मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने, कानून व्यवस्था को सख्त करने और प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए दो दिवसीय कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में न केवल तेवर दिखाए बल्कि सुशासन, पारदर्शिता और जनहित के नए मानक तय किए। दो दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने जहां सख्ती दिखाई। वहीं, अच्छा कार्य करने वाले कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों की सराहना भी की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कॉन्फ्रेंस केवल समीक्षा बैठक नहीं बल्कि जनहित के कार्यों को तय करने का एक अवसर है। साय ने अधिकारियों को चेताया कि जिलों में योजनाओं के क्रियान्वयन में परिणाम दिखाई देने चाहिए। केवल रिपोर्टों में नहीं। शासन की नीतियों और योजनाओं का अंतिम उद्देश्य आम जनता तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए। साय ने दो टूक कहा कि धान खरीदी में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी धान खरीदी केंद्रों की मॉनिटरिंग हो। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुगमता सुनिश्चित हो। अंतरराज्यीय सीमावर्ती जिलों में विशेष सतर्कता बरती जाए, ताकि बाहर से धान की अवैध आवाजाही को रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के किसानों के लिए विशेष निर्देश देते हुए कहा कि जनजाति इलाकों में विशेष शिविर के माध्यम से शत-प्रतिशत पंजीयन सुनिश्चित किया जाए। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी बैठक में विस्तृत चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि शत-प्रतिशत प्रसव सभी अस्पतालों में सुनिश्चित हो। मुख्यमंत्री ने वेलनेस सेंटरों को सक्रिय कर गैर संचारी रोगों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग को सतर्क रहने के साथ जिलों में परीक्षा परिणाम सुधार की ठोस योजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जो जिले बेहतर रहे हैं उनके मॉडल अन्य जिलों में लागू किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रॉप-आउट शून्य करने और सकल नामांकन अनुपात को 100% करने का लक्ष्य हर हाल में पूरा होना चाहिए। वहीं, कांफ्रेंस के दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने, मादक पदार्थों पर नियंत्रण, साइबर अपराधों की रोकथाम और सड़क सुरक्षा पर सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस की छवि ऐसी होनी चाहिए जिससे अपराधियों में कानून का भय और आम नागरिकों में सुरक्षा का अहसास हो। साय ने स्पष्ट कहा कि जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। दोनों के बीच समन्वय होना जरूरी है। उन्होंने चेतावनी दी कि कानून व्यवस्था के मामलों में ढिलाई प्रशासनिक उदासीनता माना जाएगा और ऐसे मामलों में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी उन्होंने निर्देश दिए कि अव्यवस्था फैलाने, चाकू बाजी और हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। साय ने सीमावर्ती जिलों में तस्करी पर रोक लगाने और एनडीपीसी एक्ट के तहत समय-सीमा में कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने को कहा। साथ ही मुख्यमंत्री ने कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के वन प्रबंधन, तेंदूपत्ता संग्रहकों के हित, लघु वनोपजों के मूल्य संवर्धन, इको-टूरिज्म, औषधि पौधों की खेती और वनों से जुड़ी आजीविका के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा की। बहरहाल, दो दिवसीय इस कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में जो चर्चा हुई है, वह महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों को सुशासन की जो सीख दी है यदि उन पर अमल किया जाए तो न केवल व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों पर भी अंकुश लगेगा। आज जिस तरह से प्रदेश में मादक पदार्थों की तस्करी, हत्या, लूट, बलात्कार और नशे का कारोबार बढ़ रहा है, वह चिंतनीय है। इससे निजात मिलना सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। लंबे समय से चल रहे अवैध रेत उत्खनन पर अंकुश लगाने की कवायद धरी की धरी रह गई है। लाख कोशिशों के बावजूद अवैध रेत उत्खनन बदस्तूर जारी है। अब कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सख्ती दिखाई, तो उम्मीद जगी है कि प्रशासन न केवल सतर्क होगा बल्कि चुस्त भी होगा। बेलगाम कानून-व्यवस्था पर लगाम लगेगा और आम जनता अपने आपको सुरक्षित महसूस करेगी।
साय ने दी सुशासन की सीख
