छत्तीसगढ़ विधान सभा-दो दशकों का गौरवशाली संसदीय सफर

0  गुरजीत सिंह सलूजा (वरिष्ठ सूचना अधिकारी), छत्तीसगढ़ विधान सभा

CG Vidhansabha: 30 Hours Of Work Done In A Six-day Session - छत्तीसगढ़ विधानसभा: छह दिन के सत्र में 30 घंटे हुआ काम | Patrika News

 मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 01 नवम्बर, 2000 को हुआ । अविभाजित म.प्र. की सीमा में छत्तीसगढ़ क्षेत्र के आने वाले 90 विधान सभा क्षे़त्रों को मिलाकर छत्तीसगढ़ की प्रथम विधानसभा 14 दिसम्बर, 2000 को अस्तित्व में आयी । वस्तुतः छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम विधानसभा के मान. सदस्य वर्ष 1998 के अविभाजित म.प्र. की विधान सभा में हुए आम निर्वाचन में निर्वाचित हुए   थे । सतत् सृजनशीलता छत्तीसगढ़ विधान सभा की विशेषता रही है, और यही वजह है कि अपने 20 वर्षों की संसदीय यात्रा में उसने अनेक उपलब्धियों के शिखर को सहजता से स्पर्श किया है ।
श्री महेन्द्र बहादुर सिंह 02 नवम्बर, 2000 को छत्तीसगढ़ विधान सभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) मनोनीत किये गये । छत्तीसगढ़ विधान सभा का प्रथम सत्र 14 से 19 दिसम्बर, 2000 तक राजकुमार कालेज स्थित ‘‘जशपुर हाॅल‘‘में समवेत हुआ। 14 दिसम्बर, 2000 को श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला सर्वसम्मति से विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित हुए । नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे पहले विधानसभा भवन की तलाश शुरू हुई, और अंत में ‘‘राजीव गाॅधी जलग्रहण मिशन‘‘ के रायपुर- बलौदाबाजार मार्ग पर स्थित भवन को नये विधान सभा भवन के लिए चयनित  किया गया । नवगठित राज्य के विधान सभा के अनुरूप, आवश्यकतानुसार इस भवन में अनेक निर्माण कार्य किये गये । 27 फरवरी, 2001 से वर्तमान विधान सभा भवन में द्वितीय सत्र प्रारंभ हुआ । विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत जी की परिकल्पना के अनुरूप 20 वर्षों के पश्चात् 29 अगस्त, 2020 को नवा रायपुर के सेक्टर-19 में नवीन विधान सभा भवन का भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ । 51 एकड़ में निर्मित होने वाला प्रस्तावित नवीन विधानसभा भवन महानदी और इन्द्रावती, भवन के पीछे बनेगा। भवन का स्वरूप दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के सामने स्थित नार्थ-एवेन्यु एवं साउथ- एवेन्यु जैसा होगा । छत्तीसगढ़ विधान सभा के प्रतीक चिन्ह निर्धारण हेतु रायपुर निवासी श्री अवतार सिंह मंगल के डिजाईन को स्वीकार करने की सहमति दिनांक 27 जुलाई, 2001 को प्रदान की गयी ।
कार्य मंत्रणा समिति की बैठक दिनांक 19 नवम्बर, 2001 में लिए गये निर्णय अनुसार ‘‘सदन की बैठक के दौरान जो मान. सदस्य गर्भगृह में आकर सभा की कार्यवाही बाधित करेंगे वे स्वमेव निलंबित माने जायंेगे जैसा कि मान. अध्यक्ष तय करें।‘‘ बाद में इस नियम को विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के नियम 250 के उपनियम (01) के तहत शामिल किया गया । छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस नियम की सर्वत्र सराहना हुई । छत्तीसगढ़ विधानसभा  में बहस को ध्यान में रखते हुए दिनांक 24 सितम्बर, 2002 को प्रायोगिक तौर पर पहली बार पोडियम व्यवस्था का प्रयोग किया गया । प्रथम विधान सभा के कार्यकाल में ही वर्तमान विधानसभा परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी की दस फीट ऊॅची और सवा टन वजनी कांस्य प्रतिमा का अनावरण 21 सितम्बर, 2002 को एवं 12 फीट ऊॅचे और लगभग 2.5 टन वजनी अशोक स्तंभ का अनावरण 14 दिसम्बर, 2002 को हुआ। 05 जुलाई, 2018 को विधान सभा परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदम कद प्रतिमा का अनावरण हुआ।
छत्तीसगढ़ की द्वितीय विधान सभा में 28 जनवरी, 2004 को पूर्व महामहिम राष्ट्रपति डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने छत्तीसगढ़ विधान सभा के मान. सदस्यों को सदन में संबोधित किया । यह ऐतिहासिक अवसर था। 24 जून, 2011 को पूर्व महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्र्रतिभा देवी सिंह पाटिल का भी छत्तीसगढ़ विधानसभा में आगमन हुआ। उन्होने विधानसभा परिसर में सेन्ट्रल हाॅल का लोकार्पण  किया ।
 14 से 18 नवम्बर, 2005 तक छत्तीसगढ़़ विधान सभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों के सम्मेलन का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया । छत्तीसगढ़ विधान सभा के लिये यह अत्यंत गर्व एवं गौरव की बात थी कि नव गठित राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ विधान सभा को पीठासीन अधिकारी सम्मेलन आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसमें तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष, श्री सोमनाथ चटर्जी, उपाध्यक्ष, श्री चरणजीत सिंह अटवाल एवं राज्य सभा के उप सभापति श्री के. रहमान खान सहित विभिन्न राज्यों के पीठासीन अधिकारी, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, एवं विधान परिषद के सभापति, तथा उप सभापति शामिल हुए । छत्तीसगढ़ विधान सभा को लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग पर अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर भी मिला जिसमें एफ्रो  एशियन देशों के 16 देशों के 23 प्रतिनिधियों ने भाग लिया । प्रारंभ से लेकर आज तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में मान. सदस्यों एवं मीडिया प्रतिनिधियों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम, व्याख्यान माला एवं संगोष्ठियों का निरंतर आयोजन किया जाता रहा हैं ।
द्वितीय विधान सभा के कार्यकाल में 26 जुलाई, 2007 को पक्ष एवं विपक्ष के आपसी सामंजस्य एवं प्रदेश हित की भावना को सर्वोच्च स्थान देते हुए नियम 163- के अधीन प्रदेश की नक्सल समस्या पर पहली बार सदन की गोपनीय बैठक (क्लोज डोर मीटिंग) हुई। इस बैठक में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के 80 से अधिक सदस्यों ने राजनीतिक प्रतिबद्वता से ऊपर राज्य की इस गंभीर समस्या से जुड़े प्रत्येक पहलू पर स्वस्थ एवं सार्थक चर्चा की ।
01 नवम्बर, 2007 को छत्तीसगढ़ी भाषा को छत्तीसगढ़ की राजभाषा का दर्जा देने की घोषणा की गयी । इस हेतु 27 नवम्बर को सदन में विधेयक प्रस्तुत किया गया । इसी दिन सदन में मान. सदस्यों को छत्तीसगढ़ी भाषा में बोलने की अनुमति एवं सभा  में छत्तीसगढ़ी  से हिन्दी एवं हिन्दी से छत्तीसगढ़ी में अनुवाद की व्यवस्था की गयी ।
विधान सभा परिसर में प्रेक्षागृह का उद्घाटन तत्कालीन  उपराष्ट्रपति श्री भैरो सिंह शेखावत द्वारा किया गया । मान. सदस्यों के लिए व्यायाम शाला एवं खेल प्रशाल का निर्माण किया गया, जिससे वे मानसिक के साथ शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहें। वर्ष 2008 में विधान सभा परिसर में सेन्ट्रल हाॅल, नवीन पुस्तकालय भवन, एवं विधान सभा आवासीय परिसर में सामुदायिक-भवन के निर्माण से संबंधित भूमि पूजन का कार्यक्रम सम्पादित हुआ।
तृतीय छत्तीसगढ़ विधान सभा के कार्यकाल में दिनांक 25 से 29 अक्टूबर, 2010 की अवधि में चतुर्थ इंडिया एवं एशिया रीजन राष्ट्रकुल संसदीय संघ का सम्मेलन छत्तीसगढ़ विधान सभा में आयोजित किया गया । राज्य गठन के पश्चात् यह प्रथम अवसर था जब एक वृहद-स्वरूप के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन का अवसर छत्तीसगढ़ विधानसभा को प्राप्त हुआ । इस सम्मेलन में भारत के अलावा पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली/ सीनेट, बांग्लादेश, मालद्वीव, श्रीलंका एवं पाकिस्तान में स्थित चार प्रांतीय विधान सभाओं (बलूचिस्तान, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर, सिंध एवं पंजाब) के पीठासीन अधिकारी,सम्मिलित हुए । इस सम्मेलन में सी.पी.ए. इंडिया रीजन के 79 एवं एशिया रीजन के 27 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । इस सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह रही कि इसके दोनों सत्रों में छत्तीसगढ़ राज्य के विशेष संदर्भ में प्रस्तावित दोनों विषय (1) आतंकवाद एवं नक्सलवाद-लोकतंत्र की चुनौती तथा (2) छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं खाद्य सुरक्षा पर चर्चा हेतु सहमति प्रदान की गयी । सम्मेलन में तत्कालीन लोकसभा  अध्यक्ष, श्रीमती मीराकुमार, लोकसभा उपाध्यक्ष श्री करिया मुंडा  एवं सी.पी.ए., लंदन के महासचिव श्री विलियम एफ. शीजा, ने भाग लिया था।
आदर्श लोकतंत्र की परिकल्पना है कि विधायी निकायों के, पक्ष और प्रतिपक्ष, के सदस्यों के बीच मतभेद तो हो लेकिन मनभेद न हो । इस कथन को छत्तीसगढ़ विधान सभा के मान. सदस्यों ने सदन के अन्दर और बाहर अपने कार्य, विचार और व्यवहार के माध्यम से सदैव स्थापित किया है ।
जनता को संसदीय प्रजातांत्रिक प्रणाली के संबंध में अधिक परिपक्व बनाने के उद्देश्य से दिनांक 27 फरवरी, 2017 से दूरदर्शन केन्द्र भोपाल द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा की ‘प्रश्न काल ‘ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जा रहा हैं । संसदीय गतिविधियों को प्रोत्साहित और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के एक-एक मान. सदस्य को ‘‘उत्कृष्ट विधायक‘‘ के रूप में सम्मानित किया जाता है। चतुर्थ विधान सभा के कार्यकाल में प्रथम बार ‘जागरूक विधायक‘ का पुरस्कार भी प्रारंभ किया गया । संसदीय प्रत्रकारिता में उच्च संसदीय मान्यताओं एवं मर्यादाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मीडिया प्रतिनिधियों को ‘उत्कृष्ट संसदीय पत्रकार पुरस्कार‘  से सम्मानित किया जाता है । चतुर्थ विधानसभा के कार्यकाल से  इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के प्रतिनिधि और उनके कैमरामेन को भी पुरस्कृत किये जाने की परंपरा की शुरूआत हुई ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में मा. महिला सदस्यों की भी सक्रिय भागीदारी रही हैं । प्रथम विधान सभा में 07 द्वितीय विधानसभा में 07 तृतीय विधानसभा में 12 चतुर्थ विधान सभा में 10 एवं पंचम विधान सभा में सर्वाधिक 14 महिला सदस्य निर्वाचित हुई हैं। विधायी कार्यों का यदि चर्चा करें तो प्रथम विधानसभा में कुल 08 सत्रों में 118 बैठकें द्वितीय विधान सभा में कुल 15 सत्रों में 182 बैठकें तृतीय विधानसभा में 13 सत्रों में 137 बैठकें एवं चतुर्थ विधानसभा में 17 सत्रों में 145 बैठकें हुई ।
राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी की 150 वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र 02 एवं 03 अक्टूबर, 2019 को आयोजित किया गया । देश में इस तरह के विशेष-सत्र का आयोजन पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में हुआ। इस दो दिवसीय सत्र में गाॅधी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सदन में लगभग 05 घण्टे 30 मिनट चर्चा हुई। इस विशेष सत्र की कार्यवाही का दूरदर्शन, से सीधा प्रसारण किया गया । 25 नवम्बर, 2019 से सत्र के प्रथम दिवस राष्ट्रगीत ‘वन्देमातरम‘ के साथ राज्यगीत ‘अरपा पइरी के धार‘‘‘‘ ‘ का सदन में पहली बार गायन हुआ। संविधान अंगीकरण की 70 वीं वर्षगाॅठ पर 26 नवम्बर, 2019 को सभा में विशेष चर्चा करायी गयी। ‘‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस‘‘ के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत की व्यवस्था के अनुरूप सदन की सम्पूर्ण कार्यवाही छत्तीसगढ़ी भाषा में सम्पन्न हुई । छत्तीसगढ़ विधान सभा में कोरोना काल में भी  ‘‘प्रश्नकाल‘‘ की कार्यवाही स्थगित नहीं की गयी ।
छत्तीसगढ़ विधान सभा अपनी दो दशकों की इस यात्रा में सफलता और सम्मान के अनेक नये अध्यायों को सृजित करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रही हैं । छत्तीसगढ़ विधानसभा को अनेकानेक नवाचारों, परंपराओं एवं संसदीय मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जाना और सराहा जाता हैं। सभा में संसदीय मूल्यों की स्थापना तथा प्रजातांत्रिक सिद्धातों के अनुकूल कार्यवाही संचालन की प्रतिबद्धता छत्तीसगढ़ विधानसभा का सदैव मूल मंत्र रहा है, और भविष्य में भी रहेगा ।

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