उपचुनाव: चंबल के दंगल में किसका ‘अमंगल ’ करेगी बसपा

– अरुण पटेल

विधानसभा के 16 उपचुनाव ग्वालियर -चंबल संभाग में हो रहे हैं और वहां पर अब भाजपा- कांग्रेस और बसपा के नेता तथा कार्यकर्ता जमीन पर सक्रिय हो गए हैं। बसपा ने 8 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। भाजपा के तीन दिवसीय जंगी आयोजन के बाद कांग्रेस ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। आज 30 अगस्त को केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने मुरैना में चुनिंदा भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया और उन्हें चुनाव जीतने की टिप्स देते हुए जोश भरने का भी काम किया।

मुरैना तोमर का अपना लोकसभा क्षेत्र है। 16 उम्मीदवारों में से 15 तो दलबदल कर भाजपा में आने वाले पुराने कांग्रेसी विधायक ही उम्मीदवार होंगे और केवल जौरा में उसे नया उम्मीदवार खोजना है क्योंकि यहां पर उपचुनाव कांग्रेस विधायक के निधन के कारण रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए हो रहा है। ऐसे में भाजपा के सामने अपने कोर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर चुनाव में कार्य करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से ग्वालियर और चंबल में नरेंद्र सिंह तोमर से अधिक प्रभावी कोई दूसरा नेता नहीं हो सकता क्योंकि तोमर दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और उमा भारती, बाबूलाल गौर तथा शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकारों में महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री भी रहे हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में भी प्रभावी मंत्री हैं। प्रदेश अध्यक्ष शर्मा भी इलाके में असर रखते हैं इसलिए दोनों कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुटाने में सबसे अधिक कारगर साबित हो सकते हैं इसलिए 30 और 31 अगस्त को संयुक्त रुप से कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए उनसे सीधा संवाद कर रहे हैं। इसके साथ ही भाजपा मैदानी स्तर पर और अधिक सक्रिय नजर आ सकती है। मुरैना के बाद सोमवार को दोनों नेता भिंड और ग्वालियर में सीधे कार्यकर्ताओं और नेताओं से संवाद करेंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद इस अंचल में अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ऐसे इकलौते नेता हैं जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर कर उन्हें सक्रिय कर सकते हैं। इस काम को वह बखूबी अंजाम दे रहे हैं। 22 अगस्त को सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद पहली बार ग्वालियर आने पर उनके विरुद्ध जो प्रदर्शन कांग्रेसजनों ने किया उसके दूसरे दिन ग्वालियर में मोर्चा दिग्विजय ने ही संभाला और सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए और बाद में भाजपा में शामिल होने के बाद दिए गए भाषणों का वीडियो मीडिया में जारी कर उन पर निशाना साधा। दिग्विजय सिंह के नजदीकी नेताओं ने स्थानीय नेताओं से मिलकर मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह काफी मुखर और सक्रिय हो गए हैं। 5 सितंबर से 11 सितंबर तक डॉ. गोविंद सिंह लहार से सेवढ़ा के बीच नदी बचाओ सत्याग्रह के तहत सात दिवसीय आयोजन में पदयात्रा करेंगे। डॉ. सिंह ने ’अब तो मैंने ठाना है नदियों को बचाना है’ के उद्घोष के साथ इस पदयात्रा का आगाज करने का एलान किया है। इसे वे विशुद्ध नदी बचाओ सत्याग्रह कह रहे हैं जो कि अवैध उत्खनन रोकने तथा जल, जीवन और जंगल बचाने के मकसद से गैर- राजनीतिक पदयात्रा कह रहे हैं। वह कहें कुछ भी लेकिन यदि अवैध रेत उत्खनन बड़ा मुद्दा बन जाता है तो फिर इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को ही इन उपचुनावों में मिलेगा। पदयात्रा के शुभारंभ के मौके पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह मौजूद रहेंगे। इस पदयात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता सांसद विवेक तन्खा, जल- पुरुष राजेंद्र सिंह, समाजसेवी राजगोपाल, कंप्यूटर बाबा सहित अनेक बड़ी हस्तियां बीच-बीच में शिरकत करेंगी। अब कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता ग्वालियर-चंबल संभाग में मैदान में उपचुनाव के लिए भी मोर्चा संभालते नजर आएंगे।
और अंत में…………
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग एकमात्र ऐसा इलाका है जहां सही मायने में त्रिकोणात्मक चुनावी लड़ाई भाजपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के बीच होती रही है। उत्तर प्रदेश की सीमा से इस अंचल के साथ ही प्रदेश के जो हिस्से लगते हैं वहां बसपा का आधार कुछ मजबूत है और वह चुनावी लड़ाई को त्रिकोणी बनाने की सामर्थ्य रखती है। विधानसभा के जो 16 उपचुनाव ग्वालियर-चंबल में हो रहे हैं वहां बसपा का भी अनेक क्षेत्रों में ऐसा असर है कि वह चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है। अभी भिंड से बसपा विधायक संजीव सिंह हैं। बसपा उपचुनाव में किसको फायदा पहुंचाती है, किसके वोट काटती है यह उपचुनाव के नतीजे पर निर्भर होगा। पूर्व के चुनावों में बसपा कांग्रेस व भाजपा दोनों को ही समय-समय पर नुकसान पहुंचाती रही है इसलिए फिलहाल तो भाजपा खुश है उसे लग रहा है कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा जबकि उपचुनावों के लिए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा का दावा है कि यह चुनाव उपचुनाव की मानसिकता से नहीं अपितु आमचुनाव की मानसिकता से हो रहे हैं इसलिए मतदाता ऐसे किसी भी दल को वोट नहीं देंगे जो भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए मैदान में होगा। ग्वालियर चंबल-संभाग में 9 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कभी ना कभी विधानसभा चुनावों में बसपा जीत चुकी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में गोहद, डबरा और पोहरी में बसपा दूसरे स्थान पर रही जबकि जीत कांग्रेस ने दर्ज कराई। ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और मुंगावली में उसकी उपस्थिति चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाली रही और यहां भी उसकी उपस्थिति का फायदा सीधे-सीधे कांग्रेस को मिला। देखने वाली बात यह होगी कि इन उपचुनावों में बसपा उम्मीदवारों की मौजूदगी शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार बनाए रखने में मददगार होगी या फिर से कांग्रेस के कमलनाथ की ताजपोशी का मार्ग प्रशस्त करेगी। दिलचस्पी का विषय यह रहेगा कि उपचुनावों के दंगल में चंबल में किसका ’अमंगल’ करेगी बसपा।

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