एक करोड़ के इनामी रामधेर समेत 12 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

राजनांदगांव। नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत एक बड़ी कामयाबी मिली है। प्रदेश में एक करोड़ के इनामी रामधेर मज्जी सहित 12 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इन नक्सलियों में छह महिलाएं भी शामिल हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की पुलिस के लिए नक्सली रामधेर बड़ी चुनौती था। सरेंडर नक्सली रामधेर मज्जी एमएमसी जोन में सीसी मेंबर के रूप में कर रहा था। खैरागढ़ जिला बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में आज सुबह 12 सीपीआई माओवादी कैडरों ने सरेंडर किया है। सरेंडर करने वालों में रामधेर मज्जी सहित बड़े कैडर शामिल हैं। सरेंडर करने वालों में बड़े नक्सली कैडर के सदस्य जिसमें, सीसी मेंबर, डीवीसीएम, एसीएम और अन्य स्तर के बड़े नक्सली शामिल हैं। इन नक्सलियों ने एके-47 और अन्य हथियारों के साथ सरेंडर किया है। बताया जा रहा है कि सीसी मेंबर रामधेर मज्जी के सरेंडर के बाद नक्सलियों का एमएमसी जोन लगभग खत्म हो गया।

20 महीने में 508 नक्सलियों ने किया सरेंडर

केंद्र और राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर, पिछले 20 महीनों में दंतेवाड़ा जिला में 165 इनामी नक्सली सहित कुल 508 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोडक़र सामाजिक मुख्यधारा को अपनाया है। नक्सलियों के नेतृत्व से लेकर आधार क्षेत्र के सक्रिय कैडर तक बड़ी संख्या में नक्सली संगठन से अलग हो चुके हैं। लोन वर्राटू अभियान के तहत अब तक 333 इनामी नक्सली सहित कुल 1160 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। जिसमें जिला दन्तेवाड़ा के साथ-साथ सीमावर्ती जिलों बस्तर, बीजापुर एवं नारायणपुर के 916 पुरूष नक्सली तथा 244 महिला नक्सली शामिल हैं।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों के नाम

रामधेर मज्जी- सीसीएम, चंदू उसेंडी- डीवीसीएम, ललिता- डीवीसीएम, जानकी- डीवीसीएम, प्रेम-डीवीसीएम, रामसिंह दादा- एसीएम, सुकेश पोट्टम-एसीएम, लक्ष्मी- पीएम, शीला- पीएम, सागर-पीएम, कविता- पीएम, योगिता-पीएम

नक्सलियों का एमएमसी जोन खत्म होने की कगार पर
सीसी मेंंबर रामदेर मज्जी के सरेंडर के बाद माना जा रहा है नक्सलियों का एमएमसी जोन लगभग खत्म होने की कगार पर है। एमएमसी जोन यानी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सरहदी इलाके में कुछ दिनों पहले ही एमएमसी जोन के प्रवक्ता अनंत ने भी अपने साथियों के साथ सरेंडर किया था। बता दें छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन मार्च 2026 तय की गई है।