ट्रंप का टैरिफ और बाज़ार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत समेत कई देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर टैरिफ शुल्क लगाए जाने की घोषणा से दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है। बीते सोमवार को पूरी दुनिया के शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिखी। इससे भारतीय बाजार भी अछूता नहीं रहा और सेंसेक्स और निफ्टी जैसे मुख्य सूचकांक बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए। यही नहीं कारोबार के दौरान क्षेत्रवार सूचकांकों में भी 8 फीसदी तक की बड़ी गिरावट दिखी और निवेशकों को करीब 20 लाख करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल, चीन ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी आयातों पर 34% का जवाबी टैरिफ लगाए जाने का ऐलान किया है। इससे पूरी दुनिया चिंतित नजर आ रही है। वैश्विक व्यापार युद्ध और अमेरिका में मंदी की बढ़ती आशंकाओं से बाजार सहम गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि सोमवार को कोविड-19 महामारी के बाद शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। जहां तक भारत का सवाल है तो पहले से ही विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की मार झेलते बाजार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित टैरिफ नया संकट बनकर सामने आया है। यहां यह बताना जरूरी है कि टैरिफ से सामान मंहगा होने पर लोग कम खरीदारी करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है। साथ ही मांग कम होने से कच्चे तेल की कीमतें भी गिरी है। यह कमजोर आर्थिक गतिविधियों का संकेत है। इससे निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है। ऐसा लग रहा है कि अमेरिका और चीन की ओर से उठाए गए कदमों से मुद्रास्फीति और वैश्विक बाजार में तनाव बढ़ रहा है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ प्लान को सही कदम करार दिया है। उन्होंने कहा है कि तेल की कीमतें कम हो गई है। ब्याज दरें भी कम हुईं हैं और कोई मुद्रा स्थिति भी नहीं रह गई है। इसके साथ ही ट्रंप ने टैरिफ के मामले में चीन को सबसे बड़ा दुरुपयोगकर्ता बताया क्योंकि चीन ने 34 फीसदी जवाबी शुल्क लगाया है। ट्रंप के बयान के बाद भी विशेषज्ञों ने मंदी के उच्च जोखिम की चेतावनी दी है। वैसे, टैरिफ को अस्थाई माना जाता है, लेकिन इससे कंपनियों और निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ जाती है। अगले कुछ हफ्तों में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि हितधारक देशों की ओर से टैरिफ की आग में पानी डाला जाता है या घी। इसके अलावा देश के खुदरा व घरेलू संस्थागत निवेशकों का व्यवहार भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि घटते रिटर्न और बढ़ती अस्थिरता घरेलू इक्विटी की मांग घटा सकती है। टैरिफ के कारण देश के वित्त वर्ष 2026 की जीडीपी आंकड़ों पर असर पड़ने की जोखिम से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि सरकार के लोगों का दावा है कि भारत के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि पर कोई असर नहीं दिखेगा। लेकिन जमीनी स्तर पर जो दिख रहा है वह सब कुछ बयां कर रहा है। ट्रंप के इस टैरिफ का असर सीधा अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है। डॉलर ऐतिहासिक रूप से शिखर पर है। रुपया लगातार गिर रहा है। निवेशक भागने लगे हैं। देश पर कर्ज़ का भार लगातार बढ़ रहा है। राजकोषीय घाटा भी बढ़ा है। इससे अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगा है। अब यह वक्त ही बताएगा कि ट्रंप के टैरिफ का भारत पर कितना और कैसा असर पड़ता है?