पहले रोहित शर्मा। अब विराट कोहली। एक सप्ताह के भीतर क्रिकेट के दो दिग्गजों का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास। यह भारतीय क्रिकेट के एक युग का अंत है। अब मैदान पर दो दोस्त सफेद जर्सी में नहीं दिखेंगे। विराट कोहली ने 14 साल के अपने लंबे टेस्ट कैरियर में 123 टेस्ट मैचों में 46.85 की औसत से 9230 रन बनाए और बतौर भारतीय चौथे सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेेबाज के रूप में अपना कैरियर खत्म किया। पिछले कई दिनों से खबरें चल रही थी कि कोहली ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से कह दिया है कि वह लाल गेंद के प्रारूप में आगे नहीं खेलना चाहते हैं। हालांकि, ये भी खबर थी कि बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी ने उनसे अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। लेकिन किंग कोहली ने अपना फैसला नहीं बदला और इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिये टेस्ट प्रारूप से अलविदा कह दिया। उनके फैसले ने सभी को चौंकाया। हालांकि यह फैसला उनका अपना है, लिहाजा इस पर तर्क-वितर्क उचित नहीं है। लेकिन यह सच है कि उनके संन्यास से एक धमाकेदार युग का अंत हो गया। यह उस अध्याय का अंत है जिसने भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे बड़ा बदलाव दिया। कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और इसे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाया। कोहली ने सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ से टेस्ट क्रिकेट के प्रति जुनून और गर्व सीखा, जिसे उन्होंने शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल जैसे युवाओं तक पहुंचाया। यह शानदार होता अगर गिल और यशस्वी जैसे युवा भी कोहली को मैदान पर उसी तरह कंधे पर उठाते जैसे विराट ने सचिन को 2011 विश्व कप में जीत के बाद उठाया था। यह एक सीनियर खिलाड़ी के युवा खिलाड़ी को विरासत सौंपने की तरह होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कोहली उन खिलाडिय़ों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्हें फेयरवेल टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। उनसे पहले ही इसी महीने रोहित शर्मा ने अचानक ही टेस्ट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। अश्विन ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच में संन्यास लिया। युवराज ने 2019 में सोशल मीडिया के जरिए संन्यास लिया था। धोनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 2014 में तीसरे टेस्ट के बाद संन्यास का ऐलान किया था। सहवाग ने भी 2013 में अचानक ही संन्यास का ऐलान कर दिया था। कुंबले, लक्ष्मण, द्रविड़, हरभजन और जहीर भी ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें फेयरवेल टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। खैर, कोहली को जोश, जुनून और जज्बे के साथ जिद ने टेस्ट क्रिकेट का महान खिलाड़ी बनाया। जिद उनकी ताकत थी और आलोचनाओं से भी वे प्रेरणा लेते थे, जो उन्हें मैदान पर कुछ कर गुजरने को प्रेरित किया करते थे। कोहली के नाम टेस्ट में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं और वह अपने कैरियर में कई और उपलब्धियां भी हासिल कर सकते थे। कोहली के पास टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बनने का मौका था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बहरहाल, कोहली न केवल भारत बल्कि दुनिया के एक लीजैंड खिलाड़ी हैं। उनकी खेल के प्रति प्रतिबद्धता और कौशल ने हमेशा युवा खिलाडिय़ों को प्रेरित किया है। टेस्ट क्रिकेट में कोहली की विरासत हमेशा अमर रहेगी। रोहित शर्मा, आर. अश्विन और चेतेश्वर पुजारा के साथ कोहली का युग अब समाप्त हो गया, लेकिन उनका योगदान हमेशा युवा खिलाडिय़ों को प्रेरित करता रहेगा। कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को न केवल जीवित रखा बल्कि इसे कूल भी बनाया, जिसे विश्व क्रिकेट कभी नहीं भूल पाएगा। क्या जबरदस्त कैरियर है? थैंक यू कोहली…! शुभकामनाएं…!
थैंक यू कोहली…! शुभकामनाएं…!
