*भाजपा सरकार में अघोषित तौर पर मनरेगा बंद, प्रदेश के 70 प्रतिशत गांव में नहीं चल रहा है कोई काम*
रायपुर/ “मनरेगा दर्पण“ ऐप और क्यू आर कोड जारी करने को राजनैतिक पाखंड करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि यह सरकार इवेंट करके छत्तीसगढ़ के मनरेगा मजदूरों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। असलियत यह है कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा के तहत सृजित कार्यदिवसों की संख्या में दुर्भावना पूर्वक कटौती लगातार जारी है। भाजपा की सरकारों की दुर्भावना के चलते ही गरीब परिवारों के रोजगार के अधिकार की यह महत्वपूर्ण योजना, छत्तीसगढ़ में अपनी गति को खोता जा रहा है। पिछले 20 महीने से जब से भाजपा की सरकार आई है पूरे प्रदेश में मनरेगा अघोषित तौर पर बंद कर दिया गया है। मनरेगा रोजगार की कानूनी गारंटी है कोई भी सरकार मनरेगा के काम को बंद नहीं कर सकती है लेकिन छत्तीसगढ़ में 70 प्रतिशत से अधिक गांव में मनरेगा के काम बंद कर दिए गए। मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है, लोग पलायन के लिए मजबूर है। सरकार से यह मांग है कि बताएं कि प्रदेश में कितने स्थान पर मनरेगा का काम चल रहा है? विगत 20 माह में प्रदेश में मनरेगा के तहत दिए गए रोजगार की सूची जारी करे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में लगभग 18 करोड़ कार्य दिवस हर साल सृजित किए जाते थे, भाजपा की सरकार आने के बाद से इस महत्वपूर्ण योजना पर ग्रहण लग गया है। यूपीए की मनमोहन सरकार के दौरान ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को हर साल 100 दिन का गारंटेड रोजगार प्रदान किया जाता था, इसमें सड़क निर्माण, तालाब और कुएं की खुदाई जल संरक्षण और सूखा राहत जैसे सार्वजनिक कार्य शामिल किए जाते थे यदि आवेदक को 15 दिन के भीतर काम उपलब्ध नहीं कर पाए तो व्यक्ति मजदूरी के भुगतान का पात्र माना जाता था, लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद से हितग्राहियों को ना काम मिल रहा है, ना भुगतान।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि भाजपा सरकार की नीतियां मूलतः गरीब विरोधी है। केंद्रीय अधिनियम के तहत लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत देश में लगभग 27 करोड़ मजदूर पंजीकृत हैं, पूरे देश की यदि हम बात करें तो वर्तमान मोदी सरकार कुल पंजीकृत मजदूरों में से एक तिहाई, अर्थात 9 करोड़ लोगों को भी रोजगार उपलब्ध नहीं कर पा रही है, साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी तो छोड़िए, साल भर में 30 दिन का काम भी मनरेगा मजदूरों को नहीं दे पा रही है मोदी सरकार। भाजपा की डबल इंजन सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरों की स्थिति और भी बदहाल हो गई है। प्रदेश के 70 फ़ीसदी गांवों में मनरेगा जैसी रोजगारमूलक योजना अघोषित तौर पर बंद किया जा चुका है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि मनरेगा अधिनियम के तहत मजदूरों को जो प्रशिक्षण की व्यवस्था होती थी, इस सरकार आने के बाद से वह तक बंद हो चुकी है, 50 दिन काम करने वाली गर्भवती महिला मजदूर को एक महीने के मजदूरी का भुगतान किए जाने का एक्ट में प्रावधान है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से यह लाभ भी गर्भवती माताओं को नहीं मिल पा रहा है यह सरकार केवल झूठे दावे करती है और मजदूरों का शोषण करती है।