कहिया तालाब के सौंदर्यीकरण का काम शुरू, पर अवैध कब्जा हटाने पर सभी ने साधी चुप्पी

0 क्या सौंदर्यीकरण कराकर अवैध कब्जाधारियों को दे दिया जाएगा अघोषित प्रमाण पत्र

भाटापारा। बरसों बाद संभवत पहली बार भाटापारा के इतिहास में कहिया तालाब का सौंदर्यीकरण होने जा रहा है इसके लिए काम भी चालू हो गया है पर सवाल भी उठना शुरू हो गया है कि यहां पर के कच्चे पक्के अवैध कब्जों को कौन हटाएगा। इसका जवाब शायद अभी कोई नहीं दे रहा है और लगता है देना भी नहीं चाहता है।

क्षेत्र के विधायक शिवरतन शर्मा के प्रयास के बाद अंबुजा सीमेंट संयंत्र के सहयोग से 50 लाख रुपए की लागत से कहिया तालाब का सौंदर्यीकरण होने जा रहा है इसके लिए विधिवत विधायक शिवरतन शर्मा ने बीते दिनों भूमि पूजन भी किया था। सौंदर्यीकरण की बात को लेकर लोगों में हर्ष है क्योंकि अभी तक इस तालाब का कभी भी सौंदर्यीकरण का कार्य नहीं हुआ था देखना होगा कि आगे इसका स्वरूप कैसा उभरकर सामने आता है। लोगों ने विधायक शिवरतन शर्मा को इसके लिए धन्यवाद दिया है।

इसी के साथ ही इस बात पर भी सवाल उठने लगा है कि आखिर यहां पर हुए अवैध कब्जों को कौन हटाएगा या फिर चुप्पी साध कर जिम्मेदार आंख बंद करके खामोशी की चादर ओढ़ कर जैसा है वैसे ही परिस्थिति में काम करवा कर निकल लेंगे। सत्ता पक्ष हो अथवा विपक्ष यहां पर से अवैध कब्जा हटाने के लिए क्या प्रयास करेंगे यह आने वाले समय में पता चलेगा फिलहाल तो यहां पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता है कि अवैध कब्जा हटाया जा सकेगा। क्षेत्र में काफी बड़े पैमाने पर कच्चे अवैध कब्जे के साथ ही साथ पक्के अवैध कब्जे भी हो चुके हैं जो जिम्मेदारों के लिए और प्रशासन के लिए चुनौती है। लोगों के बीच की चर्चा को अगर सही माने तो सौंदर्यीकरण करके बाउंड्री वाल बना करके अवैध कब्जा किए लोगों को एक प्रकार से प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा। इसका काम थ स्वरूप में
किया जाएगा इसका भी नगरपालिका के पास कोई जवाब नहीं है यह ठीक है कि इसका काम अंबुजा सीमेंट द्वारा प्रदत्त राशि के माध्यम से कराया जा रहा है परंतु इसकी पूरी जानकारी नगर पालिका के पास नहीं है। जानकार बताते हैं कि इसमें रेलिंग लगाकर बाउंड्री बनाई जाएगी साथ ही चारों ओर पतली सड़क भी बनाए जाने की योजना है यदि ऐसा होता है और कब्जे को नहीं हटाया जाता है तो तालाब संभवत कुंड के रूप में परिवर्तित हो जाएगा।

5 एकड़ से भी अधिक में था तालाब,, अब बचा मुश्किल से 1 एकड़ भी नहीं

बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि कहिया तालाब 5 एकड़ से भी अधिक जमीन पर बना हुआ था किंतु धीरे धीरे धीरे लोगों ने यहां पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया तब से लेकर अभी तक ना तो जिम्मेदारों ने और ना ही प्रशासन के लोगों ने अवैध कब्जा धारियों पर रोक लगाई जिसके चलते वर्तमान में यह कहिया तालाब हम मुश्किल से 1 एकड़ में भी नहीं बचा है। तालाब की दुर्दशा देखकर बड़े बुजुर्गों मैं काफी नाराजगी है। काफी बड़ी आबादी का गंदा पानी इस तालाब में आता रहा है आगे वह पानी कहां और कैसे जाएगा फिलहाल इसकी कोई रूपरेखा समझ में नहीं आ रही है।
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पालिका ने भी चुप्पी साधी

इस मामले में नगर पालिका परिषद भी चुप्पी साधे बैठी हुई है उनके पास भी इसका भी कोई जवाब नहीं है। पालिका के सामने इस तालाब को लेकर आने तो सवाल खड़े हैं पर किसी भी सवाल का जवाब पालिका के जिम्मेदार पदाधिकारियों एवं प्रशासन के लोगों के पास नहीं है।