय हुए। बुधवार की आधी रात को ही सरकार हरकत में आई और उसने एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी को अंजाम दिया। मुख्यमंत्री चौहान के आदेश पर गुना के कलेक्टर एस विश्वनाथन और जिला पुलिस अधीक्षक तरुण नायक के साथ ही इस रेंज के आईजी रामबाबू सिंह को ग्वालियर से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। राजेश कुमार सिंह को गुना का नया जिला पुलिस अधीक्षक और अविनाश शर्मा को आईजी ग्वालियर रेंज पदस्थ किया गया है।कुमार पुरुषोत्तम गुना के नए कलेक्टर बनाए गए हैं ।मामले की गंभीरता, नजाकत को समझते हुए तथा उपचुनाव के अवसर पर यह मामला ज्यादा तूल ना पकड़ने पाए इस कारण फौरन अधिकारियों को हटाया गया। इस घटना का विवरण मिलते ही मुख्यमंत्री ने इसे कितनी गंभीरता से लिया इसका प्रमाण यही है कि उन्होंने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी से यह पूछते हुए उन्हें तलब किया कि क्या इतनी बेरहमी से पुलिस लोगों को पीटती है। पुलिस के द्वारा दलितों, आदिवासियों, आम नागरिकों और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते लोगों पर बर्बरता का नजारा अक्सर देखने में आता है। केवल मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देश में जहां भी पुलिस को लोगों को नियंत्रित करना होता है तो वह बिना देखे लाठी भांजना चालू कर देती है। ऐसा करते समय वह ना तो यह देखती है कि उसके सामने बच्चे हैं, महिलाएं हैं, नेत्रहीन हैं या कोई भी हो वह ऐसे ही पेश आती है। पुलिस का निहत्थे लोगों पर अपना दबदबा दिखाना एक आम बात हो गई है। घटनाओं के बाद जांच होती है रिपोर्ट आती है लेकिन पुलिस के रवैया में कोई परिवर्तन आज तक नजर नहीं आया है। चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की या अन्य किसी दिल की, पुलिस का रवैया एक समान रहता है। जितना त्वरित कदम उठाना तत्काल संभव था वह शिवराज सरकार ने उठाया और मुख्यमंत्री स्वयं तत्काल सक्रिय हुए। लेकिन यदि इस प्रकार की घटनाएं ना हो तो उसके लिए जरूरी है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो मुख्यमंत्री कोई भी हो इस बात के प्रयास किए जाना चाहिए कि पुलिस के रवैये, सोच और नजरिए में बदलाव कैसे आए उसे ध्यान में रखकर कारगर कदम उठाए जाएं। अंग्रेजों के शासन काल से पुलिस को विरासत में जो मानसिकता और तौर-तरीके मिले हैं उसमें आमूल चूल बदलाव की जब तक पहल नहीं होगी ऐसी घटनाएं होती रहेंगी, जांच होती रहेंगी और फिर किसी नई जांच के इंतजार में रहने के सिवा कोई और चारा नहीं रहेगा।आवश्यकता इस बात की है कि स्थितियों में आमूल चूल बदलाव लाने की शुरुआत की जाए। फिलहाल इस मामले में सरकार डैमेज कंट्रोल करने में लग गई है।
कमलनाथ ने अपने ट्वीट में शिवराज सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि दोषियों पर कार्रवाई हो अन्यथा कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। एक गरीब दलित किसान दंपति पर कार्यवाही की जो हिम्मत सरकार के इशारे पर प्रशासन ने गुना में दिखाई, क्या वही हिम्मत उन तथाकथित जनसेवकों पर भी दिखाई जाएगी जिन्होंने अरबों रुपए की शासकीय भूमि हड़प रखी है। कमलनाथ का इशारा सांसद सिंधिया की तरफ था। सिंधिया ने इस मामले में ट्वीट किए। पहले में उन्होंने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए असंवेदनशील और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की, दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि घटना को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को तत्काल हटाने के निर्देश दे दिए हैं। पूर्व मंत्री कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के ट्वीट में शिवराज ही निशाने पर रहे।उन्होंने लिखा है कि जब इंसानों की बस्ती में मुखिया टाइगर बन जाए जुल्मो-ओ-सितम आवाम का भाग्य बन जाता है। शिवराज ने भी दो टूक लहजे में कहा कि इस प्रकार की बर्बरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी जितनी कार्यवाही तत्काल संभव थी वह कर दी गई। आगे भी उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट आने पर कार्यवाही की जाएगी, ऐसा भरोसा मुख्यमंत्री ने दिलाया। लेकिन इस मामले में राजनीति तो होती रहेगी क्योंकि कांग्रेस और भाजपा ही नहीं बसपा भी प्रदेश में चुनावी मूड में है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि गुना में दलित परिवार के साथ प्रशासनिक बर्बरता की घटना पर प्रदेश क्षोभ से उद्वेलित है। कल 17 जुलाई को कांग्रेस पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल वस्तुस्थिति का आंकलन करने गुना जायेगा।वहां पीड़ित परिवार से भी मिलेगा और घटना की वास्तविक जानकारी लेगा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री बाला बच्चन,जयवर्धन सिंह, हुकुम सिंह कराड़ा, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी रामनिवास रावत, फूलसिंह बरैया, विधायक हीरालाल अलावा एवं बलवीर तोमर आदि रहेंगे। यह प्रतिनिधिमंडल अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंपेगा।
अब इस मामले में राजनीतिक रंग भी सामने आने लगा है।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा है कि हमारी लड़ाई ही सोच और अन्याय के खिलाफ है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा है कि गुना पुलिस और प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम पर दलित परिवार को कर्ज लेकर तैयार की गई फसल को जेसीबी मशीन से बर्बाद करके उस परिवार को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जाना अति-क्रूर और अति- शर्मनाक है। इस घटना की देशव्यापी निंदा स्वाभाविक है, सरकार कड़ी कार्रवाई करे। मायावती ने भाजपा और कांग्रेस को एक साथ निशाने पर लेते हुए कहां है कि बीजेपी व उनकी सरकार दलितों को बसाने का ढिंढोरा पीटती है जबकि दूसरी तरफ उन्हें उजाड़ने की घटना इसी तरह आम है। जिस प्रकार से पहले कांग्रेस के शासनकाल में हुआ करता था वैसे ही अभी हो रहा है तो फिर दोनों सरकारों में क्या अंतर है? जितना संभव हो सकेगा उतना शिवराज सरकार और भाजपा डैमेज कंट्रोल की कोशिश करेगी तो वहीं दूसरी ओर बसपा और कांग्रेस इस मामले को अधिक से अधिक तूल देने की कोशिश करेंगे।
और अंत में…….!
भाजपा में अंदरूनी असंतोष अभी तक टि्वटर के माध्यम से इशारों इशारों में जाहिर हो रहा था लेकिन अब वह पत्र के माध्यम से सभी पदों से त्यागपत्र देने तक पहुंच गया है। ज्ञात हुआ है कि भाजपा के पूर्व विधायक रामदयाल प्रभाकर ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा को चिट्ठी लिखकर इस्तीफे की पेशकश कर दी है। प्रभाकर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने की बात अपनी चिट्ठी में लिखी। उन्होंने केवल त्यागपत्र की पेशकश की बात ही नहीं की है अपितु आरोप भी लगाया है कि पार्टी में तानाशाही हो रही है तथा उनकी उपेक्षा के साथ ही साथ अपमान भी हो रहा है। प्रभाकर दतिया जिले की सेवड़ा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।

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