भाटापारा/ सरयूपारी ब्राहम्ण समाज के संरक्षक वीरेन्द्र शर्मा रेखा शर्मा की पुत्रवधु निमती निधि अभिनव शर्मा द्वारा हस्त निर्मित अदभूत दिव्य कलाकृति का अनावरण समारोह यशोदा मंगलम सिविल लाईन भाटापारा में आनंदमय वातावरण में संपन्न हुआ, इस भव्य समारोह में निधि अभिनव शर्मा के विवाह महोत्सव के प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर रुद्राभिषेक समारोह पूजन आराधना के साथ सत्यनारायण व्रत कथा श्रवण के पश्चात मुख्य अतिथि पं झम्मन प्रसाद शास्त्री पीठ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के मुख्य आतिथ्य मे कार्यक्रम संपन्न हुआ,
कला के प्रति बचपन से अभिरुचि
इस अवसर पर माता यशोदा देवी के पावन सानिध्य मे कोरबा से पधारे निधि शर्मा के पिता हरिशचंद्र शुक्ला माता निर्मला शुक्ला ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा काल से ही निधि को चित्रकला के प्रति अभिरुचि थी धीरे धीरे इस कार्य मे लगन लग गई , आगे भी इस कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की जिज्ञासा है, उन्होने निधि का परिचय दिया कि प्राथमिक शिक्षा सेन्ट जेवियर्स पब्लिक स्कूल कोरबा से प्राप्त की थी, बी काम एवं एम काम डी ए व्ही इंदौर से प्राप्त की बैचलर आफ फाइन आर्ट प्रयाग विश्व विद्यालय इलाहाबाद ,मास्टर इन क्लासिकल म्यूजिक गंधर्व विश्वविद्यालय मुंबई से एवं स्व रचित चित्रकारी मे विभिन्न प्रकार के चित्रण शैली जैसे मधुबनी वर्ली केरला म्यूरल आदि में महारत हासिल है, इसी तरह विभिन्न माध्यमों से चित्रकारी करतीं हैं, जैसे पेंसिल सेडिंग वाटर कलर क्रेयान एक्रीलिक कलर आदि का उपयोग करतीं हैं, इसी के आगे की कड़ी मे सूपा मे चित्रकारी बांस से बने हाथ पंखों मे कलाकारी, मातृका कला, जिसे क्ले आर्ट कहा जाता है, उसमें भी कुशलता प्राप्त है,उनके द्वारा 2019मे संस्कार भारती कोरबा के एक आयोजन में प्रदर्शनी लगायी गयी थी, जिसे जनमानस की भरपूर सराहना मिली, आगे भी उनकी इच्छा इसी तरह के कार्यों मे योगदान देनें की है,
झम्मन शास्त्री द्वारा आशीर्वचन
उपरोक्त विषय पर आचार्य झम्मन शास्त्री ने अपने उदबोधन मे कहा कि निधि अभिनव शर्मा सनातन धर्म मे अदभूत आस्था के फलस्वरूप देवी देवताओं के दिव्य स्वरूप का जीवंत चित्रण करना भगवत कृपा से ही संभव है, अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि वीरेन्द्र शर्मा जी के परिवार मे सुशिक्षित सुसंस्कृत पुत्रवधु को प्राचीन कलाकृति के प्रति कार्य मे अदभूत निष्ठा एवं रुचि है, जिससे भगवान तीर्थ ,धाम, गोमाता भगवान विभिन्न स्वरूप एवं प्रकृति वन पर्वत माला नदियों की चित्रण करनें की कला प्रकृति प्रदत्त देन है, जो ऐतिहासिक है,परम पिता परमेश्वर इन्हे और अध्यात्मिक शक्ति प्रदान करे ज्यादा से ज्यादा इस क्षेत्र मे सफलता प्राप्त हो ,ऐसी भगवान से प्रार्थना है, अंत मे आचार्य झम्मन शास्त्री जी ने अपने दिव्य आशीर्वचन मे कहा कि भारतीय संस्कृति मे प्राचीन कला के साथ विद्या का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, जीवन मे सर्वाधिक उत्कर्ष की प्राप्ति के लिए विद्या के साथ विविध कलाओं को सीखने मे भी अभिरुचि होनी चाहिए,सृष्टि के आदि से ही 32विद्या 64 कलाओं का शास्त्रों मे पुराणों में उल्लेख मिलता है,वर्तमान समय मे आधुनिक यांत्रिकी युग में विभिन्न प्राचीन एवं कला का लोप हो रहा है,भारत इन्ही विशेषताओं के कारण ही विश्व गुरु के रुप मे उदित रहा है, किसी भी देश का गौरव अपनी संस्कृति एवं प्राचीन परंपराओं पर आधारित होती है,कला संगीत नाट्य भारतीय शास्त्रीय संगीत को भगवत प्राप्ति की साधना उपासना के रुप मे मान्यता प्राप्त है, सौभाग्यवती निधि अभिनव शर्मा अपनी उत्कृष्ट कलाकृति के द्वारा हमारे समाज परिवार का गौरव बढ़ा रहीं है, अपनी प्रतिभा को विस्तार से उत्कृष्ट शैली मे प्रदर्शित कर भारतीय प्राचीन संस्कृति के अनुरुप सराहनीय कार्य कर रहीं है, जो अत्यंत प्रशंसनीय है, इनके जीवन मे दिव्य शक्तियों की कृपा एवं आध्यात्मिक दैवीय सुभाशीष के प्रभाव से सफलता मिले इसके लिए श्री प्रभु के चरणों में प्रार्थना समर्पित करते हुए मंगल कामना प्रस्तुत करता हूँ।
परिवार एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति
आयोजन के समापन कड़ी मे निधि अभिनव शर्मा द्वारा शास्त्री जी को स्वनिर्मित कलाकृति भेंट कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया गया, उक्त भव्य आयोजन मे वीरेन्द्र शर्मा , रेखा शर्मा, उषा मिश्रा, हरिश्चंद्र शुक्ला ,निर्मला शुक्ला , सुरेन्द्र शर्मा, संगीता शर्मा, सुशील शर्मा, सरला शर्मा, जितेन्द्र शर्मा ज्योति शर्मा, ज्योति शर्मा, ममता रुपेश शर्मा , अभिनव शर्मा, अंकिता शर्मा, अभिजीत शर्मा, सोनू शर्मा ,आंचल शर्मा,आकांक्षा शर्मा ,अनुष्का शर्मा, वाणी मिश्रा एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।