पुष्यामृत योग: सितंबर से दिसंबर तक में इतनी बार ही बन रहा ये शुभ योग, इन कामों में मिलती है सफलता

सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ और अशुभ समय को मुहूर्त कहा जाता है। मुहूर्त का आकलन योग, नक्षत्र और वार (दिन) से किया जाता है। शुभ मुहूर्त में ही मांगलिक कार्य किए जाते हैं और अशुभ मुहूर्त में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है।

पुष्यामृत योग क्या होता है-

जिस तरह से सिंह को सबसे ताकतवर माना जाता है। उसी तरह से नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे बलवान मानते हैं। कहते हैं कि पुष्यामृत योग गुरुवार के दिन पड़ता है तो वह फलदायी होता है। पुष्यामृत योग को ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना गया है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, अगर किसी भी शुभ कार्य के लिए कोई मुहूर्त नहीं मिल रहा हो तो इस योग में कार्य किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस योग कोई भी मांगलिक कार्य, पहले से अटका हुआ कार्य, सोना खरीदना, जमीन खरीदना फलदायी होता है। हालांकि पुष्य नक्षत्र को एक शाप भी मिला है, जिसके कारण इस योग में विवाह कार्य वर्जित माने गए हैं। इसके अलावा अगर यह शुभ योग बुधवार और शुक्रवार को पड़े तो कोई नया कार्य नहीं करना चाहिए।

सितंबर से दिसंबर तक पुष्यामृत योग –

13 सितंबर 2020 – रविवार – 16:34 बजे से 29:47 बजे तक।
14 सितंबर 2020 – सोमवार – 5:49 बजे से 15:52 बजे तक।
10 अक्टूबर 2020 – शनिवार – 25:18 बजे से  29:58 बजे तक।
11 अक्टूबर 2020 – रविवार – 5:58 बजे से  25:29 बजे तक।
07 नवंबर 2020 – शनिवार – 8:05 बजे से  30:15 बजे तक।
08 नवंबर 2020 – रविवार – 6:15 बजे से  8:45 बजे तक।
04 दिसंबर 2020 – शुक्रवार – 13 :39 बजे से  30:33 बजे तक।
05 दिसंबर 2020 – शनिवार – 6:33 बजे से  14:28 बजे तक।
31 दिसंबर 2020 – गुरुवार – 19 :49 बजे से  30:47 बजे तक।

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