0 अध्यक्ष ने किया इन नेताओं के निधन का उल्लेख,मृतात्माओं के सम्मान में कार्यवाही स्थगित
रायपुर/ छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का आज आगाज हो गया। प्रश्नकाल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेश के नेता अजीत जोगी,बलियार सिंह,रजनीगंधा,डीपी घृतलहरे के निधन की सूचना देते हुए उनके प्रति तथा गलवान घाटी में शहीद जवानों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की, अन्य सदस्यों के द्वारा श्रद्धांजलि देने के बाद आज की शेष कार्यवाही को मृतात्माओं के सम्मान में अगले दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कार्यवाही शुरू होते ही निधन का उल्लेख करते हुए कहा कि अजीत जोगी ने पेंड्रा जैसी ग्रामीण बस्ती में जन्म लिया,उन्होंने बड़े मुकाम हासिल किये , बीई, एलएलबी,एआईई, की परीक्षा पास कर इंजीनियरिग कॉलेज में प्राध्यापक से जीवन की शुरुवात की आईपीएस,आईएएस जैसी परीक्षाएं मेरिट में पास कर कलेक्टर की सेवा देते हुए लोकसभा सदस्य,राज्यसभा सदस्य,राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता, विधायक, मुख्यमंत्री तक का अपना गौरवशाली राजनैतिक सफर पूरा किया। अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक वे छत्तीसगढ़ की जनता के सेवक बने रहे। कमजोर वर्गों के लिए उनका समर्पण अनुकरणीय रहा। उनके निधन से प्रदेश व देश ने एक कुशल वरिष्ठ नेता,प्रशासक, व समाजसेवी को खो दिया। उन्होंने पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री बलियार सिंह ,पूर्व मंत्री डीपी घृतलहरे व पूर्व रायगढ़ सांसद रजनीगंधा व गलवान घाटी में शहीद जवानों का भी उल्लेख करते हुए उन्हें सदन की ओर से श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी ओर से श्रद्धाजंलि देते हुए अजीत जोगी के विषय में कहा कि वे वाकई सपनो के सौदागर थे। उनके मंत्री मंडल में काम करने का अवसर मिला अनेक स्मृतियां उनकी मेरे जेहन में हैं। उनके साथ अच्छा व बुरा दोनों समय देखा,वे अद्भुत क्षमता के धनी थे। जोगी चाहे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में हमेशा छत्तीसगढ़ के विकास के लिए सक्रिय रहते थे। दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ बड़ी जीवटता से अंतिम समय तक सक्रिय रहे। हमेशा अच्छी सलाह देते थे। वे जीते जी ही एक मिथक बन गए थे, उनके बारे में लोग अनेक किवदंती बना चुके हैं। मैं भी उनकी भाषण शैली व उनके लहजे को याद करता हूं। बहुआयामी व्यक्तित्व के वे धनी थे। उनके साथ अंतिम बार मरवाही जिला उदघाटन के दौरान सभा में उनके साथ मंचस्थ था, तब उन्होंने मुझे कहा था कि अब यहां जल्दी सभी कार्यालय खोलवा दो,हमने उनकी इस इच्छा का सम्मान किया और यह कार्य किया है। धरमलाल कौशिक ने कहा कि जोगी अद्भुत क्षमता के धनी थे ,जो परीक्षाएं देते थे ,उसमें वे सफल होते थे। उनकी जीवन में प्राप्त की गई उपलब्धियों से यही पता चलता है। जीवन में उनका संघर्ष विरल है, जिस परिस्थिति में वे रहे उन्होंने अद्भुत संघर्ष किया। अपनी विषम स्थिति के बाद भी पूरी जीवटता से काम करने की उनकी शैली बिरले ही लोगों में होती है , उसमे जोगी भी एक बडा नाम है। हमेशा छत्तीसगढ़ी में भाषण देने का उनका तरीका प्रभावशाली होता था। छत्तीसगढ़ के लिए जमीनी आदमी के प्रति उनका समर्पण अनुकरणीय था। उस दौर में पत्रकारों के लिए भी यह जिज्ञासा का विषय होता था कि अपने भाषण में जोगी क्या बोलने वाले हैं।
जोगी की पार्टी जेसीसी के विधानसभा में नेतृत्व करने वाले कभी उनके घोर आलोचक भी रहे धर्मजीत सिंह ने याद करते हुए अजीत जोगी के बारे में अनुभव सांझा किये। उन्होंने कहा कि जोगी हमेशा सबकी बात सुनते थे और विरोधी हो या पक्ष का उसका काम यदि जायज है तो उसे बिना विलंब किया करते थे। ऐसे अनेक अनुभव उन्होंने सदन में सदस्यों से सांझा किये। उन्होंने कहा कि जोगी दृढ़ इच्छा शक्ति के वाहक थे। गरीबी में जिये थे , तो गरीबों का दर्द समझते थे। उनकी दी हुई योजनाएं और उनकी सोच-कल्पना की दिशा प्रदेश की गरीब जनता को समर्पित होती थी। तेंदूपत्ता नीति बनवाने में अर्जुनसिंह के साथ रहते हुए उनका योगदान , धान खरीदने की शासकीय नीति देश में सबसे पहले लाने वाले वही थे। बजट राशि की कमी का समाधान उन्होंने काम के बदले अनाज कार्यक्रम बनाकर किया जो अद्भुत था। रायपुर राजधानी का ग्लोबल टेंडर , अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की कल्पना हो या फसल चक्र परिवर्तन को सफल बताने कवर्धा में शक्कर कारखाना खोला, कवर्धा को कबीर धाम नाम देने वाले भी जोगी ही थे। घासीदास के धाम में कुतुब मीनार से भी ऊंचा जैत खंब की कल्पना भी उन्ही की थी भले ही निर्माण किसी के भी किया हो। उनका शरीर भले ही कमजोर था पर काम फौलादी थे,दो पैरो वाला इंसान जहां तक ना जा पाए पर वे व्हील चेयर पर बैठ कर पूरे प्रदेश में पहुंच कर अपने विरोधियों को यह साबित कर देते थे कि “तू डाल डाल तो मैं पात पात ” ।
अजय चंद्राकर ने भी अपने उनके बारे में अनुभव सांझा किए , कहा वे अध्ययनशील व ब्रिलिएंट प्रशासनिक अधिकारी व नेता थे। मैं छत्तीसगढ़ के प्रति उनकी प्रतिबद्धता व समर्पण व उनके आत्मबल का कायल था। उन्होंने छत्तीसगढ़ की इमानदारी से सेवा की है। उनका कटु आलोचक होते हुए भी उनकी कार्यशैली व जीवटता का प्रसंशक मैं भी था। जोगी के अलावा चाम्पा जांजगीर से पूर्व लोक सभा सदस्य व म.प्र. के पूर्व मंत्री बलियार सिंह , रायगढ़ की पूर्व सांसद रजनीगंधा , व पूर्व मंत्री डीपी घृतलहरे तथा गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को भी सदन ने श्रद्धांजलि दी। बसपा के केशव चंद्रा जेसीसी के धर्मजीत सिंह डॉ. रेणु जोगी ,भाजपा के डॉ. रमनसिंह ,नारायण चंदेल, बृजमोहन अग्रवाल, कांग्रेस के टीएस सिंहदेव ,अमरजीत भगत, कवासी लखमा, मनोज मंडावी,शैलेश पांडेय, मो. अकबर, रविन्द्र चौबे समेत कुल 16 सदस्यों ने भी अपनी ओर से अपने अनुभव सांझा करते हुए सभी मृतात्माओं के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सदन की कार्यवाही आज 1 बज कर 15 मिनट पर समाप्त हुई। अध्यक्ष ने सदन की परम्परानुसार मृतात्माओं के सम्मान में सदन की कार्यवाही को अगले दिन तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
जोगी की आत्मकथा का नाम सपनों का सौदागर
डॉ. रेणु जोगी ने भी अजीत जोगी को सदन में भावुक श्रद्धांजलि देते हुए उनकी अनेक विशेषताओं का उल्लेख किया और कहा कि जोगी जी ने कोरोना काल में एक किताब लिखी थी जो उनकी आत्मकथा है, मैं उसको प्रकाशित करवाउंगी मगर असमंजस में थी कि उसका टाइटल क्या रखा जाए। सोच था संघर्षयात्रा या सफरनामा रखूं पर आप लोगों ने मेरी इस कठिनाई व असमंजस को दूर कर दिया है। आप सभी ने जोगी जी को सपनों का सौदागर कह कर संबोधित किया है और वे भी कहते थे कि मैं सपनों का सौदागर हूं, अब में उस किताब का नाम ” सपनों का सौदागर ” रखूंगी।