पाठ्यपुस्तक निगम में 72 करोड़ से अधिक का गोलमाल, सक्षम अफसरों के हस्ताक्षर के बिना राशि का आहरण 

रायपुर/ घपले-घोटालों का पर्याय बन चुके पाठ्यपुस्तक निगम में न जाने कितना गोलमाल हुआ है,जहां से फाइल निकालो गड़बड़ी सामने आ जाती है। पाठ्यपुस्तक निगम में 72 करोड़ से अधिक के अनियमित भुगतान का मामला प्रकाश में आया है। बताया गया कि  सक्षम अफसरों के हस्ताक्षर के बिना राशि का आहरण किया गया। ऑडिट में आपत्ति के बाद पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने पत्रकारों को दस्तावेजों सहित जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने वित्तीय नियंत्रण के लिए निगम-मंडलों में भुगतान के लिए निर्देश जारी किए थे। इसमें वित्त सेवा के अफसरों के संयुक्त हस्ताक्षर से देयकों के भुगतान का प्रावधान है। सरकारी आदेश के बाद 4 अक्टूबर 2019 को चेक से वित्त सेवा के अफसर के संयुक्त हस्ताक्षर से देयकों के भुगतान के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन प्रावधानों में एक लाख खर्च के लिए जीएम की स्वीकृति और सीनियर मैनेजर (वित्त), और जीएम के चेक में संयुक्त हस्ताक्षर से जारी किए जा सकते हैं। एक लाख से अधिक के लिए एमडी और चेक में सीनियर मैनेजर (वित्त), और एमडी के संयुक्त हस्ताक्षर रहेंगे। मगर इसका पालन नहीं किया गया। राज्य संपरीक्षा से ऑडिट के बाद अनियमितता के कई मामले प्रकाश में आए हैं। यह पाया गया कि चेक में सक्षम अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर के बिना करीब 72 करोड़ 45 लाख से अधिक की राशि जारी कर दी गई।
श्री त्रिवेदी ने बताया कि ऑडिट के बाद यह भी पता चला है कि भुगतान के लिए प्रावधानों का पालन नहीं किया गया, और एक लाख तक के चेक जीएम द्वारा अकेले हस्ताक्षर कर जारी किया गया। यह भी पता चला है कि एक लाख से अधिक के भुगतानों में सीनियर जीएम वित्त की जगह जीएम द्वारा हस्ताक्षर किया गया। इन चेकों में नियमानुसार सीनियर मैनेजर के हस्ताक्षर नहीं हैं। ऑडिट रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि एक्सिस बैंक के खाते से 28 दिसंबर 2020 को चेक से 8 करोड़ 92 लाख के हस्तांतरण सिर्फ जीएम के हस्ताक्षर से नियम विरूद्ध किए गए। इसमें भी सीनियर मैनेजर (वित्त) के चेक पर हस्ताक्षर नहीं है। इस पूरे मामले में बैंक से भी स्पष्टीकरण लिया जा रहा। अनियमित भुगतान पर पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमैन शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि प्रकरण की जांच के आदेश दिए गए हैं, और गड़बड़ी पाए जाने संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
श्री त्रिवेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि उनका आरोप निराधार है। आठ करोड़ 40 लाख रुपये दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय भेजने का आरोप सही नहीं है। वे अपने कार्यकाल में हुई गड़बड़ी को छिपाने के लिए अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि अगर मैंने कहीं गड़बड़ी की होगी तो मैं खुद दोषी माना जाऊंगा और उनके समय में गड़बड़ी हुई होगी, तो वे दोषी होंगे।

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