सबका बजट

0 त्वरित प्रतिक्रिया- संजीव वर्मा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया। रूस-यूक्रेन युद्ध की विभीषिका से आशंकित संपूर्ण विश्व के लिए मंगल कामना के साथ शुरू हुआ उनका बजट भाषण छत्तीसगढ़वासियों के लिए शुभ संदेश के साथ खत्म हुआ। मुख्यमंत्री ने लगातार चौथी बार बजट पेश किया। दरअसल, मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरूप काम करना चाहते हैं। यही वजह है कि बजट में गांवों की सोंधी खुशबू का अहसास है।  गांव, गरीब, मजदूर, किसान, युवा, महिलाएं सभी की मंशा के अनुरूप बजट में प्रावधान किए गए हैं। पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के बावजूद जिस तरह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत रही वह महत्वपूर्ण है। बजट में किसानों के साथ-साथ कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर मुख्यमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सुपोषण और सामाजिक सरोकार पर जिस तरह से बजट में जोर दिया गया है वह सरकार की दिशा को बताने के लिए काफी है। गांवों के साथ-साथ शहरों का भी ख्याल रखा गया है। हर वर्गों को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है। ऐसे में यह कहने में कोई संकोच नहीं कि यह एक ऐसा समावेशी बजट है, जो हर दृष्टि से मजबूत दिखाई दे रहा है। बीते तीन सालों में भूपेश सरकार जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रही है। उसी कड़ी में इस बजट को एक और कदम के रूप में देखा जा सकता है। 1 लाख 4 हजार करोड़ के इस बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है।  बजट में बापू की स्मृतियों को संजोने एवं उनके विचार पर आधारित विकास के रास्तों को प्रदर्शित करने के लिए नवा रायपुर में सेवाग्राम की स्थापना के लिए 5 करोड़ का प्रावधान किया है। सामाजिक क्षेत्र में खासा ध्यान दिया गया है और 37 प्रतिशत राशि इस पर व्यय किया जाएगा। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में वार्षिक सहायता राशि 6 हजार से बढ़ाकर 7 हजार कर दी गई है। अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों के देवस्थल पर पूजा करने वाले व्यक्तियों को भी इस योजना के अनुरूप लाभ दिए जाएंगे। छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन की शुरूआत के लिए दो करोड़ रूपए का प्रावधान है। शिक्षित युवाओं के लिए छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में राज्य के स्थानीय प्रतिभागियों का परीक्षा शुल्क माफ करने की घोषणा की गई है। वहीं, शासकीय अधिवक्ताओं के मानदेय में भी आगामी वर्ष से वृद्धि का प्रावधान है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लिए 6 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। सिंचाई परियोजना में 100 करोड़ रू. खर्च किए जाएंगे। 5 एच.पी. तक के कृषि पंपों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय के लिए अनुदान योजना हेतु 2 हजार 600 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 800 करोड़, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए 600 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 1 हजार 675 करोड़ तथा मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना में 200 करोड़ की राशि व्यय की जाएगी। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी अच्छी खासी राशि का प्रावधान किया गया है। यानी मुख्यमंत्री ने इस बजट में सबको कुछ न कुछ देने का प्रयास किया है, जो उनकी मजबूत दृढ़ इच्छा शक्ति को दर्शाता है। बहरहाल, मुख्यमंत्री का यह बजट कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कर्मचारियों के साथ-साथ सभी वर्गों को केंद्रित कर बजट पेश किया है। उससे छत्तीसगढ़वासियों को लगने लगा है कि राज्य में अब एक ऐसी सरकार है, जो अपने वादों को पूरा करने की दिशा में काम कर रही है। राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर निर्भर है। यही वजह है कि अधिकतर योजनाएं गांवों पर केंद्रित है। उम्मीद की जानी चाहिए अब गांवों की तस्वीर और तकदीर बदलेगी तथा सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की दिशा में उठाए गए कदम कामयाब होंगे।